यशवन्त पाण्डेय, 7 मई,शिलकुड़ी। शिलचर के प्रसिद्ध आर ई अस्पताल में लेप्रोस्कोपी और हिस्टेरोस्कोपी (पिन होल सर्जरी) पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। रविवार को घुंघुर आउट पोस्ट के विपरीत स्थित प्रसिद्ध आर ई अस्पताल में थ्री डी हिस्टेरोस्कोप मशीन से जयपुर से आये अंतरराष्ट्रीय प्रसूति एवं स्त्रीरोग के संचालन संकाय डॉ विजय नाहटा, शिलचर मेडिकल कालेज व अस्पताल के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा: प्रणय नाथ, शिलचर शहर के प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ बंदना नाथ, डॉ मोनिका देब, डॉ फुजायल अहमद, आर ई अस्पताल के एमडी डा: रंजन सिंह व शिलचर मेडिकल कॉलेज के लगभग 15 पीजी छात्रों की उपस्थिति में पिन होल ऑपरेशन के साथ कार्यशाला का शभारंभ हुआ।
कार्यशाला में उपस्थित एक स्त्रीरोग विशेषज्ञ ने बताया कि प्रसव के दौरान हिस्टेरोस्कोप की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन स्त्री की विभिन्न रोगों की जांच में लैप्रोस्कोपी और हिस्टेरोस्कोपी की आवश्यकता होती है। आमतौर पर इसे पिनहोल सर्जरी कहा जाता है। पिनहोल ऑपरेशन एक पेट के माध्यम से और दूसरा योनि जन्म नहर के माध्यम से शुरू होता है। कार्यशाला की शुरुआत में शिलचर मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. फुजैल अहमद ने पहले एक मरीज की लैप्रोस्कोपी की, तत्पश्चात जयपुर से आये अन्तर्राष्ट्रीय स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय नाहटा द्वारा कई सर्जरी कर कार्यशाला में उपस्थित चिकित्सकों एवं पीजी छात्रों में जानकारी दी गईं। आर ई अस्पताल के प्रथम तल पर डॉ. विजय नाहटा व डॉ. फुजैल अहमद थ्रीडी लैप्रोस्कोपी मशीन से सर्जरी कर रहे थे, और आर ई अस्पताल के चौथे तल पर कार्यशाला में उपस्थित स्त्री रोग विशेषज्ञों व पीजी के छात्र-छात्राएं इसका सीधा प्रसारण देख रहे थे व प्रश्न पूछकर विभिन्न विषयों को जानने का प्रयास कर रहे थे ।
इस सन्दर्भ में आर ई अस्पताल के एमडी डा: रंजन सिंह ने बताया कि मूल रूप से, हिस्टेरोस्कोपी एक ऐसी प्रक्रिया है जो एक सर्जन को असामान्य रक्तस्राव का निदान और उपचार करने के लिए गर्भाशय के अंदर देखने की अनुमति देती है। हिस्टेरोस्कोपी एक हिस्टेरोस्कोप का उपयोग करके किया जाता है, एक पतली हल्की ट्यूब जो योनि के रास्ते से गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय के अंदर की जांच करने के लिए डाली जाती है। दूसरी ओर लैप्रोस्कोपी, बांझपन का निदान और उपचार करने के लिए उपयोग की जाने वाली एक प्रक्रिया है। इस सर्जिकल प्रक्रिया में डॉक्टर महिला के पेट में दो से तीन छोटे चीरे लगाते हैं। यह प्रक्रिया एक लैप्रोस्कोप का उपयोग करती है, जो कैमरा और प्रकाश के साथ एक बहुत ही पतला शल्य चिकित्सा उपकरण है। इन्हीं प्रक्रिया को गहराई से समझने के लिए आर ई अस्पताल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। पेट में चीरे बिना पिन होल सर्जरी कब की जाती है, यह जानने के लिए तथा सर्जरी के दौरान आनेवाले समस्याओं को निदान कैसे हो कार्यशाला केे दौरान इन विषयों को प्रमुखता दी गयी। कार्यशाला को सफल बनानेे मेें आर ई अस्पताल के सााथ ओलंपस मेडिकल सिस्टम्स, ओएम सर्जिकल्स ने सहयोग किया। उल्लेखनीय है कि दक्षिण असम में सिर्फ आर ई अस्पताल में ही महंगी और बेहतरीन एकमात्र थ्री डी लैप्रोस्कोपी मशीन है।