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बराक(बंगाल)उपत्यका में हिन्दी-“शत्रु भाषा” चिन्हित की गयी ?

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सम्माननीय मित्रों ! आज समूचे कछार में ! बराक उपत्यका में ही नहीं अपितु पूर्वोत्तर भारत के समूचे बांग्ला भाषी समुदाय के कुछेक तथाकथित दुष्ट राजनीतिज्ञों में भय व्याप्त है ! इनको असमिया ही नहीं अपितु हिन्दी भाषा से भी भय लगता है ! इनका बांग्ला भाषी उन घुसपैठियों से अपनत्व है जिनसे सहानुभूति का ढोंग कर ममता बनर्जी धीरे-धीरे आज पश्चिम बंगाल की राजनीति करते-करते भारत गणराज्य के टुकड़े करवाने का दुःस्वप्न देख रही हैं।मेरे इस कथन के पीछे आने वाले कल के भयानक और गंभीर सत्य छुपे हुए हैं ! “प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो अर्थात पीआईबी”के कार्यक्रम में मैं समूचे देश के कछार जैसे सीमांत अथवा भाषायी कट्टर क्षेत्रों में आप एक समानता देखेंगे कि मराठी,बंगाली,कन्नड़,गुरूमुखी,मलयालमी भाषायी समुदाय के लोगों ने जानबूझकर हिन्दी को दोयम ही नहीं अपितु-“शत्रु भाषा” के रूप में चिन्हित कर रखा है।
पीआईबी राष्ट्रीय स्तर की वो संस्था है जिसके अंतर्गत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की मीडिया इकाइयों के साथ-साथ अन्य मंत्रालयों तद्सम्बन्धित विभागों,राष्ट्रपति सचिवालय, उपराष्ट्रपति सचिवालय,प्रधानमंत्री कार्यालय, लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय सहित अन्य सरकारी इकाइयों के साथ-साथ राज्यों के मुख्यमंत्री,राज्यपाल एवं राज्य और भारत सरकार के विभिन्न कार्यों की सूचनाएं  फोटो कवरेज के माध्यम से ! मित्रों आप ध्यान देना! विजुअल अर्थात-“(जैसे एक उदाहरण आप देखें-परमाणु अस्त्र रहित दुनिया, यह हमारा सपना है, जिसे हम साकार करना चाहते हैं) “भविष्य की योजनाओं में  सहयोग प्रदान करने को अधिकृत हैं ! ऐसी संस्था अर्थात पीआईबी द्वारा प्रेरणा भारती को आधिकारिक निमंत्रण न देना ये स्पष्ट करता है कि ये लोग यहाँ के हिन्दी भाषी समुदाय से राजकीय,राजनैतिक,केन्द्रीय सभी स्थानों पर हमारी आवाज से डरते हैं और इसी कारण वे हमारे प्रतिनिधि-“दिलीप कुमार-सीमा कुमार” को बुलाना ही नहीं चाहते।अर्थात ये लोग हिंदी भाषी समुदाय को यहाँ-“कुली,अशिक्षित और खरीदा हुवा गुलाम” मानते हैं।
अभी-अभी सर्वोच्य न्यायपालिका ने इस सन्दर्भ में टिप्पणी करते हुवे कहा है कि-” भारत में आधिकारिक रूप से बाइस अथवा इससे अधिक भी भाषायें हो सकती हैं,किन्तु-“हिन्दी” हमारी राष्ट्रभाषा है ! क्या इस वक्तव्य को कछार पीआईबी ने नहीं देखा ? दुर्भाग्य से स्थानीय रेडियो स्टेशन से प्रसारित हिन्दी संगीत और समाचारों को बन्द कर दिया गया।यहाँ तक कि इंटरनेट से सम्बद्ध फाइफ जी वाईफाई आप चलाते हैं तो इसमें आने वाले हिन्दी समाचारों के पूर्व भी बांग्ला विज्ञापनों को जबर्दस्ती घुसेड़ दिया गया।अर्थात बराक उपत्यका को “बंगाल-उपत्यका” बनाने की इस सोची समझी साजिश को न ही हम हिन्दीभाषी समुदाय के लोग समझते हैं,न ही हमारे मुख्यमंत्री श्रीमान हेमन्तो बिस्वशर्मा जी समझते हैं और-“सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर” जी तक ये संदेश न पहुंच सके इसलिए भारत सरकार के पीआईबी के-“प्रधान महा निर्देशक राजेश मलहोत्रा” के कानों में ये बात जाने से रोकने का यह गहरा षड्यंत्र है ये यहाँ के राजनैतिक प्रतिनिधियों की मिली भगत से हो रहा है।
मित्रों ! इंटरनेट मीडिया में ईमेल,सोशल मीडिया सभी साइट्स, वेबसाइटें और इंटरनेट-आधारित रेडियो और टेलीविजन जैसी सेवाओं का बराक उपत्यका में बांग्ला करण एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है।प्रेरणा भारती की वेबसाइट और ऐप का उद्घाटन इन लोगों को कांटे की तरह चुभ गया ! आप सभी को स्मरण दिलाना चाहता हूँ कि अमर शहीद मंगल पांडे जी के बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मेरे उद्बोधन को यहाँ के बांग्ला भाषी प्रतिनिधियों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था ! उन लोगों ने मंच से मेरे वक्तव्य का विरोध किया था ! मुझ पर भाषायी भेद फैलाने का आरोप लगाया था ! क्या आज पीआईबी की इस कार्यशैली का वे विरोध करेंगे ?
