रिपोर्ट: हीरक बणिक, रामकृष्णनगर | 30 जून, 2025
चेरागी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत इस्लामपुर (भीतर बालिया) गांव की आशा कार्यकर्ता अनोयारा बेगम पर बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के नाम पर पैसे लेने का जो आरोप लगाया गया है, उसे पूरी तरह से झूठा और बेबुनियाद बताया गया है। इस आरोप के खिलाफ क्षेत्र की सभी आशा कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया और दोषियों को दंडित करने की मांग की।
रविवार को चेरागी पीएचसी के पास आयोजित सभा में अनोयारा बेगम ने मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए कहा, “25 जून को एक न्यूज चैनल पर यह दिखाया गया कि मैंने लोगों से 2000 से 2500 रुपये तक लेकर जन्म प्रमाण पत्र बनवाया। यह खबर पूरी तरह झूठी है। यह घटना 6 साल पुरानी बताई जा रही है, लेकिन तब भी मेरे खिलाफ किसी तरह की कोई शिकायत नहीं थी। मेरे पर्यवेक्षक (सुपरवाइजर) और सीनियर अधिकारी को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।”
उन्होंने कहा, “अगर मैंने ऐसा कुछ किया होता, तो निश्चित ही मेरे विरुद्ध विभागीय कार्रवाई होती। यह मेरे खिलाफ रचा गया एक षड्यंत्र है। मैं विधायक विजय मालाकार से अनुरोध करती हूँ कि इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाए और मेरे नाम पर लगाए गए गलत आरोपों को हटाया जाए।”
सभा में अन्य आशा कार्यकर्ताओं – सांतना नाथ, सुशीला रानी लोहार और नाज़मा बेगम – ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि अनोयारा बेगम जैसे समर्पित कार्यकर्ताओं पर ऐसे आरोप लगाना बेहद निंदनीय है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आशा कार्यकर्ताओं का काम ही लोगों की सेवा करना है, और उन्हें इस तरह बदनाम करने की साजिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने “मिथ्या आरोप बंद करो”, “दोषियों को सजा दो” जैसे नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में शामिल प्रमुख आशा कार्यकर्ताओं में रत्ना रानी नाथ, बनलता नाथ, मंजीश्री गोस्वामी, देओमती तेली, सुचित्रा कैरी, चूनिंग गिरनेई सेकाशेप, जरमेन चोंग सेकाशेप, रत्ना रानी दास, मंजनु रानी दास, अपी दास, सुमिता भर, सारदा रानी सिन्हा, नूर खातून, लक्ष्मी गोयाला, लेकुब चोंग रांकल, स्वप्ना रानी नमशूद्र, जोहरा बेगम, पम्पा रानी दास, आरती दास, आरती नमशूद्र, सांतना बर्मन, देबंती माला, भवानी नाथ, नूरमा बेगम और अन्य आशा कार्यकर्ता शामिल रहीं।
आशा कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से मांग की है कि इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सख्त सजा दी जाए ताकि भविष्य में कोई झूठे आरोप लगाकर महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का मनोबल न तोड़ सके।





















