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उत्तर पूर्वी क्षेत्र व्यापक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है: लोक सभा अध्यक्ष

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29 जुलाई, 2023; शिलांग: लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला ने आज शिलांग, मेघालय में सीपीए, भारत क्षेत्र जोन – III के 20वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया।
मेघालय के मुख्य मंत्री, श्री कॉनराड के. संगमा; राज्य सभा के उप सभापति,श्री हरिवंश; मेघालय विधान सभा के अध्यक्ष, श्री थॉमस ए संगमा; अरुणाचल प्रदेश विधान सभा के  अध्यक्ष और सीपीए इंडिया रीजन ज़ोन – III के चेयरमैन, श्री पसांग डी सोना; संसद सदस्य; मेघालय विधान सभा के सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम में शामिल हुए ।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री बिरला ने सम्मेलन के आयोजन के लिए राष्ट्रमंडल संसदीय संघ, भारत क्षेत्र जोन III और विशेष रूप से मेघालय विधान सभा को बधाई दी। उन्होंने उत्तर पूर्व क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए एक उपयोगी मंच उपलब्ध कराने के लिए अरुणाचल प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष तथा सीपीए इंडिया रीजन जोन-III के अध्यक्ष, श्री पसांग डी. सोना का आभार व्यक्त किया। श्री बिरला ने लोक सभा के पूर्व अध्यक्ष और मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री, श्री पी ए संगमा का स्मरण करते हुए मेघालय के विकास और भारत के संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने में उनके योगदान की सराहना की।
 इस बात का उल्लेख करते हुए कि सीपीए इंडिया क्षेत्र का जोन-III सभी चार जोनों में सबसे अधिक सक्रिय है, श्री बिरला ने हर्ष व्यक्त किया कि  अब तक आयोजित किए गए 20 वार्षिक सम्मेलन संसदीय लोकतंत्र के मूल्यों और आदर्शों के प्रति इस जोन की प्रतिबद्धता को दर्शाते है। उत्तर पूर्व क्षेत्र की विधान सभाओं के बारे में  श्री बिरला ने कहा कि इन  सभाओं की बैठक में बिना व्यवधान के सार्थक और गंभीर चर्चाएं होती हैं। इस चर्चा और संवाद का सार्थक निष्कर्ष भी होता है जो इस क्षेत्र और देश के लिए लाभकारी सिद्ध होता है।
सम्मेलन के विषय पर बोलते हुए श्री बिरला ने कहा कि  ‘प्राकृतिक आपदाएँ और उत्तर पूर्व क्षेत्र के विशेष संदर्भ में इन आपदाओं के प्रबंधन के लिए रणनीतियाँ’; और  ‘उत्तर पूर्व क्षेत्र को मुख्य भूमि भारत के बराबर लाने के लिए क्षेत्रीय कनेक्टिविटी’  जैसे विषय प्रासांगिक और समसामयिक हैं। उत्तर पूर्व में जैव विविधता हैं और यहाँ होने वाले किसी भी पारिस्थितिकीय  असंतुलन का पूरे भारत की पर्यावरणीय स्थिति पर दूरगामी प्रभाव हो सकता हैं। इसलिए ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा  प्रबंधन की  बेहतर तैयारी करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बार पर जोर दिया कि    आपदा से निपटने के लिए आवश्यक है कि ऐसी नीतियाँ तैयार की जाएं  जिसमें पर्यावरण संबंधी नुकसान को रोका जा सके।
आपदा प्रबंधन के लिए नीति निर्माण के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री बिरला ने कहा कि हमें प्रधानमंत्री के 10-सूत्रीय एजेंडा  पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जिसमें स्थानीय क्षमताओं  के निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।   श्री बिरला ने कहा कि भारतीय विकास मॉडल सस्टेनेबिलिटी पर आधारित है और समय के साथ, प्रौद्योगिकी के उपयोग और मानव संसाधनों के इष्टतम उपयोग के साथ, हमने आपदा तैयारी और प्रबंधन को मजबूत किया है।
‘उत्तर-पूर्व क्षेत्र को मुख्य भूमि भारत के बराबर लाने के लिए क्षेत्रीय कनेक्टिविटी’ की बात करते हुए श्री बिरला ने कहा कि उत्तर पूर्व में मुख्य भूमि  के समकक्ष आने की आर्थिक क्षमता है। इसके लिए सबसे पहले आवश्यक है – बुनियादी ढांचे का विकास । इस सन्दर्भ में उन्होंने पीएम गति शक्ति, उत्तर पूर्व में राष्ट्रीय राजमार्ग का विस्तार, उड़ान योजना के तहत ऑपेरशनल हवाईअड्डों की संख्या में वृद्धि, दूरसंचार क्षेत्र, अंतर्देशीय जलमार्ग, वन अभयारण्य, औद्योगिक पार्क आदि कई परियोजनाओं का उल्लेख किया। यह विचार व्यक्त करते हुए कि  उत्तर पूर्वी क्षेत्र व्यापक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है , श्री बिरला ने कहा कि इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के अलावा एक्ट ईस्ट नीति के अंतर्गत  क्षेत्रीय सहयोग और कनेक्टिविटी का ‘फोकल प्वाइंट’ बनाने के लिए भी प्रयास किया जा रहे हैं  जिससे राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर क्षेत्रीय एकजुटता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि  समग्र उत्तर पूर्व क्षेत्र अब एक व्यापक बदलाव की ओर बढ़ रहा है । सभी हितधारकों को इस बात पर ध्यान देना होगा कि विकास की प्रक्रिया में हम मानवीय मूल्यों और नैतिकता के मार्ग से विचलित न हों और अपनी परंपरा, अपनी विरासत, अपनी संस्कृति की रक्षा करें।
