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आई रामनवमी शुभ मंगल
फैल रही आभा, फैल रहा प्रकाश
पिता आज्ञा थी कर्म
मर्यादा पुरूषोत्तम ने काटा चौदह बरस वनवास ! (1)
संन्यासी अविनाशी
जनकनंदिनी, भ्राता लक्ष्मण का है साथ
सेवक जिनके बजरंगी
सत्य, समसरता और त्याग की प्रतिमूर्ति
जा रहे मनुष्यों के भाग(भाग्य) ! (2)
भारत की है आत्मा
वाल्मीकि तुलसी जी का है वरदान
शुभ मंगल सब कार्य
कष्टों, क्लेश का होगा अब खात्मा ! (3)
छोड़कर अपने हित
परहित के लिए कर लो सब काम
ईर्ष्या, द्वेष में कुछ नहीं रखा
मन में बसा लो राम ! (4)
राम भक्ति में ही बहती जीवन रस की धार
राम मोक्ष के द्वार हैं
राम नाम से ही जीवन का होता है उद्धार
रटकर राम नाम, आओ जीवन को लें संवार ! (5)





