क्या प्रेरणा भारती को आउटडोर मीडिया अर्थात एआर विज्ञापन, केन्द्रीय और राज्य सरकारों से प्राप्त सूचनाओं को प्रसारित करने और विज्ञापन उपलब्ध न कराने का ये खुला षड्यंत्र नहीं है ? क्या हम हिन्दीभाषी समुदाय पर जबर्दस्ती बांग्ला भाषा थोपने का ये संज्ञेय अपराध नहीं है ? प्रिंट मीडिया के परिप्रेक्ष्य में भौतिक वस्तुओं के माध्यम से पत्रिकाएँ,समाचार पत्र अथवा कि सभी प्रकार के बैनर-लिफ्लेट आदि का इनके द्वारा बांग्ला करण करना आने वाले कल समूचे देश के लिये घातक सिद्ध हो सकता है।मैं समझता हूँ कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन और इनमें होने वाले सार्वजनिक भाषणों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जनसंचार माध्यमों का स्वरूप माना जाता है ! और इसी-“स्थानीय- राज्य स्तरीय-केन्द्रीय और अंतर्राष्ट्रीय” धरातल से हम हिंदी भाषी समुदाय को उपेक्षित करने का ये षड्यंत्र आने वाले कल बांग्ला देशी घुसपैठियों को अपना ! और हमें पराया मानने के कारण समूची बराक उपत्यका को केवल और केवल बंगाल उपत्यका बनाने का दुःस्वप्न देखने वालों के कारण इनका ये दुस्साहसिक आत्मघाती प्रयास भले ही इनको आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,विश्व हिन्दू परिषद, बीजेपी और असमिया सरकार का चाटुकार सिद्ध कर ले किन्तु इनके दुर्भाग्य से जब इनकी पोल २०२४ के चुनाव प्रचार और परिणामों में खुलेगी तो इनको दल बदलते देर नहीं लगेगी किन्तु इसके दुष्परिणाम को यहाँ की स्थानीय सामान्य जनता और राज्य सरकार को भुगतना होगा।
मैं स्पष्ट रूप से पीआईबी,स्थानीय तद्सम्बन्धित अधिकारियों और उस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों से पूछना चाहता हूँ कि उनके द्वारा बराक उपत्यका के एकमात्र हिन्दी दैनिक समाचार पत्र-“प्रेरणा भारती” को उपेक्षित करना क्या ये सिद्ध नहीं करता कि उनके द्वारा सर्वोच्य न्यायपालिका के आदेश और संघीय परम्परा का उल्लंघन किया गया ? और मित्रों-क्या स्थानीय पीआईबी ये भी नहीं जानती कि प्रेरणा भारती यहाँ का एक समाचार पत्र है(क्योंकि पूछे जाने पर उनके द्वारा इस संदर्भ में अनभिज्ञता प्रकट की गयी ) ? मैं साधुवाद देता हूँ दिलीप कुमार और सीमा कुमार को कि इन लोगों ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर हम हिन्दीभाषी समुदाय के स्वाभिमान की सुरक्षा की–“आनंद शास्त्री”

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