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डिलीवरी के वक्त दोनों पैरों को जंजीरों से बांधा था…

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 इमरजेंसी की किस घटना को याद कर दत्तात्रेय होसबोले की आंखें हुई नम

नई दिल्ली: आपातकाल की 48वीं बरसी को याद करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि भीषण अत्याचार जो हुआ वह इतिहास के पन्नों में दर्ज है। आपातकाल के बारे में बात करते हुए दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर अत्याचार करना और उस पर प्रतिबंध लगाना तत्कालीन सरकार की प्राथमिकता थी। लोकतंत्र वाले किसी भी देश में, उत्पीड़न या आवाजों को दबाने का कोई भी प्रयास सफल नहीं हो सकता। दत्तात्रेय होसबोले ने बताया कि जब उन्हें इमरजेंसी लागू होने की सूचना मिली तब वह किस शहर में थे और उसी शहर में अटल-आडवाणी भी थे। आपातकाल के दौरान की एक घटना को याद करते हुए उनकी आंखें भी नम हो जाती हैं।

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि उन्हें सुबह 6 बजे आपातकाल लगने की सूचना मिली। उन्होंने कहा कि उस वक्त वह बेंगलुरु में थे और संघ की शाखा में जाते वक्त इसकी सूचना मिली। बेंगलुरु में ही अटल जी और आडवाणी जी उस वक्त मौजूद थे। उन्होंने बताया कि शाखा समाप्त होते ही हम लोग वहां गए। दोनों लोग जलपान के लिए नीचे आ रहे थे। मैंने कहा इमरजेंसी हो गई। तब लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा कि किसने कहा। उन्होंने कहा पीटीआई को फोन लगाओ तभी अटल जी ने उन्हें रोका।

एक और घटना के बारे में बताते हुए होसबोले ने कहा कि ओम प्रकाश कोहली थोड़े दिव्यांग थे पुलिस ने तिहाड़ में उनको लात मारा और काफी अपमान भी किया। पैरों पर खड़े होना उनके लिए मुश्किल था। तब वह कॉलेज के प्रोफेसर थे। ऐसी घटनाएं पूरे देश में हुईं। दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि आपातकाल तब लगाया जाता है जब देश को खतरा होता है। जब कोई व्यक्ति या पार्टी असुरक्षित और अस्थिर हो तो संविधान का दुरुपयोग लोकतंत्र में कभी नहीं होना चाहिए।

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