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अकबर था पहला लव जिहादी….

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“लव-जिहाद” के विरुद्ध उत्तराखंड में आयोजित होने वाली हिन्दू समाज की-“महा पंचायत” को रोकने हेतु ५० पूर्व राजकीय अधिकारियों ने सर्वोच्य न्यायालय में बिलकुल उसी प्रकार याचिका दी जिस प्रकार इन बुद्धिजीवियों(?) ने अफजल गुरू की फांसी रुकवाने हेतु अर्ध-रात्रि में सर्वोच्य न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और वे तथाकथित न्यायाधीश लोग जाग भी गये थे।
इस महापंचायत को रोकने हेतु जिन्होंने याचिका दी उनमें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद,अशोक वाजपेयी जैसे ५० व्यक्तिओं में ४५ हिन्दू हैं,अर्थात भारत के हिन्दुओं में जयचन्द और मानसिंहों की कमी न कल थी,न आज है और न कल रहेगी।
मुझे आश्चर्य होता है कि दारुल उलूम,देव बंद के षडयंत्रकारी फतवों के विरुद्ध ये लोग कभी न्यायालय नहीं गये ! तथाकथित किसान(?)महा पंचायत,पहलवानों के दंगल के खिलाफ़ कोई नहीं गया किन्तु इनको हिन्दू महा पंचायत से आपत्ति है !
क्योंकि ये महात्मा (?)गांधी का देश है ? ये उन गांधी का देश है जिनके सबसे बडे शाहबजादे हरिलाल ने इस्लाम केवल इसलिए कुबूल किया था कि वो अपनी सगी ९ वर्ष की लडकी से बलात्कार करना चाहता था ! और उसने वो कई सालों तक किया भी क्यूँ कि तब उस नीच इंसान ने अपना नाम बदलकर “अब्दुल्ला” रख लिया था !  और उसका एकबार भी -“करमचंद” ने विरोध नही किया ! आश्चर्यजनक ये भी है कि अपनी बेटी को अपनी रखैल बनाने के बाद फिर से वो कांग्रेस और गांधी की मेहरबानी से हमें मूर्ख बनाने के लिये सेक्युलर हिन्दू बन गया।
किन्तु दूसरी ओर जब उनके दूसरे बेटे-“मणीलाल” ने एक मुस्लिम लडकी-“फातिमा” से विवाह करना चाहा तो उसे रोक लिया ? ये है करमचन्द के ऐसे करम जिसका फल आज भी हिन्दू समाज भुगत रहा है ! वैसे भी -“ब्रम्हचर्य के प्रयोग” हेतु रसूल से कहीं अधिक प्रसिद्धि इनको मिली। जंतर मंतर,जेएनयू, शाहीन बाग,दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्रों में किन्हीं भी अराजक तत्त्वों को खुलेआम प्रदर्शन के नाम पर खालिस्तान के झंडे लहराने की खुली छूट है, हमारे देवी देवताओं पर अभद्र टिप्पणी करने के बाद -“मैं अपने बयान को वापस लेता हूँ” मात्र कहने भर से इनके सब पाप वैसे ही धुल जाते हैं जैसे इन लोगों ने १९४७ में लाखों हिन्दुओं के खून से अपने हांथ धोये थे।
ये समूचे विश्व को पता है कि -“नेहरू” अफगानिस्तान के मुस्लिम थे किन्तु हम भारतीयों को ये नहीं पता ? आने वाले कल ये कोट के ऊपर जनेऊ पहनने वाले लोग, दिनांक २७-५-२०१७ को केरल में युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ-“रिजिल मुक्कुट्टी”
द्वारा समूचे शहर में घूमते हुवे ट्रक में गौवध कराने वाले लोगों से आप क्या आशा कर सकते हैं ?
ये स्पष्ट है कि लव जिहाद का जिन्न -“अकबर” ने तद्कालीन मानसिंह जैसे अपने चाटुकारों की सहायता से खडा किया था जिसे आज के भेंड की खाल में छुपे भेडियों ने-“जोधाबाई,ताज और आदि-मानव” जैसी दोहरी मानसिकता की फिल्मों द्वारा एक विशेष प्रकार के दर्शकों हेतु निर्मित कर प्रोत्साहित किया जो आने वाले कल हिन्दुत्व पर एक निश्चित दृष्टिकोण से प्रहार करेंगी।
प्रिय मित्रों ! लव जिहाद पर एकमात्र बीजेपी के अतिरिक्त अन्य सभी राजनैतिक दलों की मंशा बिलकुल स्पष्ट है कि वे मुस्लिमों की-“लव जिहाद” में संलग्नता को ही नहीं अपितु वे इस प्रकार की किसी भी जिहाद को सिरे से नकार देते हैं ! और ऐसे लोगों के साथ वही हिन्दू समाज आज भी खडा है जो १९४७ में भारत विभाजन के अवसर पर हिन्दूओं के पलायन और उनकी सामूहिक हत्याओं के अवसर पर बिडला भवन में-“रघुपति राघव राजाराम” की धून पर वेढंलों की तरह ताली बजा रहा था।
एक बात कहूँ ? थोडी कडवी लगेगी ! वैसे भी कुनैन कडवी होती है ! लव जिहाद के मूल में कान्वेंट कल्चर का सर्वाधिक योगदान है ! कान्वेंट में हमारे बच्चों को हिन्दू धर्म की प्रथाओं, देवी,देवता,पुराण,राम चरित मानस की उन बातों को बताया जाता है जिन्हें हमारे अतीत में बाबा साहिब और कांशीराम ने अपने अधकचरे ज्ञान से संदेहास्पद घोषित कर दिया ! और हमारे नेताओं ने भी अपने स्वार्थ अथवा संवैधानिक दबाव के कारण उसे मौन स्वीकृति दे दी ! किन्तु विचारणीय है कि इस्लाम और क्रिश्चियन संस्कृति ने उनके ऊपर लगे आक्षेपों को सिरे से नकार दिया। “प्रत्यक्षं कीं प्रमाणम् ?” अभी अभी दिनांक १६ जून को देवबंद ने फतवा निकाला कि उनके यहाँ शिक्षारत विद्यार्थी-“अंग्रेजी नहीं पढ सकते !” इतनी कट्टरता है इनमें और हमारा सर्वोच्य न्यायालय मौन ।
परिणाम स्वरूप कान्वेंट में पढी बच्चियाँ जब उच्च शिक्षा के लिये राष्ट्रीय संस्थानों में जाती हैं,अथवा किसी कम्पनी में कार्यरत होती हैं ! तो उनके लिये धर्म-“अफीम” की गोली बन जाता है अथवा  उनके लिये कलावा,तिलक और नाम ये बताने को पर्याप्त है कि उनका मित्र हिन्दू है ! और जब उनकी आँखें खुलती हैं तो वे निकाह पढकर किसी की बीबी बनने के बाद हलाला हेतु असहमत होने पर चाकुओं से हलाल होकर अंततः ७२ हूरों में शुमार हो जाती हैं,तब उनके माता-पिता कहते हैं कि हमारी बेटी को धोखा देकर उसने निकाह किया था ! किन्तु जब उनकी बेटी उस हत्यारे के साथ घूम रही थी तो उसका साथ भी इन्हीं तथाकथित कुलीन लोगों ने दिया था-“आनंद शास्त्री”

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