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दिशा रवि और ग्रेटा थनबर्ग के बीच वॉट्सऐप पर क्‍या बात हुई

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दिल्‍ली पुलिस के अनुसार, वॉट्सऐप पर ग्रेटा थनबर्ग और दिशा रवि के बीच टूलकिट को लेकर कई बार बात हुई। दिशा ने वो सभी चैट्स बाद में डिलीट कर दीं।

दिल्‍ली पुलिस ने किया वॉट्सऐप चैट हासिल करने का दावा।
हाइलाइट्स:
दिल्‍ली पुलिस का दावा, दिशा रवि के फोन से मिले हैं अहम सुराग
वॉट्सऐप चैट रिट्रीव की गई, ग्रेटा थनबर्ग से हुई थी लंबी बातचीत
एक वक्‍त दिशा ने ग्रेटा से कहा- हम लोगों पर UAPA लग सकता है
दिशा ने ग्रेटा को दिया था भरोसा, तुम पर आंच नहीं आने देंगे
नई दिल्‍ली
टूलकिट मामले में दिल्‍ली पुलिस ने गिरफ्तार की गई ऐक्टिविस्‍ट दिशा रवि की वॉट्सऐप चैट्स रिट्रीव करने का दावा किया है। स्‍वीडन की क्‍लाइमेट ऐक्टिविस्‍ट ग्रेटा थनबर्ग और दिशा के बीच कई बार चैट हुई। इस चैट में टूलकिट का जिक्र था। दिशा ने ग्रेटा के साथ बातचीत में यह भी कहा कि उन दोनों पर UAPA के तहत कार्रवाई हो सकती है। दिशा ने टूलकिट लीक होने के बाद ग्रेटा से यह भी पूछा कि क्‍या कुछ समय तक बिल्‍कुल चुप रहना चाहिए। दिल्‍ली पुलिस का दावा है कि दिशा ने ही टेलिग्राम पर थनबर्ग को टूलकिट डॉक्‍युमेंट भेजा था और उसे इसपर ऐक्‍शन लेने को कहा।

पुलिस के अनुसार दिशा ने एक वॉट्सऐप ग्रुप भी डिलीट किया है। साथ ही कुछ चैट्स भी डिलीट की गई हैं जिसमें टूलकिट को लेकर बातचीत हुई थी। पुलिस के मुताबिक, इन्‍हीं सबके बाद दिशा को गिरफ्तार करने का फैसला किया गया। दिल्‍ली पुलिस के अनुसार, कनाडा में रहने वाली पुनीत नाम की महिला ने दिशा, निकिता जैकब और शांतनु को एक-दूसरे से जोड़ा था।

ग्रेटा थनबर्ग: बड़ा अच्‍छा होता अगर ये अभी तैयार होता, इसके चक्‍कर में मुझे कई धमकियां मिलतीं। इसने तो हंगामा खड़ा कर दिया।

दिशा रवि: शिट, शिट, शिट… अभी भेज रही हूं। क्‍या तुम टूलकिट को बिल्‍कुल ट्वीट नहीं कर सकती हो?
दिशा रवि: क्‍या अभी हम कुछ भी नहीं बोल सकते? मैं वकीलों से बात करती हूं। आई एम सॉरी, इसमें हमारा नाम है और हम लोगों के खिलाफ यूएपीए लग सकता है। क्‍या तुम ठीक हो?
ग्रेटा थनबर्ग: मुझे कुछ लिखना है।
दिशा रवि: क्‍या तुम मुझे 5 मिनट दे सकती हो? मैं वकीलों से बात कर रही हूं।
ग्रेटा थनबर्ग: कई बार इस तरह की नफरत वाली आंधी आती है और ये वाकई जबर्दस्‍त होती है।
दिशा रवि: पक्‍का… मुझे माफ करना, हम सब डर गए क्‍योंकि यहां हालात खराब होने लगे हैं लेकिन हम ये सुनिश्चित करेंगे कि तुमपर आंच न आए। हमें सभी सोशल मीडिया हैंडल्‍स को डीऐक्टिवेट करना होगा।

Anti India Organisations : टूलकिट केस में सामने आई खालिस्तानी संगठन की साजिश, ये भी देख रहे हैं भारत को टुकड़े करने का सपना

