फॉलो करें

” हरियाली तीज का महत्व “

169 Views
( 19 अगस्त , हरियाली तीज पर विशेष )
         संदीप अग्रवाल
    दत्ता बागान , डिब्रूगढ़ ( असम )
    9706113523
हरियाली तीज उत्तर भारत की विवाहित महिलाएं सावन महीने में मनाती हैं। खासकर बिहार , राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा में यह त्योहार बड़ी धूमधाम से मनता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन माह भारत में मानसून की अवधि में आता है , आमतौर पर जुलाई और अगस्त के महीने में |
यह माना जाता है कि जब विवाहित महिलाएं निर्जला (बिना पानी का उपवास) व्रत करती हैं तो उनके पति  लंबी और स्वस्थ जिंदगी जीते हैं। यहाँ तक कि उत्तर भारत में अविवाहित महिलाएं भी यह व्रत रखती हैं। इस मान्यता के साथ कि तीज माता (देवी) पार्वती के रूप में शक्ति की देवी) उन्हें भविष्य में एक अच्छा पति पाने में मदद करेगी। वैवाहिक सुख का आनंद उठाएगी।
प्रसिद्ध कथा :-
देवी शक्ति ही देवी सती के तौर पर भगवान शिव की पत्नी थी। हालांकि, देवी सती के पिता भगवान शिव का अपमान करते थे। इसका नतीजा यह हुआ कि देवी सती ने आत्मदाह कर लिया। यह शपथ लेकर कि वह पुनर्जन्म लेकर ऐसे पिता की बेटी बनेंगी जो अपने दामाद का सम्मान करता हो।
इस तरह देवी पार्वती भगवान हिमावत के घर जन्मीं जो भगवान शिव का सम्मान करते थे। देवी पार्वती को ही तीज माता के तौर पर जाना जाता है। हालांकि, भगवान शिव देवी  सती के निधन के बाद तपस्या में लीन हो गए थे। वह तो देवी पार्वती के होने की बात ही स्वीकार नहीं कर रहे थे। बार-बार उनकी उपस्थिति को खारिज कर रहे थे। देवी पार्वती ने कोशिश करना नहीं छोड़ा और तपस्या करने लगी। जब तक कि भगवान शिव उनके समर्पण को समझते और उन्हें अपनी पत्नी की तौर पर स्वीकार नहीं करते, तब तक के लिए , भगवान शिव ने आखिरकार देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया और सावन माह में शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन उनका  मिलन हुआ। सावन को मधुर श्रावणी के तौर पर भी जाना जाता है। यह लंबी जुदाई के बाद भगवान शिव और देवी पावती के मिलन का संकेत है।
देवी पार्वती ने वचन दिया था कि जो कोई भी महिला अपने पति के नाम पर व्रत करेगी, वह उसके पति को लंबी आयु और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद देंगी।
इस तरह हरियाली तीज पर विवाहित महिलाएं वैवाहिक सुख और
पति की लंबी आयु के लिए देवी पार्वती का आशीर्वाद लेती हैं। वहीं अविवाहित महिलाएं भगवान शिव जैसा पति हासिल करने के लिए व्रत रखकर देवी का आशीर्वाद लेती हैं।
सावन माह का महत्व :-
सावन माह भारत में मानसून की शुरुआत का संकेत होता है। जैसा कि हम जानते हैं कि मानसून एक नए जीवन और हमारे आसपास हरियाली का एक प्रतीक है। तेज गमियों के दिनों के बाद बारिश के तौर पर पृथ्वी को नया जीवन मिलता है। इस पर्व में हरियाली शब्द से ही साफ है कि इसका ताल्लुक पेड-पौधों और पर्यावरण से है। इस तरह सावन माह में मनाया जाने वाला हरियाली पर्व दंपतियों के वैवाहिक जीवन में समृद्धि, खुशी और तरक्की का प्रतीक है। एक तरह से हरियाली तीज का पर्व प्रकृति का त्योहार है, जब महिलाएं अच्छी फसल के लिए भी प्रार्थना करती हैं।
जश्न का वक्त : –
