इंफाल। केंद्र और राज्य सरकारों के तमाम प्रयासों के बावजूद मणिपुर में हिंसा पर लगाम नहीं है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे और चेतावनियों के बाद राज्य में कुछ दिनों के लिए हिंसा थम गई थी लेकिन अब यहां फिर से माहौल में तनाव पसरा हुआ है. पिछले कुछ दिनों में कई बड़ी वारदातें सामने आई हैं. विद्रोहियों के निशाने पर सरकार है. सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों यहां हालात सामान्य नहीं हो रहे हैं. कहीं इसके पीछे चीन तो नहीं?
हिंसा की वारदात को अंजाम देने वाले उपद्रवी समूह केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आर के रंजन सिंह और मणिपुर की एकमात्र महिला मंत्री नेमचा किपगेन के आवास पर तोड़ फोड़ और आगजनी कर चुके हैं. इसके बाद हालात और भी तनावपूर्ण हो चुके हैं. संयोगवश आरके रंजन सिंह के घर जिस वक्त हमला हुआ, उस वक्त वो घर पर नहीं थे. करीब एक हजार से अधिक लोगों की भीड़ ने वहां आग लगा दी.
हालात को देखते हुए पूरे राज्य में इंटरनेट सेवा पर रोक है. गुरुवार से पहले राज्य में मंगलवार को एक झड़प में एक महिला समेत नौ लोगों की मौत हो गई थी. उपद्रवियों ने ये हमला इंफाल पूर्व में खुंद्राकपम विधानसभा क्षेत्र के खमेनलोक इलाके में किया था. पुलिस के मुताबिक भारी हथियारों से लैस विद्रोहियों ने खमेनलोक गांव पर हमला किया था. जिसमें 25 लोग घायल हो गये थे. मंगलवार और गुरुवार के हमलों के बाद पुलिस ने उपद्रवियों के बारे में जो इनपुट दिया है उसने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. मणिपुर के विद्रोही समूहों के पास भारी मात्रा हथियार देखे जा रहे हैं. सवाल ये उठ रहे हैं कि इनके पास इतने हथियार आखिर कहां से आ रहे हैं? कौन है जो इनको बैकअप दे रहा है? क्योंकि बिना बैकअप के हिंसक आंदोलन इतने दिनों तक नहीं खिंच सकता.
मणिपुर में बेलगाम हिंसा-आजगनी की वजह को समझने के लिए राज्य के बॉर्डर के हालात को समझना जरूरी है. कई लोगों ने हमले और हिंसा को लेकर म्यांमार स्थित विद्रोही शिविरों को जिम्मेदार ठहराया है. मणिपुर की सीमा म्यांंमार से मिलती है. बताया ये जा रहा है कि म्यांमार के रास्ते मणिपुर में हिसा फैलाई जा रही है. मणिपुरी विद्रोही इस पार हिंसा फैलाते हैं और म्यांमार सीमा के पार स्थित शिविरों में छुप जाते हैं.