शिलचर, ८ अगस्त: विभागीय कार्यकारी अधिकारी योगेश चंद्र तालुकदार ने कहा कि काछार को रेशम की शानदार क्षमता का उपयोग करना चाहिए। बराक घाटी में रेशम खेती और संबंधित कपड़ा उद्योग की क्षमता है, इस क्षेत्र में लोगों को इसके बारे में अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है। क्षमता के बावजूद, बराक घाटी में इस विषय पर अभ्यास की कमी है। रविवार को शिलचर प्रेस क्लब में आज के अतिथि समारोह में रेशम विभाग के सहायक निदेशक योगेश चंद्र तालुकदार ने कहा कि पूरे राज्य के साथ-साथ काछार और इसकी पारंपरिक परंपराओं को देश-विदेश में काफी सराहा जाता है। काछार मुख्य रूप से राजवंशीय है और दिमा हसाओ की महिलाएं रेशम किट की खेती और इसके प्रसंस्करण से जुड़ी हुई हैं, लेकिन आजकल अन्य समुदायों की महिलाएं भी इसमें शामिल हो रही हैं और इस प्रकार क्षेत्र में उज्ज्वल क्षमता का विस्तार हो रहा है। उन्होंने कहा पहल मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा के पड़ोसी राज्यों के आसपास काफी विस्तार करेगी। शिलचर के रेशम केंद्र को विकसित करने के प्रयास चल रहे हैं। कार्यक्रम में शिलचर प्रेस क्लब के महासचिव शंकर डे ने कहा कि रेशम खेती और संबंधित उद्योगों में पर्याप्त अभ्यास और पहल की आवश्यकता है। क्लब के उपाध्यक्षों में से एक रितेन भट्टाचार्य, प्रो सुब्रत, सामाजिक कार्यकर्ता सुमंत भट्टाचार्य, सौमित्र दत्त रॉय, देवदुलाल मालाकार, अभिजीत भट्टाचार्य सहित अन्य उपस्थित थे।




















