बी.एम.शुक्लवैद्य,बिहाड़ा :: असम के काठीघोरा विधानसभा क्षेत्र के कालाइनछोरा गुरुद्वारा में पूरे धूमधाम के साथ सिक्ख धर्म के दसवें गुरु गोविंद सिंह का जन्मदिन मनाया गया। इस अवसर पर, रविवार को गुरुद्वारा में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सुबह से गुरुद्वारा में भक्तों का समागम देखने को मिला। भक्तों ने गुरु का भजन कीर्तन करते हुए प्रसा वितरण में शामिल हुए। उस दिन दोपहर के भंडारे में महाप्रसाद का वितरण किया गया था। प्रसाद में रोटी, सब्जी, दाल, चावल, सूजी का हलवा ओर विभिन्न फल शामिल थे। गुरुद्वारा के जत्थेदार बलदेव सिंह ने कहा कि, गुरु गोविंद सिंह सिक्ख धर्म के दसवें गुरु थे। उनका जन्म वर्तमान बिहार के पटना में हुआ था। गुरु गोबिंद का जन्म १६६६ के २२ दिसंबर को हुआ था।
सन १६७५ के ११ नवंबर को केवल नौ साल की उम्र में वह अपने पिता गुरु तेग बहादुर के स्थान पर बैठे थे। वह सिक्ख के नेता, योद्धा, कवि और दार्शनिक थे। सिक्ख समाज में गुरु गोबिंद आदर्श पुरुषार्थ का प्रतीक है। उन्हें उनकी उच्च शिक्षा, कुशल घुड़सवार, सशस्त्र युद्ध की महारत और चरित्र उदारता के लिए जाना जाता है। सिक्खों के आदर्श और दैनिक जीवन पर गुरु गोविंद सिंह के जीवन और शिक्षाओं का प्रभाव दूरगामी है। उनका खालसा पद्धति का गठन सिक्ख इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक है। वह मुगल और मुगल सहायक राजाओं के साथ शिबालिक पहाड़ियों पर बीस रक्षात्मक लड़ाई लड़े। गुरु गोबिंद अंतिम मानव सिक्ख गुरु थे। सन १७०८ के ७ अक्टूबर को उन्होंने सिक्खों के पवित्र ग्रंथ गुरु ‘ग्रंथ साहिबʼ को सिक्खों का अगला और स्थायी गुरु घोषित किया। इस दिन गुरुद्वारा में उपस्थित रहे शिलचर के रसपाल सिंह, विश्व हिंदू परिषद के दक्षिणपूर्व प्रांत के सतसंग प्रमुख दिलीप दे, विभाग संगठन मंत्री प्रदीप वैष्णव, पश्चिम काछार जिले के सचिव अशोक कुमार दास, प्रचार प्रमुख शमीन्द्र पाल, भाजपा नेता आलोक कुमार दास आदि।