केरल स्टोरी अर्थात मोपला का पुनर्जन्म—
द केरल स्टोरी के कथानक की वस्तुस्थिति से भली-भांति परिचित होने में-“कश्मीर फाइल्स”का स्थान महत्वपूर्ण हो सकता है,
यहाँ यह कहना मैं उचित समझता हूँ कि जिस प्रकार धार्मिक हिन्दू बच्चों- बच्चियों को चर्च द्वारा संचालित कान्वेंट स्कूलों में अपने धर्मानुकूल चिन्हों को धारण करने पर समूचे भारत में प्रताड़ित किया जाता है, आप कान्वेंट में अधिकतम शुल्क देकर अपने बच्चों को भेजते हैं जहाँ उन्हें कलावा, तिलक, जनेऊ. चोटी, सिन्दूर, मंगल सूत्र और नाना अति आवश्यक चिन्हों को धारण करने से रोकने किन्तु जीसस की प्रे करने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है।
केरल में ऐसा ही हुवा ! चर्च और मदरसों को खुली छूट दी गयी,यहाँ तक कि बच्चियों को इस्लामी शिक्षा देकर उनका ब्रेनवाश करने लिये-“याबा” की ऐसी मादक गोलियां दी गयीं कि जिनसे उनका मस्तिष्क एकतरफा सोचते सोचते इतना कट्टर हो गया कि वे सीरिया आदि ले जायी जाकर या तो सेक्स स्लैब बनीं अथवा आत्मघाती आतंकवादी।
बहुत ही कम समय में ऐसी ३२ हजार बच्चियों का धर्मान्तरण कराकर विदेशों में किसी सामान की तरह भेज दिया गया ! और ये सत्य उजागर होने पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर तथा केरल की मुस्लिम युवा लीग ने कहा कि ३२ हजार लड़कियों का धर्म बदलवाकर सीरिया भेजा गया, यह साबित कर दीजिए तो एक करोड़ रुपये इनाम दिया जाएगा।
मैं इन विद्वानों से पूछना चाहता हूँ कि ३२ हजार बच्चियों का इतना अधिक मूल्य आपने लगा दिया ?
आज के युग में हर व्यक्ति जानता है कि मानव अंगों की तश्करी किसे कहते हैं ! एक किडनी कितने की बिकती है ! यहाँ मैं आपको स्मरण दिला दूं कि जहाँ मणिपुर आतंकवादियों द्वारा लगायी आग में झुलस रहा है,वहां सबसे अधिक प्रभावित चुराचांदपुर क्षेत्र में सुरक्षा बलों पर चर्च के इशारे पर हमले किये गये । एक कडवी सच्चाई आपको बताना चाहता हूँ कि सन् २०१९ में मैं मेघालय शिलांग में अपने एक परिचित के यहाँ गया था, वे एक खासिया परिवार के यहाँ किराये पर रहते थे , मकान मालकिन खासिया ईसाई थीं और उनका पति बंगलादेशी मुस्लिम ! इतना ही नहीं उन महिला की तीन बच्चियों को भी बंगलादेशी मुस्लिमों ने अपनाया हुवा था, और ऐसी ही स्थिति लगभग पूर्वोत्तर के सभी आदिवासी क्षेत्रों की है।
केरल में २०११ तक हिंदू ५४.७३ प्रतिशत,तथा मुस्लिम २६.५६ % और ईसाई १८.३८% थे, और आज की स्थिति यह है कि मुस्लिमों की वृद्धि दर लगभग दो प्रतिशत एवं हिन्दू समुदाय की एक प्रतिशत पर आ चुकी है अर्थात लगभग दस वर्षों में यहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक हो जायेंगे ।
एक कडवी सच्चाई आपको बताना चाहता हूँ कि सन् १९२१ में केरल के मालाबार में हुवे हिन्दुओं के सामूहिक नरसंहार का नेतृत्व -“वरियांकुनाथ कुंजाहमद हाजी” ने किया था जो केरल में तालिबान के प्रथम प्रमुख थे, इस हिन्दुओं के नरसंहार को कांग्रेस का पूर्णतया समर्थन प्राप्त था , गांधी जी ने इसे खिलाफत आंदोलन का एक अंग स्वीकार कर इसका समर्थन किया था।
इन मोपला अर्थात तथाकथित मलयाली मुस्लिमों ने तब १०००० से अधिक हिन्दूओं को अत्यंत ही बर्बरता पूर्वक काट डाला था, घर और गांव के गांव जलाये थे, जिसका मार्मिक वर्णन हमारे हिन्दू ह्रदय सम्राट-“वीर सावरकर” जी ने अपनी कालजयी रचना-“मोपला” में किया है, यह पुस्तक आप अगर पढें तो आपकी आँखों से आंसू नहीं खून टपकेगा, और इसी कारण आज कांग्रेस सावरकर जी के नाम से इतना अधिक चिढती है।
मुझे जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ कि इस फिल्म के रिलीज होते ही इसे प•बंगाल में प्रतिबंधित कर दिया गया और शीघ्र ही आप इसके केरल,राजस्थान और पंजाब में भी प्रतिबंधित होने के समाचार सुनेंगे-“आनंद शास्त्री”




















