नई दिल्ली. चंद्रयान-3 को लेकर बड़ा अपडेट आया है। यान के प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैंडर सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया है। हालांकि, प्रोपल्शन मॉड्यूल वर्तमान कक्षा में कई महीनों या वर्षों तक अपनी यात्रा जारी रखेगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर अब खुद से लैंडिंग तक की यात्रा को पूरी करेगा। फिलहाल, चंद्रयान 3 चंद्रमा से केवल 100 किमी दूरी पर है, जिसकी यात्रा अब विक्रम लैंडर खुद से करेगा। लैंडर को अपनी स्पीड के साथ उंचाई को भी कम करना होगा।
लैंडर के अलग होने के बाद इसरो का ट्वीट आया है। अब तक प्रोपल्शन मॉड्यूल ही यात्रा को पूरी करवा रहा था। इसके लिए इसरो ने ट्वीट कर प्रोपल्शन मॉड्यूल का थैंक्यू भी बोला है। लैंडर मॉड्यूल के भारतीय समयानुसार शाम करीब चार बजे डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरते हुए चंद्रमा की कक्षा में थोड़ा और नीचे आने की संभावना है।” इसरो के सूत्रों ने कहा कि बृहस्पतिवार को प्रणोदन मॉड्यूल से अलग हुए लैंडर को एक ऐसी कक्षा में लाने के लिए ‘डीबूस्ट’ (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजारा जाएगा, जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से कक्षा का निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किमी की दूरी पर होगा, जहां से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास किया जाएगा। इस बीच, इसरो ने यह भी कहा कि प्रणोदन मॉड्यूल वर्तमान कक्षा में अपनी यात्रा महीनों/वर्षों तक जारी रखेगा।
चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। प्रणोदन और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की आज की कवायद से पहले इसे छह, नौ, 14 और 16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में नीचे लाने की कवायद की गई, ताकि यह चंद्र सतह के नजदीक आ सके। अब 23 अगस्त को चांद पर इसकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने का प्रयास किया जाएगा। इससे पहले, 14 जुलाई के प्रक्षेपण के बाद पिछले तीन हफ्तों में पांच से अधिक प्रक्रियाओं में इसरो ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी से दूर आगे की कक्षाओं में बढ़ाया था। गत एक अगस्त को एक महत्वपूर्ण कवायद में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से सफलतापूर्वक चंद्रमा की ओर भेजा गया।