महिलाएं इस दिन व्रत करती हैं। पानी भी नहीं पीतीं। दुल्हन की तरह सजती हैं। खूबसूरत हरे कपड़े, जेवर पहनती हैं। अपनी हथेलियों पर मेहंदी लगवाती हैं। हरा रंग ही इस दिन का पारंपरिक रंग है। महिलाएं हरी चूड़ियां अपने हाथों में पहनती हैं। विवाहित महिलाओं को उनके ससुराल की ओर से एक बाल्टी भरकर कपड़े, जेवर, सौंदर्य प्रसाधन और मिठाइयां उपहार के तौर पर देने की परंपरा है। नवविवाहित महिलाएं अपनी पहली हरियाली तीज अपने मायके जाकर मनाती हैं।
इस त्योहार की एक और खास रीति यह है कि महिलाएं झुलों पर बैठकर
अपने आराध्य देवी-देवताओं की नकल करती हैं। झूले इस त्योहार का अभिन्न हिस्सा है। यह त्योहार कुछ मौज-मस्ती का वक्त है, इस वजह से पेड़ों पर झूले बांध जाते हैं। साथ ही, मानसून के दौरान भी झूला झूलने का अपना मजा है। बड़े मेले आयोजित होते हैं, जहां महिलाएं साथ आकर देवी तीज माता की तारीफ में गाने गाती हैं और जी भरकर झूला झूलती हैं।
हरियाली तीज इन राज्यों में उत्साह, भव्यता और धूमधाम से मनाया
जाता है:
गुजरात में महिलाएं पारंपरिक
कपड़े पहनकर अपने सिर पर घड़े रखती हैं और तीज माता की तारीफ में गाने गाती हैं।
महाराष्ट्र में महिलाएं हरे कपड़ों और जेवरों से लदी नजर आती हैं। सुनहरी बिंदी लगाने के साथ ही अच्छे भाग्य के लिए अंजन भी लगाती हैं। दोस्तों और परिजनों को खूबसूरती पेंट किए नारियल भेट करती हैं। देवी पार्वती को हरि सब्जियां और ताजे फल चढ़ाए जाते हैं।
वृंदावन (उप्र) में हरियाली तीज को खास अंदाज में मनाया जाता है। सभी मंदिरों में झूले चढ़ाए जाते हैं। इस तरह इस त्योहार को झूला लीला के नाम से भी जाना जाता है। भगवान को झुलाया जाता है। यह दिन काफी पवित्र माना जाता है। भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियों को मंदिर से बाहर निकालकर सोने से बने झूले पर झुलाया जाता है। यात्रा भी निकाली जाती है।
मौजूदा वक्त में इस त्योहार का महत्व :-
ग्रामीण इलाकों में मध्यमवर्गीय परिवारों में और संयुक्त परिवारों में रहने वाले दंपति के लिए जीवन नीरस हो जाता है। उसमें रोमांस के लिए न तो कोई रोमांच रहता है और न ही उत्साह,  शहरी दंपति के मुकाबले न तो उन्हें रोमांस के लिए जरूरी प्राइवेसी मिल पाती है और न ही वक्त | इन दंपतियों के जीवन में वैलेंटाइंस डे जैसा कोई अवसर नहीं होता, जब यह दंपति अपने जीवन और रिश्तों में फिर से प्यार का संचार कर सके। हरियाली तीज जैसे त्योहार साल में एक बार मनाए जाते है। यह एक कैटलिस्ट की तरह काम करते हैं। विवाहित युगल की जिंदगी में रोमांस का तड़का लगाते हैं। इस दिन पत्नियां खासतौर पर अपने पति के लिए तैयार होती हैं। उनका ऐसा करना पति के लिए उनके विशेष प्यार और लगाव को ही दर्शाता है। महिलाओं के व्रत करने से पति की उम्र लंबी होती है , या नहीं, यह पूरी तरह से प्रत्येक व्यक्ति की आस्था का विषय है, लेकिन इतना तो पक्का है कि यह त्योहार दंपति के आपसी प्यार को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
निष्कर्ष :-
यह त्योहार जीवन के जश्न का प्रतीक है। कोई भी ऐसा त्योहार जो प्यार बढ़ाता हो और लोक कल्याण की भावना को आगे बढ़ाता हो, उसका स्वागत होना चाहिए। बदलते वक्त के साथ, चेतन भगत की कुछ साल पहले दी हुई सलाह महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने पुरुषों से भी करवा चौथ का व्रत करने को कहा था। यदि पुरुष भी अपनी पत्नी की लंबी आयु के लिए व्रत रखने लगेंगे तो उनका आपसी प्यार और बढ़ जाएगा जिंदगी और खुशहाल हो जाएगी। आइए जीवन का जश्न मनाएं प्यार का जश्न मनाएं..
 हरियाली तीज की शुभकामनाएं।
संदीप अग्रवाल
दत्ता बागान , डिब्रूगढ़ ( असम )
9706113523

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल