सरस्वती स्मारक समिति शिलचर द्वारा समलैंगिक विवाह के विरुद्ध 25 अप्रैल को जिलाधिकारी काछाड़ के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन में इस बात को सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिक विवाह को वैध घोषित करने से रोका जाए। ज्ञापन में इस बात की ओर ध्यान दिलाया गया है कि कानून बनाना संसद का काम है न्यायालय का नहीं। न्यायालय के समक्ष असंख्य महत्वपूर्ण मुद्दे लंबित पड़े हुए हैं, उनकी तरफ ध्यान ना दे कर एक महत्वहीन विषय को पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय तत्परता दिखा रहा है। भारत में सभी धर्मों के लोग पुरुष और स्त्री के विवाह को ही वैध मानते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ऐसा कोई काम ना करें, जिससे विवाह नामक संस्था पर कोई चोट पहुंचे। ज्ञापन की प्रतिलिपि मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल को प्रेषित की गई हैं। ज्ञापन में हस्ताक्षर करने वालों में मुख्य रूप से श्रीमती अलका देव, सुपर्णा दे, स्निग्धा दास, मोनिका चक्रवर्ती, अन्नपूर्णा नाथ तथा इन तानिया चानू आदि प्रमुख शामिल है।





















