नई दिल्ली. भारत के लिए आज का दिन बेहद खास है. भारत का महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद की सतह पर लैंड करेगा. एक तरफ रूस का चंद्र मिशन लूना-25 जहां क्रैश कर चुका है अब पूरी दुनिया की नजर भारत के मून मिशन पर टिकी हुई है. ISRO के वैज्ञानिक भी सावधानी बरत रहे हैं।
यह पहला मौका होगा जब चंद्रमा के साउथ पोल पर कोई देश पहुंचेगा. इस ऐतहासिक पल के साथ ही भारत चंद्रमा पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा.
विक्रम लैंडर अब चांद की सतह के बिल्कुल करीब है, यह लैंडिंग प्रोसेस शुरू कर चुका है, आज शाम को चांद की सतह पर उतरतने के बाद इसके साथ गया प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और आगे के मिशन पर काम करेगा. इसरो का यह मिशन 14 दिन का है, यानी लगातार 14 दिन तक रोवर काम करके चांद से कई जानकारियां इकट्ठा करेगा और धरती तक भेजेगा.
मिशन पूरा करने के लिए रोवर को लगातार 14 दिन काम करना होगा. विक्रम लैंडर से जो प्रज्ञान रोवर अलग होगा यह सबसे पहले चांद पर भारत का निशान छोड़ेगा. चंद्रयान-1 और चंद्रयान -2 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे एम अन्नादुरई के मुताबिकचंद्रयान-3 चांद पर राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ भी बनाएगा.रोवर में भी भारत का झंडा और इसरो का निशान बना होगा. 14 दिन तक ये चांद की सतह पर जहां जहां पर मूवमेंट करेगा वहां भारत की पहुंच का निशान छोड़ता जाएगा. हालांकि यह मूवमेंट कर कितनी दूरी तय करेगा ये फिलहाल तय नहीं है. इसरो चीफ एस सोमनाथ के मुताबिक यह वहां के हालात और परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि रोवर चांद पर कितनी दूरी तय करेगा.
भारत के लिए यह उपलब्धि और महत्वपूर्ण तब हो जाती है, जब चाँद की यात्रा पर चला रूस का लूना-25 भटक गया और इसे लेकर रूस के सारे सपने धूल-धूसरित हो गए. भारत उत्सुक है. करोड़ों लोग इसे उतरते हुए लाइव देखना चाहते हैं. अनेक प्रयोगशालाएं चंद्रयान-3 की लैंडिंग को दिखाने और मौके पर मौजूद दर्शकों की जिज्ञासा शांत करने का इंतजाम कर रही हैं. इसरो ने भी ऐसी व्यवस्था की है कि आम हिन्दुस्तानी घर में बैठे-बैठे इस गौरवपूर्ण क्षण का गवाह बन सके. देश की दुआएं इसरो और चंद्रयान-3 के साथ हैं.
जानना जरूरी है कि चाँद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है. इस तरह चंद्रयान-3 सिर्फ एक दिन यानी पृथ्वी के 14 दिन ही काम करेगा. डेटा कलेक्ट करेगा. भेजेगा. साइंटिस्ट डेटा का विश्लेषण करते हुए नतीजे निकालेंगे. इस 14 दिन या चाँद के एक दिन की गणना 23 अगस्त की शाम लैंड करने से शुरू होगी. लैंडर और रोवर के अलग होने के बाद से प्रणोदन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में घूमते हुए अपना काम कर रहा है. कम्यूनिकेशन इसकी प्रमुख भूमिका तय की गयी है. चंद्रयान-3 के उतरने की जगह नई तय की गयी है. जहाँ यह उतरेगा, इससे पहले दुनिया का कोई भी यान नहीं उतरा है. दक्षिणी ध्रुव के जिस इलाके में इसे उतारने का प्रयास हो रहा है, इसरो वहाँ की हवा, पानी, मिट्टी, पत्थर, भौगोलिक स्थिति, जिंदगी की संभावनाएं आदि तलाशने की कोशिश करेगा.
