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प्रे.स. शिलचर, 10 अक्टूबर: बराक घाटी के चाय बागानों की विभिन्न समस्याओं को लेकर ‘असम टी एंड एक्स टी पीपुल्स फोरम’ के मुखिया लक्ष्मी निवास कलवार ने कई सवाल खड़े करते हुए राज्य सरकार से समाधान की मांग की है। राष्ट्रभाषा विद्यापीठ शिवचरण में आयोजित एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए लक्ष्मी निवास कलवार ने कहा कि दरअसल चाय बागान के लोगों के वास्तविक जीवन स्तर में सुधार एवं उनके विकास के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं हुआ है।
सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया। उनका कहना था कि अथक परिश्रम से चाय उद्योग को अब तक टिकाए रखने में मुख्य भूमिका निभा रहे चाय जनसमुदाय के लोग आज भी उपेक्षित है। उनके हितों को लेकर बहुत कम आवाज उठती है। मीडिया के माध्यम से सरकार के समक्ष 21 सूत्री मांगो को उन्होंने आगे बढ़ाया। कलवार ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा से यह आशा व अपेक्षा रखते है कि उनकी मांगों पर गौर करेंगे।
उन्होंने मांग की कि चाय बागानों में रहने वाले श्रमिकों के वास्तविक जीवन स्तर को जानने या समझने के लिए किसी केंद्रीय एजेंसी द्वारा सर्वेक्षण होना चाहिए। वे बोले यह हकीकत है कि लगभग दो सौ वर्षों से चाय उद्योग में अपना पूरा जीवन खपा देने वाले श्रमिकों के उनके वास्तविक जीवन स्तर को जानने एवं समझने का प्रयास ही नहीं हुआ। फोरम यह महसूस करती है कि उनके सर्वांगीण विकास के लिए एक विशेष पैकेज की आवश्यकता है। शिक्षा के क्षेत्र में भी बल देने की ज़रूरत है।
शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन करना होगा। बेहतर एवं गुणवत्ता शिक्षा मिले इस दिशा में धरातल पर काम होना चाहिए। कलवार ने कहा कि फोरम सभी चाय बागानों में मॉडल स्कूल खोलने की मांग करता है। मॉडल स्कूलों में पढ़ाई कक्षा 6 से 12 तक हो और शिक्षकों की नियुक्ति चाय बागान से ही हो। छात्रवृत्ति ( वजीफा ) रुपए में वृद्धि हो तथा छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण कर सके, इसके लिए शिक्षा व्यवस्था को उन्नत किया जाए। छात्रों को सरकार द्वारा एंड्रॉयड या टैबलेट मोबाइल मिलना चाहिए। चाय बागानों में स्थित सभी प्राथमिक विद्यालयों में नई शिक्षा नीति के तहत मातृभाषा के रूप में हिंदी को वरीयता दी जाय। उन्होंने आधुनिक स्वास्थ्य सेवा का मुद्दा भी उठाया। कलवार ने मीडिया के कई सवालों के जवाब में कहा कि सरकारी नौकरी 30 फीसदी और मेडिकल कॉलेजों में उनके युवाओं को अवसर प्रदान करने के लिए 10 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए।
उन्होंने एसटी, एससी और ओबीसी को एक कर एमओबीसी कर देने की वकालत की। संस्था का मानना है ऐसा करने से कई चिंताओं का समाधान होगा। वहीं डलू चाय बागान पर पूछे गए सवालों पर उत्तर देते हुए कलवार ने कहा कि किसी भी परियोजना के लिए बागान की जमीन का अधिग्रहण नहीं होना चाहिए। बागान की भूमि पर निर्माण कार्य होने से इसका क्षेत्र दायरा घटता जा रहा है। खाली पड़ी भूमि पर चाय का नया चारा लग नहीं रहा, ऊपर से बागान का दायरा सिकुड़ता जा रहा है। बराक घाटी में उद्योग नहीं है। ब्रिटिश द्वारा स्थापित चाय उद्योगों को भी बंद करने के प्रयास से बचना चाहिए।