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कविता

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(मेरे सुपुत्र मा. अंशित शुक्ला द्वारा स्वरचित कविता)

              *प्रकृति का बुलावा* 

अरे आया रे आया प्रकृति का बुलावा आया,

 नये नये मौसम संग है लाया,

 ठंडी गर्मी और बसंत यह सब हैं मेरे भाया,

अरे आया रे आया प्रकृति का बुलावा आया।

 पेड़ पौधे देते हैं फल-फूल और छाया, 

अरे देते हैं तोहफे हमें समझ के भाया,

अरे आया रे आया प्रकृति का बुलावा आया।

 फूलों ने इस जग को अपनी खुशबू से महकाया,

इन्हें देख मन हमारा इन पर है आया,

अरे आया रे आया प्रकृति का बुलावा आया।

 सावन में मोर नाचा और गाया,

अपना रंग- रूप और नाच दिखा मन बहलाया,

अरे आया रे आया प्रकृति का बुलावा आया।

चिड़ियों को गुनगुनाते देख हमने भी गुनगुनाया,

 पशु पक्षियों को देख दिल उन पर आया, 

अरे आया रे आया प्रकृति का बुलावा आया।

पर कुछ होते नासमझ उनकी बुद्धि है चकराया,

उनके लिए प्रकृति ने संदेशा है भिजवाया,

कि पर्यावरण को बचाओ भाया,

 अब तो संभल जाओ भाया,

 नहीं तो नहीं बचेगी तेरी काया।

अरे आया रे आया प्रकृति का बुलावा आया।

                                     — अंशित शुक्ला

                                       कक्षा – आठवीं

              जवाहर नवोदय विद्यालय पैलापूल

                                         कछार असम

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