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भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के 54वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि नॉलेज ऐरा में शिक्षा पर सभी का हक है। शिक्षा के माध्यम से आप न केवल अपने जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं, बल्कि समाज को भी नई दिशा दे सकते हैं। इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव एवं आईआईएमसी के चेयरमैन श्री अपूर्व चंद्रा, संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी एवं डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह भी उपस्थित थे। दीक्षांत समारोह में आईआईएमसी के 6 परिसरों में संचालित होने वाले 8 पाठ्यक्रमों के वर्ष 2020-21 बैच के लगभग 400 विद्यार्थियों को पीजी डिप्लोमा सर्टिफिकेट एवं 32 विद्यार्थियों को अवॉर्ड प्रदान किये गए।
समारोह के मुख्य अतिथि के तौर विचार व्यक्त करते हुए श्री हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि जनसंचार के शिक्षण और प्रशिक्षण के क्षेत्र में आईआईएमसी की पहचान ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के तौर पर है। भारतीय पत्रकारिता में यहां के विद्यार्थियों का महत्वपूर्ण योगदान है। देश ही नहीं, बल्कि दुनिया की जरुरतों के हिसाब से आईआईएमसी अपने विद्यार्थियों को तैयार करता है। इसके लिए संस्थान के सभी प्राध्यापक, अधिकारी एवं कर्मचारी बधाई के पात्र हैं।
राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि आज आप सभी विद्यार्थी जीवन में नया कदम रखने जा रहे हैं। आज आपको सोचना चाहिए कि आप में किस काम के लिए ‘पैशन’ है। अगर आपके अंदर काम के प्रति मोहब्बत, समर्पण और ‘पैशन’ नहीं है, तो आप अपने प्रोफेशन में नई लकीर नहीं खींच सकते। उन्होंन कहा कि जीवन में विफलताएं आएंगी, लेकिन हर विफलता सफलता के लिए रास्ता खोलती है। आज देश में युवाओं के द्वारा चलाए जा रहे 70 हजार स्टार्टअप हैं। हमारे देश के युवा ‘जॉब सीकर’ से ‘जॉब प्रोवाइडर’ बन रहे हैं।
श्री हरिवंश नारायण सिंह के अनुसार मीडिया में भी स्टार्टअप की जरुरत है। भारत में केंद्र सरकार की 315 योजनाओं और राज्य सरकारों की 500 योजनाओं से लगभग 2 लाख करोड़ रुपए की बचत हो रही है। मीडिया स्टार्टअप के जरिए युवा इस तरह की विभिन्न योजनाओं से जुड़े तथ्यों को जनता के सामने ला सकते हैं। सरकारी योजनाओं को सरल और सहज शब्दों में लोगों तक पहुंचाने का काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौर में भारत ने मेडिकल हब के रूप में अपनी पहचान बनाई है। कोराना ने हमें आपदा में अवसर तलाशने का मौका दिया और टीके से लेकर वेंटिलेटर तक आत्मनिर्भर बनाया।
युवाओं को भविष्य के लिए सीख देते हुए उपसभापति ने कहा कि जिंदगी में जीतना ही नहीं, हारना भी जरूरी है। असफलता का आनंद लेना सीखें। परीक्षा में नकल करके पास होने से बेहतर है, फेल हो जाना। उन्होंने कहा कि आज मीडिया के सामने साख की चुनौती है। नौकरी के बाजार में जो आपको सबसे ज्यादा पैसे दे, उसके लिए काम कीजिए, लेकिन अपनी आत्मा गिरवी मत रखिए। अगर आप ईमानदारी से अपना कार्य करेंगे, तो मीडिया की विश्वसनीयता बनी रहेगी। श्री हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में आईआईएमसी के विद्यार्थी समाज और देश में व्याप्त समस्याओं के समाधान में अपना अमूल्य योगदान देंगे।
इस अवसर पर संस्थान के महानिदेशक *प्रो. संजय द्विवेदी* ने कहा कि आईआईएमसी हिंदी पत्रकारिता, अंग्रेजी पत्रकारिता, विज्ञापन एवं जनसंपर्क, रेडियो एवं टेलीविजन, ओड़िया, मराठी, मलयालम और उर्दू पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करता है। इस वर्ष आईआईएमसी डिजिटल मीडिया में पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी शुरू करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थान अपने प्रत्येक विद्यार्थी को हर वह अवसर सुलभ कराने के लिए प्रतिबद्ध है, जो उसके सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी हैं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. विष्णुप्रिया पांडेय ने किया। दीक्षांत समारोह में संस्थान के क्षेत्रीय केंद्रों के निदेशकों सहित समस्त प्राध्यापकों, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं वर्तमान बैच के विद्यार्थियों ने भी हिस्सा लिया।