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अब वहां होगा मतदान, जहां नक्सली हथियार चलाना सीखते थे, पहली बार गांव में वोट डालेगे मतदाता

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पलपल संवाददाता, जगलदपुर.छत्तीसगढ़ के तुलसी डोंगरी की तराई पर बसे  इस गांव को नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. यही पर नक्सलियों को ट्रेनिंग दी जाती है, नक्सलियों का ही साम्राज्य रहा, जिसके चलते गांव में मतदान नहीं होता था. लेकिन इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदान होगा.

छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने के बाद यह पहला अवसर होगा जब गांव में ही मतदान केंद्र बनाए जाएंगे. जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र के इस गांव के लगभग 337 मतदाता बेखौफ होकर वोट डालेंगे. उंगली में अमिट स्याही लगाएंगे. चुनाव के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होंगे. बस्तर के संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से महज 60 से 70 किमी की दूरी पर चांदामेटा गांव बसा है. जगदलपुर से कोलेंग और चिंगुर होते हुए चांदामेटा पहुंचा जाता है. यह गांव घने जंगल व पहाड़ी से घिरा हुआ है. कोलेंग को नक्सलियों की राजधानी व चांदामेटा को नक्सलियों का गढ़ कहा जाता था. यहां स्थित तुलसी डोंगरी में नक्सलियों का ट्रेनिंग सेंटर हुआ करता था. नक्सली अपने लाल लड़ाकों को हथियार चलानाए मुठभेड़ में कामयाबी हासिल करने का प्रशिक्षण देते रहे. गौरतलब है कि कुछ वर्ष पहले ही नक्सलियों के इस गढ़ में फोर्स का कैंप स्थापित हुआ. फिर इस पूरे इलाके को जवानों ने अपने कब्जे में ले लिया. इस क्षेत्र में सक्रिय हार्डकोर नक्सली सोनाधर को जवानों ने खदेड़ दिया था. वहीं पहाड़ी के पीछे ओडिशा पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया. दूसरा नक्सली संजीव इलाके को छोड़कर चला गया है. जिसके बाद से यह क्षेत्र थोड़ा शांत हुआ है. जवानों ने नक्सलियों के ट्रेनिंग सेंटर को भी ध्वस्त कर करीब अपना कैंप स्थापित कर दिया था. अब जब धीरे-धीरे गांव के हालात सुधरे तो प्रशासन इस गांव में ही वोटिंग करवाने की तैयारी कर रहा है. यहां पर अब लोग नक्सलियों का साथ देने की बजाए विकास के पक्षधर हो गए हैं. कुछ गांव वालों ने बताया किए पहले नक्सलियों का समर्थन करना उनकी मजबूरी थी. लेकिन अब स्कूल, अस्पताल, सड़क, पुल-पुलिया की आवश्यकता है.

2022 में पहली बार मनाया गया आजादी का जश्न-

बताया जाता है कि चांदामेटा गांव में कैंप खुलने के बाद पहली बार वर्ष 2022 में पहली बार आजादी का जश्न मनाया गया था. छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद पहली बार 15 अगस्त को जवानों संग ग्रामीणों ने तिरंगा फहराया था. इससे पहले इस इलाके में नक्सली 15 अगस्त और 26 जनवरी को काला झंडा फहराते थे. इस पूरे इलाके में दरभा डिवीजन के नक्सलियों की हुकूमत चलती थी. खूंखार नक्सली सोनाधर बड़े लीडरों में से एक था. उसके एनकाउंटर के बाद से नक्सल दहशत कम हुई है. लेकिन अब भी दरभा डिवीजन के 4 से 5 इनामी नक्सलियों की मौजूदगी उस इलाके में है.

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