प्रे.सं.शिलचर, ८ जून : अंततः देश के ९१ विश्वविद्यालयों के मुख्य पाठ्यक्रम में एनसीसी को शामिल कर लिया गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने १५ अप्रैल को देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों को एक आदेश जारी किया, जिसके अन्तर्गत विश्वविदद्यालयों के निदेशकों
ने च्यायस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीवीएससी) के तहत एनसीसी को एक ऐच्छिक विषय के तौर पर पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया है।
तमिलनाडु, पुडुचेरी और अंडमान निकोबार क्षेत्र के ४३ तथा जम्मू कश्मीर के २३ विश्वविद्यालयों ने आदेशानुसार एनसीसी को ऐच्छिक विषय के रुप में शामिल किया है। बहुत सारे केन्द्रीय तथा निजी शैदणिक संस्थानों ने भी इस विषय में अपनी रुचि दिखाई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (युजीसी) ने यह सलाह दी थी कि जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० में लागू किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस बिंदु पे ध्यान केन्द्रित
किए हुए है कि मुख्य पाठ्यक्रम, सह-पाठ्यक्रम एवं अतिरिक्त पाठ्यक्रम के फासलों को मिटा सके। इस मामले में सरकार की भी यही मत है कि इस आदेश से एनसीसी के पूर्ण क्षमताओं का उपयोग होगा, जिससे युवाओं के व्यक्तित्व का विकास होगा और उनमें देशभक्ति और समाजसेवा की भावना जगेगी। युजीसी और सीबीएसई बोर्ड ने २०१३ में एनसीसी को ऐच्छिक विषय बनाने की अनुमति दे दी थी। परंतु देश के १०३९७ विद्यालयों तथा ५०९८ कॉलेजों ने, जहाँ एनसीसी की बटालियन मौजूद है, मुख्यतः नकारात्मक प्रतिक्रिया जाहिर की थी।
एनसीसी प्रबंध निदेशक के दिल्ली मुख्यालय ने एक देशव्यापी सर्वेक्षण और तमाम विश्वविद्यालयों से बातचीत के बाद एनसीसी को अतिरिक्त पाठ्यक्रम से हटाकर मुख्य पाठ्यक्रम में लाने की सलाह दी थी। जिसमें एनसीसी को ६ छमाही में २४ अंकों में बाँटा जाना था। पाठ्यक्रम के समापन पर छात्रों को दो (ए तथा बी) प्रमाण-पत्र दिया जाता है। परंतु इस परामर्श के अनुसार पहले चरण में यह बदलाव केवल उन शिक्षण संस्थानों में किया जाना था, जहाँ एनसीसी बटालियन पहले
से मौजूद थी। १९४६ में एक संसदीय कानून के तहत एनसीसी का गठन केवल २०,००० कैडेट के साथ किया गया था, वर्तमान में एनसीसी १५,०००,०० कैडेट्स के साथ दुनिया की सर्वोपरि वर्दीधारी संस्थान है।