चंद्रयान-3 के साथ जो मुख्य उपकरण भेजे गए हैं उनमें लैंडर, रोवर, प्रणोदन माड्यूल मुख्य हैं. इन तीनों में कई ऐसे उपकरण हैं, जिन्हें अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गयी है. इन्हीं के सहारे मिशन की सफलता सुनिश्चित करने का प्रयास हमारे साइंटिस्ट कर रहे हैं. प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग हो चुका है, अब विक्रम लैंडर की जिम्मेदारी है. सॉफ्ट लैंडिंग के बाद यह तापीय गुणों को परखेगा. मापेगा. सतह पर आयन और इलेक्ट्रॉन घनत्व और समय के साथ इसके परिवर्तन को नापने में मदद करेगा. इसे लैंड करने की जगह के आसपास भूकंप की स्थिति का भी आँकलन करना है. इसके बाद रोवर प्रज्ञान चांद की सतह की मौलिक स्थिति, रासायनिक, खनिज आदि की मौजूदगी की सटीक जानकारी में मदद करेगा.
यह समझना भी जरूरी है कि चंद्रयान-3 अपना काम पहले दिन से कर रहा है. अब तक जितनी तस्वीरें इसरो ने जारी की है, यह यान के लैंडर पोजीशन डिटेक्शन कैमरा की वजह से संभव हो रहा है. बड़ी संख्या में यही तस्वीरें वैज्ञानिकों को चंद्रयान के रास्ते और चाँद के सतह की जाँच में मदद करने वाली हैं. यह भारत के अंतरिक्ष में शानदार प्रदर्शन को दुनिया के सामने लाएंगे. यह देश को ताकत देगा. इसी के साथ भारत के अंतरिक्ष की अर्थव्यवस्था में अचानक उछाल आएगा. अभी साल 2025 तक 13 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है. 23 अगस्त शाम को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिग को लाइव देखा जा सकता है.
करीब 45 दिन के सफर के बाद अब जब चंद्रयान-3 अपनी मंजिल पर पहुंच रहा है, तब एक बार फिर इसके पूरे सफर को जानते हैं…
6 जुलाई 2023: ISRO ने चंद्रयान-3 के लॉन्च के लिए 14 जुलाई 2023 दोपहर 2.35 का समय तय किया.
14 जुलाई 2023: ISRO ने श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया, LVM3 M4 रॉकेट के जरिए इस मिशन को लॉन्च किया गया.
15 जुलाई 2023: चंद्रयान-3 ने पृथ्वी का पहला ऑर्बिट सफलतापूर्वक पार किया. यहां से चंद्रयान-3 ने अपनी रफ्तार बढ़ाई और चांद के करीब पहुंचने लगा.
1 अगस्त 2023: कुल 4 ऑर्बिट को पार करने के बाद चंद्रयान-3 ने ट्रांसलूनर ऑर्बिट में प्रवेश किया. ये पृथ्वी और चंद्रमा के बीच वाली ऑर्बिट है.
5 अगस्त 2023: ISRO को बड़ी सफलता मिली और इस तारीख को चंद्रयान-3 चांद की ऑर्बिट में एंटर हुआ.
17 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल और प्रोपल्शन मॉड्यूल यहां अलग हुआ, जिसके बाद विक्रम लैंडर ने चांद की करीबी कक्षा में प्रवेश किया.
19 अगस्त 2023: विक्रम लैंडर ने अपनी दोनों डिबूस्टिंग को पूरा किया, जिसकी मदद से वह चांद के 30 किमी. की रेंज में पहुंच गया.
20 अगस्त 2023: विक्रम लैंडर अब चांद पर सूर्योदय इंतजार कर रहा है, जैसे ही चांद पर सूर्योदय की प्रक्रिया शुरू होगी तब लैंडिंग का काम शुरू होगा.
23 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर शाम 6 बजकर 4 मिनट पर लैंडिंग के लिए तैयार है. अगर सबकुछ सही रहता है तो बुधवार की शाम को चांद पर हिन्दुस्तान का झंडा लहरा रहा होगा और चांद की सतह पर इसरो का लोगो छप रहा होगा.