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काठीघोड़ा मदारपुर में निर्माण के कुछ ही दिनों के बाद जगह-जगह सिसक रही है बोरिया

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काठीघोड़ा मदारपुर में निर्माण के कुछ ही दिनों के बाद जगह-जगह सिसक रही है बोरिया

 

संवाददाता काठीघोड़ा, 1 अगस्त: नदी कटाव निरोधक परियोजना के पूरा होने के कुछ ही महीनों के भीतर जिओ बैग नीचे की ओर धंस रहा है! जिला प्रशासन के अधिकारी ने काठीघोड़ा मदारपुर में बराक नदी के कटाव निरोधक कार्य का निरीक्षण किया। स्थानीय लोगों को निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर संदेह है एसडीआरएफ प्रोजेक्ट की लागत साढ़े चार करोड़ है। काठीघोड़ा मदारपुर क्षेत्र में बराक नदी के तीन सौ नब्बे मीटर लंबे हिस्से के कटाव को रोकने के लिए एसडीआरएफ परियोजना से 4.5 करोड़ रुपई स्वीकृत किए गए हैं।  कार्य शुरू होने के कुछ ही महीने के अंदर जिओ बैग जगह-जगह से नीचे धंसने लगा।

 काछार के अतिरिक्त जिला आयुक्त युवराज बरठाकुर ने शनिवार को जल संसाधन विभाग के कार्यकारी अभियंता मजारुल इस्लाम, सहायक कार्यकारी अभियंता चानमणि सिन्हा, आपदा प्रबंधन विभाग के जिला अधिकारी शमीम अहमद लस्कर और काठीघोड़ा के सर्कल अधिकारी डॉ. रॉबर्ट टेरर के साथ परियोजना स्थल का दौरा किया। जिलाधिकारी युवराज बरठाकुर ने 390 मीटर की इस परियोजना का दौरा करते हुए बताया कि, काठीघोड़ा मदारपुर का यह इलाका पिछले साल बाढ़ के दौरान बराक नदी में डूब गया था.  बाद में जल संसाधन विभाग द्वारा तीन सौ नब्बे मीटर के कटाव को रोकने के लिए एक परियोजना प्रस्तावित की गयी.  हमेशा की तरह इस प्रोजेक्ट के लिए एसडीआरएफ से साढ़े चार करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये और कांटेक्टर ने दिन-रात मेहनत कर काम पूरा किया.  संचालन के दौरान समय-समय पर जल संसाधन विभाग के साथ जिला प्रशासन द्वारा इसका निरीक्षण किया जाता है।  अपर जिलाधिकारी युवराज बरठाकुर ने दृढ़ विश्वास व्यक्त किया कि कार्य काफी अच्छा हुआ है।  इस बीच, स्थानीय लोगों की शिकायत है कि काम पूरा होने के कुछ महीनों के भीतर जियो बैग गिर जा रहे हैं, इस बारे में पूछे जाने पर अपर जिलाधिकारी युवराज ने कहा कि ऐसे मामले में ठेकेदार को इसकी मरम्मत करने का निर्देश दिया जाएगा.
 वहीं, स्थानीय लोगों की शिकायत है कि साढ़े चार करोड़ रुपये की इस परियोजना के पूरा होने के कुछ ही महीनों के भीतर जियो बैग नदी में समा रहे हैं.  कुछ दिन पहले स्थानीय लोगों द्वारा जिलाधिकारी से शिकायत करने पर उन जगहों पर नये जियो बैग रखवाये गये जहां जियो बैग नीचे तक धंस गये थे.  इस बार कोई बड़ी बाढ़ नहीं आई, अगर इस बीच बोरियां डूब गईं तो क्या ये बोरियां बड़ी बाढ़ से बचा पाएंगी?  स्थानीय लोगों के मन में इसे लेकर काफी संशय है।

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