
अभिमनोज. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नफरती भाषण के मामलों में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तत्काल एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट देश के विभिन्न हिस्सों से दाखिल हेट स्पीच से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.
खबरें हैं कि…. अदालत का कहना है कि जब भी कोई नफरत फैलाने वाला भाषण देता है, तो सरकारें बिना किसी शिकायत के एफआईआर दर्ज करें, हेट स्पीच को लेकर मामला दर्ज करने में देरी होने पर इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा.
अदालत का यह भी कहना है कि- ऐसे मामलों में कार्रवाई करते हुए बयान देने वाले के धर्म की परवाह नहीं करनी चाहिए, इसी तरह धर्मनिरपेक्ष देश की अवधारणा को जिंदा रखा जा सकता है.
अदालत का मानना है कि- हेट स्पीच एक गंभीर अपराध है, जो देश की धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है.
इस संबंध में जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि- हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं? यह दुखद है!
न्यायाधीश गैर-राजनीतिक हैं और उनके दिमाग में केवल भारत का संविधान है.
याद रहे, इससे पहले मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई में कहा था कि- हर रोज टीवी और सार्वजनिक मंचों पर नफरत फैलाने वाले बयान दिए जा रहे हैं, क्या ऐसे लोग खुद को कंट्रोल नहीं कर सकते?
सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच से भरे टॉक शो और रिपोर्ट टेलीकास्ट करने पर टीवी चैनलों को जमकर फटकार भी लगाई, जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने कहा था कि- यह एंकर की जिम्मेदारी है कि वह किसी को नफरत भरी भाषा बोलने से रोके, इतना ही नहीं, बेंच ने यह भी पूछा था कि- इस मामले में सरकार मूकदर्शक क्यों बनी हुई है?
नफरती भाषण देश की एकता और अखंडता के लिए खतरे की घंटी हैं, इसलिए यदि सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं, तो इनका स्वागत किया जाना चाहिए और सरकारों को इन पर विशेष ध्यान देना चाहिए!





