उत्तर-पूर्व में बीते दिनों हुए घटनाओं का उल्लेख करते हुए श्री बिरला ने कहा कि ये घटनायें मानवता और सामाजिक व्यवस्था के स्तर पर हमारे लिए बहुत दुखद है। किसी के साथ हमारा व्यवहार उसको किसी भी तरह की पीड़ा पहुंचाने वाला न हो, उसकी मान-मर्यादा को ठेस पहुंचाने वाला न हो, ऐसा हमारा प्रयास होना चाहिए और एक व्यक्ति के रूप में, एक समाज के रूप यह हमारा नैतिक कर्तव्य है।  श्री बिरला ने क्षेत्र में शांति की अपील की और कहा कि  शांति ही विकास का आधार है ।
सम्मेलन में आये सभी प्रतिनिधियों का हार्दिक स्वागत करते हुए, मेघालय के मुख्य मंत्री, श्री कॉनराड के.  संगमा ने कहा कि सीपीए समय के साथ विकसित हुआ है और  साझा प्रतिबद्धता के साथ सभी सदस्यों को एक साथ लाने के लिए एक प्रभावी मंच साबित हुआ है। श्री संगमा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, चक्रवात, सूखा जैसी आपदाएँ विकास की गति में बाधा डालती हैं। गारो हिल्स में हाल में आई बाढ़ का उल्लेख करते  हुए श्री संगमा ने बताया कि सरकारी एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों और स्वयंसेवकों द्वारा इसके प्रभाव को कम करने के लिए समय पर और सुसंगत दृष्टिकोण अपनाया गया था। उन्होंने कहा कि इन एजेंसियों के संयुक्त प्रयासों से बाढ़ के विनाशकारी प्रभाव को काफी हद तक नियंत्रित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप उपलब्ध संसाधनों को बाढ़ पीड़ितों  तक पहुंचाने का एक सुव्यवस्थित तंत्र तैयार हुआ। उनका मानना था कि हर समुदाय में यह प्रतिबद्धता  होनी चाहिए ताकि वे किसी भी आपदा में लोगों को बचाने के लिए  कार्य कर सकें। “उत्तर-पूर्व क्षेत्र को मुख्य भूमि भारत के बराबर लाने के लिए क्षेत्रीय कनेक्टिविटी” पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, श्री संगमा ने कहा कि पर्यटन, बुनियादी ढांचे, खाद्य प्रसंस्करण और अन्य  प्रमुख क्षेत्रों में नीतिगत हस्तक्षेप से  यह  क्षेत्र एक निवेश स्थल के रूप में विकसित हो रहा है ।
राज्य सभा के उपसभापति, श्री हरिवंश ने क्षेत्रीय महत्व के विभिन्न विषयों पर संवाद बनाए रखने की पहल करने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र के पीठासीन अधिकारियों की सराहना की। बेहतर कनेक्टिविटी की बात करते हुए, उप सभापति महोदय ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए सतत विकास और योजना तैयार करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों के लिए, जलवायु परिवर्तन और अधिक और तत्काल चिंता का विषय है जिसके लिए  रणनीतियों पर जोर दिए जाने की आवश्यकता है। इसलिए, इस ओर ध्यान देना  महत्वपूर्ण है कि आपदा प्रबंधन एक अलग नीति नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे  प्रत्येक राज्य में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए व्यापक योजना में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि हमारे पास जलवायु परिवर्तन के बारे में राज्य स्तर की कार्य योजनाएं हैं, लेकिन नवीनतम वैज्ञानिक साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए इन योजनाओं पर नियमित रूप से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। श्री हरिवंश ने इस बात पर जोर दिया कि  जलवायु कार्य योजनाओं के वित्तपोषण की योजना बनाना भी आवश्यक है।
अरुणाचल प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष और सीपीए इंडिया रीजन ज़ोन – III के चेयर मैन श्री पसांग डी सोना ने विधायकों और नीति निर्माताओं को विभिन्न मुद्दों और नीतियों पर मिलजुलकर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए सीपीए की सराहना की।
मेघालय विधान सभा के अध्यक्ष श्री थॉमस ए. संगमा ने स्वागत भाषण दिया।
सम्मेलन का समापन 30 जुलाई, 2023 को मेघालय के माननीय राज्यपाल, श्री फागू चौहान के विदाई भाषण के साथ होगा।
लोक सभा अध्यक्ष गुवाहाटी में असम विधान सभा के नये भवन का उद्घाटन करेंगे।
रविवार, 30 जुलाई, 2023 को लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला गुवाहाटी में असम विधान सभा के नए भवन का उद्घाटन करेंगे
असम के मुख्य मंत्री, श्री हेमंत बिस्वा सरमा; केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री, श्री सर्बानंद सोनोवाल; असम विधान सभा के अध्यक्ष, श्री बिस्वजीत दैमारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर की शोभा बढ़ाएंगे

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