काव्यात्मक न्याय संस्था (PJF) का गठन महज 11 महीने पहले मार्च, 2020 में कनाडा में किया गया है। इसका मकसद भी खालिस्तानी अजेंडे को आगे बढ़ाना है। स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के टूलकिट मामले में इस संस्था का नाम आ रहा है। अब तक की तफ्तीश में पता चला है कि पीजेएफ ने ही किसान आंदोलन की आड़ में भारत की छवि खराब करने और देश के अंदर बवाल खड़ा करने की साजिश रची थी। दिल्ली पुलिस की हिरासत में आई बेंगलुरु से गिरफ्तार जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि ने भी इसके को-फाउंडर एमओ धालीवाल के साथ ऑनलाइन मीटिंग की थी। हालांकि, धालीवाल इस संस्था के गठन का मकसद मानवाधिकार के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाने और दक्षिण एशिया के निवासियों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने की कोशिश बताता है। अभी यह भारत में चल रहे किसान आंदोलन में पूरी तरह से इनवॉल्व है। इसकी वेबसाइट पर भी लिखा है, “अभी हम किसान आंदोलन में काफी सक्रियता से शामिल हैं जिसने दुनियाभर में रह रहे भारतीयों को सक्रिय कर दिया है।”

दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि एमओ धालीवाल कनाडा के वैंकुवर स्थित पीआर फर्म स्काइरॉकेट (Skyrocket) का डायरेक्टर भी है। उसने 17 सितंबर, 20019 को सोशल मीडिया पर ऐलान किया था, “मैं खालिस्तानी हूं।” उसने कहा, “आप मेरे इस पहलू के बारे में नहीं जानते होंगे। क्यों? क्योंकि खालिस्तान एक विचार है, खालिस्तान एक जिंदा और सांस ले रहा आंदोलन है।” दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि धालीवाल ने 26 जनवरी को वैंकुवर में दिए गए अपने भाषण में कहा, “अगर कृषि कानूनों को कल निरस्त कर दिया जाता है तो यह कोई जीत नहीं होगी। कानून वापसी के साथ तो यह लड़ाई शुरू होगी, न कि खत्म। अगर कोई आपसे कहे कि यह आंदोलन खत्म होने जा रहा है तो समझ लीजिए कि वो आपसे कहना चाहता है कि आप पंजाब से अलग हैं. आप खालिस्तान आंदोलन से अलग हैं।”

नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन में खालिस्तानी अजेंडा चलाने की कोशिश में सिख फॉर जस्टिस (SFJ) देश की सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है। इस अलगाववादी संगठन का गठन 2007 में अमेरिका में किया गया। यह खालिस्तान के नाम से पंजाब में सिखों के लिए एक अलग देश बनाने की वकालत करता है। इसका कानूनी सलाहकार गुरपटवंत सिंह पन्नू (Gurpatwant Singh Pannun) पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ ग्रैजुएट है और अभी अमेरिका में अटॉर्नी है। इसी ने सिख रेफरेंडम 2020 कैंपेन लॉन्च किया था। इसमें ‘पंजाब को भारत के कब्जे से मुक्त करने’ के लिए अभियान छेड़ने का समर्थन करने की अपील की गई थी। इससे पहले, उसने अगस्त 2018 में लंडन डेक्लेरेशन के तहत दुनियाभर के सिखों को खालिस्तान आंदोलन के लिए एकजुट होने का आह्वान किया था जिसे कोई खास समर्थन नहीं मिल पाया था।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले वर्ष जुलाई महीने में पन्नू को नौ अन्य लोगों को साथ आतंकवादी घोषित कर दिया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एसएफजे के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया था। उसके बाद 15 दिसंबर, 2020 को एजेंसी ने 40 लोगों को आपराधिक दंड संहिता (CrPC) की धारा 16 के तहत नोटिस जारी किया था। इस धारा के अधीन नोटिस मिलने का मतलब है कि सभी 40 लोगों को एसएफजे के खिलाफ बतौर गवाह बुलाया गया था।

