
विश्व हिंदू परिषद गौरक्षा आयाम ने पिछले 8 मई को त्रिपुरा में गो संरक्षण कानून के लिए मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। उक्त ज्ञापन में मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए लिखा गया है कि आशा करता हूं आप अपने सभी बंधु बंधुओं सहित प्रसन्न होंगे और आपके प्रसन्नता की गौमाता से कामना करता हूं।
महोदय सौभाग्य की बात है कि त्रिपुरा राज्य में आप की सरकार है तथा आपके नेतृत्व में त्रिपुरा राज्य में सरकार बहुत ही उत्तम कार्य कर रही है राज्य का चौमुखी विकास हो रहा है। परंतु दुर्भाग्य का विषय है कि त्रिपुरा राज्य का सीमावर्ती क्षेत्र पशु एवं मादक द्रव्यों की तस्करी में संलिप्त है तथा इस माध्यम से राज्य विरोधी गतिविधियों में शामिल है कारण कि राज्य भर में गोवंश के संरक्षण के लिए सरकारी नीतियों का स्पष्ट अभाव है। जिससे राज्य में गौमाता कष्ट पा रही है। जिन्हें पशु तस्करों द्वारा बांग्लादेश भेजकर उनका वध करवाया जा रहा है तथा उनके द्वारा उपार्जित अवैध धन का उपयोग राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है।
इसका मुख्य कारण राज्य में गो वंशों के सुरक्षा के लिए कानून न होना ही है। संविधान के अनुच्छेद 48 राज्य पर यह दायित्व आरोपित करता है कि वह राज्य कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों से संगठित करने का प्रयास करेगा और विशिष्टतया गायों और बछड़ों तथा अन्य दुधारू और वाहक पशुओं की नस्लों के परिक्षण और सुधार के लिए उनके वध का प्रतिषेध करने के लिए कदम उठाएगा। संविधान के अनुसार पशुओं के संरक्षण एवं संवर्धन के का विषय राज्य सूची में दर्ज है लिहाजा राज्य सरकार ही उस पर कानून बनाने के लिए अधिकृत है परंतु त्रिपुरा राज्य के पास गो वंशों के संरक्षण के लिए विशेष कानून नहीं बनाए गए हैं।
महोदय देशभर में भाजपा शासित राज्यों में गौरक्षा के स्पष्ट तथा कठोर कानून है। उत्तर प्रदेश राज्य ने स्पष्ट कानून बनाया ही साथ में शराब आदि में विभिन्न प्रकार के कर अधिरोपित कर उनका व्यय सीधे-सीधे गौरक्षा में करके हर पंचायत स्तर पर गौ संरक्षण गृह का संचालन राज्य के खर्चे पर कर रहे हैं। जो कि अद्भुत है और एक मिसाल है अन्य कई कई राज्य गौशालाओं की स्थापना एवं उनके संचालन के लिए राज्य स्तर पर अनुदान की व्यवस्था कर रही है। महोदय सौभाग्य से प्रदेश में आप के नेतृत्व में भाजपा की सरकार चल रही है। अतः राज्य के साथ-साथ देश भर का के गौरक्षा प्रेमी हिंदूजनों की दृष्टि आपकी ओर टिकी है। आप प्रदेश के 80% आबादी के जन आकांक्षाओं के संवाहक हैं। अतः आपसे नम्र निवेदन है कि प्रदेश में गौरक्षा के लिए कठोर कानून बनाकर गो वंशों का संरक्षण करने का कार्य करें।
1- महोदय राज्यभर में गो वंशों की तस्करी रोकने के लिए गौरक्षा का कठोर कानून बनाया जाये।, 2- गौहत्या एवं गो वंशों की तस्करी को संज्ञेय अपराध घोषित किया जाये।, 3 – राज्य स्तर पर कम से कम एक हजार गो वंशों की क्षमता के प्रत्येक जिले में राज्य पोषित गौशालाओं का निर्माण कराया जाए।, 4- राज्य के पशु कल्याण बोर्ड का गठन यदि गठित है तो उसका सुदृढ़ीकरण किया जाए और राज्य के प्रतिष्ठित गौ रक्षकों को इसमें स्थान दिया जाए।, 5- राज्य में कानून में प्रावधान करके गो वंशों की तस्करी में संलिप्त वाहनों को राजसात प्रावधान किया जाए। तथा उनके नीलामी से प्राप्त धन का इस्तेमाल जप्त गो वंशों के भरण-पोषण में किए जाने का प्रावधान किया जाये।, 6 – गौ हत्या एवं गो वंशों की तस्करी को गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखते हुए इसके लिए कम से कम 10 साल की सजा तथा 5 लाख जुर्माने का प्रावधान किया जाये।, 7- गोवंश पशु तस्करी के दौरान जप्त गो वंशों के विचारण लंबित रहने तक बाध्यकारी के रूप से अभिरक्षा गौशाला को देने का प्रावधान किया जाये तथा उसके भरण पोषण का दायित्व अभियुक्त गणों पर दिया जाए जो कि भू राजस्व के रूप में वसूलनीय हो।, 8- पशु तस्करी रोकने हेतु उच्च न्यायालयों में एवं जिला न्यायालयों में विशेष अभियोजन अवधिवक्ताओं की नियुक्ति की जाये। एवं 9- गो वंशों के तस्करी के लिए विशेष न्यायालय का गठन कर विचरण शीघ्रातिशीघ्र करने का प्रावधान किया जाये ताकि गौ तस्करों में भय व्याप्त हो। 10- राज्य में पूर्व से गो वंशों के संरक्षण कर रही संस्थाओं को पोषण किया जाये।
ज्ञापन में हस्ताक्षर करने वालों में विहिप गोरक्षा केन्द्रीय मंत्री उमेश चन्द्र पोरवाल, त्रिपुरा उप प्रान्त गोरक्षा प्रमुख विहिप अरुप देवनाथ जी, उप प्रान्त सह संपादक विहिप शंकर राय एवं उप प्रान्त संगठन मंत्री विहिप त्रिपुरा महेन्द्र पाल शामिल है।




















