चंद्रशेखर ग्वाला, बड़खोला, ४ जुलाई: घाटी के बड़खोला विधानसभा क्षेत्र का खरिल चाय बागान जो कई वर्षों से बंद पड़ी है , वहां कुछ भु-माफियाओं के विरोध तथा उनके चूंगल से अपना घर-बार बंचाने के लिए लगभग सौ से अधिक लोगों ने ऐक सभा किया। लगभग चालीस, पैंतालीस वर्षों से बंद इस चाय बगान के लोग इधर-उधर मजदूरी ,कुछ लोग वंधुआ मजदूरी करके, किसी प्रकार अपने तथा परिवार का पेट पाल रहे हैं ।
उक्त बागान के लोगों की दुर्दशा को देखने-शुनने वाला कोई भी राजनीतिक दल नही है। उक्त सभा में लोगों ने बताया कि चाय बगान के लोगों के जानकारी के वगैर खरिल बागान के हजारों एकड़ जमीन माफियाओं द्वारा बेंचा जा चुका है, खरिल बागान के हजारों बीघा जमीन पर माफियाओं द्वारा अवैध फिसारीआं बनवाया गया है, परंतु अब हम अपनी बगान के जमीन गैर बगानी लोगों को खरीदने नहीं देंगे। उनका कहना है कि खरिल बागान में आये दिन रामपुर चाय बगान के महाप्रबंधक के नाम पर कुछ दलाल प्रकृति के लोगों द्वारा खरिल बगान के पतित जमीन पर चारा उगाने के लिए कई स्थानों पर कामजारी भी करवाया जा रहा है ।
परंतु स्थानीय मजदूरों को कभी भी महाप्रबंधक या उनकी पक्ष का किसी भी ब्यक्तिओं मुलाकात नहीं करने दिया गया। लोगों ने कहा कि खरिल बागान कई एकड़ जमीनों में स्थायी रुप से गैर बागानी भिन्न समुदाय तथा जिहादी लोगों की बस्ती बनवाया जा चुका है। अब मजदूरों के आवास से संलग्न बंची खुची जमीनों पर कब्जा करने का प्रयास चलाया जा रहा है, जो असहनीय है। कुछ लोगों का प्रश्न है कि आखिर चाय बगान की जमीनें बेंच कौन रहा है। अंत में जमा हुए लोगों ने आगे चलकर शिलचर के जिलाधिकारी एवं असम चाय निगम के अध्यक्ष राजद्वीप ग्वाला तक अपनी आपबीती समस्याओं को लेकर एक ज्ञापन देने का निर्णय लिया।