यह मुस्लिम कट्टरपंथी संस्था है जिस पर बार-बार देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगता रहता है। इसका गठन 22 नवंबर, 2006 को केरल में हुआ। इससे पहले यह केरल के नैशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के नाम से अस्तित्व में था। 2006 में एनडीएफ ने कर्नाटक के फोरम फॉर डिग्निटी (Forum for dignity) और तमिलनाडु के मनीता नीति पसारी (Manitha Neethi Pasari) के साथ विलय करके पीएफआई का गठन किया। इन तीनों संगठनों का गठन 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद हुआ था। पीएफआई नैशनल विमेंस फ्रंट (NWF) और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) के नाम से क्रमशः महिलाओं और विद्यार्थियों के बीच काम करता है।

2016 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस्लामिक स्टेट (IS) से प्रेरित होकर अल जरूल खलीफा (Al Zarul Khallefa) नाम से संस्था बनाकर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने और देश के विभिन्न समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काने के मकसद से मीटिंग करने वाले कुछ युवकों को गिरफ्तार किया था। बाद में एनएआई को पता चला कि गिरफ्तार युवकों में कुछ पीएफआई के सदस्य हैं। कुछ महीने बाद ही महिलाओं और बच्चों समेत कुल 22 लोग उत्तरी केरल से लापता हो गए। खुफिया एजेंसियों को भनक लगी कि ये सभी आईएस से जुड़ने अफगानिस्तान चले गए। पीएफआई तब भी सुर्खियों में आया जब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ देश में विरोध-प्रदर्शन हुए। सुरक्षा एंजेंसियों का कहना है कि पीएफआई की एंट्री ने इन प्रदर्शनों को हिंसक बना दिया।

पीएफआई का दावा है कि देश के 22 राज्यों में उसकी शाखाएं हैं। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, यह मुसलमानों और खासकर मुस्लिम युवकों में कट्टरपंथी विचार भरता है। संस्था कट्टरपंथी विचारधारा को प्रमोट करने के लिए मध्य-पूर्व के देशों से फंडिंग जुटाता है। पहले इसका मुख्यालय केरल के कोझीकोड में था, लेकिन इसका विस्तार होने के बाद मुख्यालय दिल्ली शिफ्ट कर दिया गया। केरल में इस संगठन के ज्यादातर सदस्य प्रतिबंधित आतंकी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के ही पूर्व सदस्य हैं।

पीएफआई पर केरल में कम-से-कम 30 राजनीतिक हत्याओं में शामिल होने का आरोप है। 2015 में इसके 13 सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी जिन्होंने एक प्रफेसर टीजे थॉमस का हाथ काट लिया था। 2013 में छह पीएफआई कार्यकर्ताओं को बीजेपी के स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषध (ABVP) के सदस्य की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था। 2019 में एर्नाकुलम के महाराजा कॉलेज के एसएफआई लीडर अभिमन्यु की हत्या में नौ पीएफआई कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए थे। 2014 में केरल सरकार ने हाई कोर्ट में ऐफिडेविट दायर कर कहा था कि पीएफआई के कार्यकर्ता 27 राजनीतिक हत्याओं, हत्या की कोशिश के 86 जबकि संप्रदायिक हिंसा फैलाने के 125 मामलों में शामिल पाए गए।

गलती से लीक हो गई टूलकिट
दिल्‍ली पुलिस के अनुसार, देश के खिलाफ बड़ा षडयंत्र तैयार करने के लिए 6 दिसंबर को वॉट्सऐप ग्रुप बनाया गया था। जिसमें दिशा रवि, शांतनु, निकिता जैकब, एमओ धालीवाल समेत काफी लोग जोड़े गए थे। सोमवार को दिल्ली पुलिस ने दावा कि कि टूलकिट को दिशा रवि, निकिता और शांतनु ने मिलकर तैयार किया था। इसके लिए 11 जनवरी को जूम पर मीटिंग भी हुई थी। जिसमें 70 लोग शामिल हुए थे। शुरू में यह टूलकिट कुछ लोगों को ही दी गई थी, जिन्हें खालिस्तानी एजेंडे को आगे बढ़ाना था। हालांकि वह गलती से पब्लिक डोमेन में आ गई।

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