एयरोस्पेस की भविष्यवाणियों के अनुसार, मलबे के गिरने के संभावित क्षेत्रों में अमेरिका के साथ-साथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया शामिल हैं। हालांकि, चीन इस चिंता को सिरे से खारिज कर रहा है। ग्लोबल टाइम्स अखबार ने एक विशेषज्ञ का हवाला देते हुए कहा, “अमेरिका एयरोस्पेस क्षेत्र में चीन के विकास को रोकने में सफल नहीं हो पा रहा है, इसके ऐसे मनगढंत आरोप लगा रहा है।”
वहीं, आलोचकों का कहना है कि अनियंत्रित दुर्घटनाओं की एक श्रृंखला है जो अमेरिका के साथ चीन की बढ़ती अंतरिक्ष दौड़ के जोखिमों को उजागर करती है। एयरोस्पेस ने मंगलवार को कहा, “आबादी वाले क्षेत्र में बचे हुए मलबे के उतरने की संभावना शून्य नहीं है। दुनिया की 88% से अधिक आबादी ऐसे मलबों का शिकार होती रही है।” आपको बता दें कि मई 2021 में एक और लॉन्ग मार्च रॉकेट के टुकड़े हिंद महासागर में उतरे। इसको लेकर यह चिंता जताी गई कि चीनी अंतरिक्ष एजेंसी ने इस पर नियंत्रण खो दिया है। नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा था, “यह स्पष्ट है कि चीन अंतरिक्ष मलबे के संबंध में जिम्मेदार मानकों को पूरा करने में विफल रहा है।”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने बुधवार को बीजिंग में कहा कि चीन इस सप्ताह के लॉन्च से बूस्टर के पुन: प्रवेश का बारीकी से पालन कर रहा है। झाओ ने कहा, “यह रॉकेट के ऊपरी चरणों के लिए पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अभ्यास के लिए प्रथागत है। अंतरिक्ष इंजीनियरिंग कार्यक्रम के अनुसंधान और विकास चरण से ही इसे मलबे के शमन और कक्षा से लौटने के लिए विचार के साथ बनाया गया है।”