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दमदार हथियार होती है कलम !

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कलम की ताकत तलवार की ताकत से भी अधिक होती है और जो काम दुनिया में कलम कर सकती है, वह कोई और चीज नहीं कर सकती है। हालांकि,
कलम और तलवार की तुलना नहीं की जा सकती है क्योंकि कलम का उपयोग लेखन उद्देश्यों के लिए किया जाता है और तलवार का इस्तेमाल लड़ाई के उद्देश्यों के लिए किया जाता है।कलम लेखकों का दमदार हथियार है, जिसका उपयोग वे इतिहास बनाने के लिए कर सकते हैं। कलम रचनात्मक है, जबकि तलवार विनाशकारी है। कलम से कोई भी व्यक्ति अक्षर लिखता है, शब्द लिखता है, वाक्य लिखता है और लेखक की कलम का हमारे समाज, हमारे देश पर कहीं न कहीं बड़ा प्रभाव पड़ता है, इसीलिए लेखकों को यह चाहिए कि वे कलम का इस्तेमाल हमेशा सोच समझकर व सही तरीके से करें, क्यों कि कलम का एक एक शब्द,एक एक वाक्य अपना अमिट प्रभाव समाज पर छोड़ता है। तलवार का काम हिंसा का है लेकिन लेखन का कार्य कभी हिंसा का नहीं होना चाहिए।
लेखन का कार्य है सधे व शालीन तथा संयमित तरीके से समाज पर अपना प्रभाव छोड़ना, न कि हिंसा को जन्म देना। शब्दों में बल होता है, ताकत होती है और उसमें विभिन्न समस्याओं को हल करने,उनका समाधान करने कराने की ताकत होती है।सच तो यह है कि कलम और लेखन सभ्य व्यवहार, अच्छे व्यवहार, संयमित व्यवहार का संकेत देते हैं जो चीजों को प्राप्त करने के लिए क्रूर शक्ति का इस्तेमाल करने से कहीं अधिक बेहतर व अच्छा है। वास्तव में कलम या पेन दिखने में जरूर छोटी सी दिखाई देती है लेकिन इसमें बड़े बड़े काम करने करवाने की क्षमताएं निहित होती है। कलम की शक्ति बड़े बड़े स्तंभों को भी हिला सकती है बशर्ते कि उसमें बात को सही तरीके से कहने या रखने की ताकत हो। कोई लेखक किसी योद्धा से अधिक ताकतवर और शक्तिशाली होता है।
कहना ग़लत नहीं होगा कि एक छोटी सी कलम ही लोगों और समाज पर इतना बड़ा प्रभाव डाल सकती है जितना कि एक तेज तलवार भी नहीं डाल सकती है। यहां पाठकों को यह जानकारी देना चाहूंगा कि वर्ष 1839 में अंग्रेजी लेखक एडवर्ड बुलवेर-लिटलन द्वारा लिखी गई एक पुस्तक में ‘कलम तलवार से अधिक शक्तिशाली है।’ का इस्तेमाल किया गया था।  जानकारी मिलती है कि इसे उनके नाटक रिकेल्यू में भी स्थान दिया गया था। कलम से लिखी गई किताबें हमें शिक्षा और ज्ञान देती हैं जो हमेशा हमारे साथ रहता है। पेन अर्थात कलम का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। हम अपने मन के भावों या विचारों को कलम के माध्यम से बड़ी आसानी और सहजता से प्रकट कर सकते हैं। कलम हमारी अभिव्यक्ति का साधन है। कलम की मदद से मानव न सिर्फ स्वयं के बल्कि अन्य लोगों के विचारों को भी पढ़ सकता है,जान सकता है।
आज हम जिन शास्त्रों एवं साहित्य पर गर्व करते हैं ये कलम के कारण ही हमारे ज्ञान का स्रोत बन पाए हैं। कलम न होती तो कुछ भी नहीं होता‌। ज्ञान का स्थानांतरण कलम बखूबी कर सकती है। जानकारी देना चाहूंगा कि संसार  की  पहली  कलम को श्री गणेश जी ने अपने दांत को तोड़कर बनाया था। ज्ञात ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार आज से 5 हजार वर्ष पूर्व ईराक की मेसोपोटामिया सभ्यता से कलम का आविष्कार माना जाता है। हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो काल में भारत में कलम की उत्पत्ति मानी जाती है। कलम से किताबें लिखी जाती हैं, साहित्य लिखा जाता है और किताबें हमारी सच्ची साथी होतीं हैं, वे हमें जीवन दर्शन सिखातीं हैं, हमारी उन्नति, प्रगति का मार्ग प्रशस्त करतीं हैं। सच तो यह है कि लेखन में किन्हीं भी राजनीतिक नेताओं या अभिनेताओं, खेल, व्यक्तियों, समाज और देश आदि की छवि बनाने या नष्ट करने की शक्ति निहित होती है।
 सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर,कालमिस्ट व युवा साहित्यकार उत्तराखंड।

लेखक को कलम की ताकत के बारे में वास्तव में हमेशा बहुत ही सतर्क और दिमागदार होना चाहिए और बुद्धिमानी से, सधे हाथ से सोच समझकर लिखना चाहिए। हर लेखक को यह बात हमेशा हमेशा के लिए अपने जेहन में रखनी चाहिए कि लेखन युद्धों के दौरान शांति पैदा कर सकता है और शांति के दौरान युद्ध पैदा कर सकता है।लेखन लोगों को किसी सामाजिक या किसी भी राष्ट्रीय बुराई के खिलाफ खड़े होने के लिए एकजुट कर सकता है। लेखकों को यह बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए कि लेखन प्रेम, दया, घृणा, शत्रुता, सहानुभूति आदि जैसी विभिन्न भावनाओं को प्रेरित कर सकता है। लेखक किसी भी समाज और देश के मजबूत स्तंभ माने जाते हैं। एक अच्छे लेखक को समाज हमेशा सम्मान की दृष्टि से देखता है क्योंकि एक बेहतरीन लेखक के पास अपने लेखन के जादू के माध्यम से देश दुनिया , समाज को बदलने की शक्ति होती है। राष्ट्रीय स्तर पर भी, लेखकों की बहस और चर्चा विभिन्न देशों के बीच विभिन्न परिवर्तनों को पलों में हल कर सकती है। लेखक साहित्य लिखते हैं और साहित्य समाज में ज्ञान फैलाता है, ज्ञान का पौधा अच्छे लेखन से वटवृक्ष बनता है।

(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)
सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर,कालमिस्ट व युवा साहित्यकार उत्तराखंड।

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