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बहुआयामी व्यक्तित्व के नेता ‘बाबू द्विजेन्द्रराय शर्मा पंचतत्व में विलीन

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प्रे.सं.दुर्लभछोरा, ८ फरवरी : विगत बृहस्पतिवार रात्रि के ९.३० तक यह समाचार मिला और बराक उपत्यका के सभी अंचलों में एक शोक की लहर फैल गयी, कुछ पलों के लिए मानों सबकुछ स्तब्ध सा हो गया। किसी को भी विश्वास करना कठिन हो रहा था कि राताबाड़ी, करीमगंज के जन जन के चहेते. मिलनसार स्वभाव के बहुआयामी व्यक्तित्व के नेता द्विजेन्द्र राय शर्मा इस धाम को छोड़कर महाप्रयाण कर चुके हैं। वे अपने पीछे पत्नी, दो पुत्र, नवासा, नवासी, भगिनों इत्यादि से भरा पूरा परिवार एवं लाखों प्रशंसक, समर्थक था, छोड़ गये हैं। बाबू द्विजेन्द्र राय शर्मा जी का जन्म राताबाड़ी के एक कुलीन जमींदार परिवार में सन् १९४८ में हुआ था, बचपन के दिनों स्थानीय पाठशाला, हाईस्कूल से पढ़ाई समाप्त कर उच्च शिक्षा हेतु शिलचर के गुरुचरण कालेज से सन् १९७२ में वाणिज्य विषय से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात सरकारी सेवा में नियुक्त हुए, बतौर सचिव बिहाड़ा,काछाड़ के सहकारी संस्था में (को-ऑपरेटिव सोसाइटी) में १९७६ में दायित्व ग्रहण किये। इसी वर्ष उनकी शादी श्रीमती ऊषा राय शर्मा से हुई।
सन् १९७६ उनके जीवन का खूबसूरत मोड़ था, जहाँ से वे आगे बढ़ते गये और कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा,बतौर सचिव सन् १९८० में उनका स्थानान्तरण वांगिरबंद को-ऑपरेटिव सोसाइटी में हुआ, जहाँ वह अवसर ग्रहण तक कार्यरत रहे। सन् २००७ में अवसर ग्रहण करने के बाद भी विभागीय निर्देश से उन्हें सेवा विस्तार मिला यहाँ वे २०१८ तक कार्यरत रहे। सन् २०१८ के पंचायत चुनाव में चेरागी जिला परिषद सदस्य के भाजपा उम्मीदवार बनकर राजनैतिक क्षेत्र में पहली बार कदम रखने वाले शर्माजी अपनी साफ सुथरी छवि, वजनदार पारिवारिक पृष्ठभूमि एवं अपनी लोकप्रियता के बल पर भारी मतों से निर्वाचित घोषित हुए। इस तरह राजनीति में कदम रखकर एक और सफलता की ओर बढ़ रहे शर्माजी को क्रूर नियति के हाथों पराजित होना पड़ा। शर्माजी के अंत्येष्ठि में हजारों लोग जमा हुए, जिसमें सभी राजनैतिक दलों के नेताओं ने उनके प्रति अपने सम्मान को व्यक्त किया, लगभग सभी संप्रदाय धर्म के लोगों ने अपने इस चहेते नेता को उनके गाँव के श्मशान घाट पर अलविदा कहा।
उनके न रहने से स्थानीय हिन्दीभाषी जनमानस में एक भारी खालीपन और अपूरणीय क्षति महसूस किया जा सकता है द्विजेन्द्र राय शर्मा एक लम्बे काल तक अपने ज्ञान, व्यवहार और सामाजिक योगदान के लि याद किए जाएंगे। वर्तमान समय में वे दुर्लभचेरा सरकारी चिकित्सालय के परिचालन मंडल के अध्यक्ष थे उसके अलावा निबिया सरकारी चिकित्सालय के भी अध्यक्ष थे, दुर्लभछोरा सरस्वती विद्या मंदिर परिचालना मंडल के अध्यक्ष तथा करिमगंज जिला योजना एवं उन्नयन प्रकोष्ठ के बतौर अध्यक्ष का दायित्व निर्वाह कर रहे थे।
अंततोगत्वा उनकी अनुपस्थिति समाज और अंचल दोनों के लिए अपार क्षति है।

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