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शब्दाक्षर दिल्ली का कवि सम्मेलन सम्पन्न

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रविवार की संध्या राष्ट्रीय अध्यक्ष ‘शब्दाक्षर’ रवि प्रताप सिंह (कोलकाता) के मार्गदर्शन में, ‘शब्दाक्षर दिल्ली’ द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में देश के श्रेष्ठ कवियों एवं कवयित्रियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, और अपनी कविताओं से सबका मनोरंजन किया। यह कार्यक्रम हरदन पब्लिक स्कूल सोनिया विहार, दिल्ली के प्रांगण में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार शैलेन्द्र शर्मा मुख्य अतिथि, चौधरी धर्मवीर सिंह विशिष्ट अतिथि और वरिष्ठ साहित्यकार रघुवर आनन्द कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों का स्वागत किया गया। माँ शारदे की वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, साथ ही ‘शब्दाक्षर गीत’ कृष्णा राजपुरोहित जी ने बड़े मधुर स्वर में प्रस्तुत किया।
बतौर कवि उत्तम हरदिलवाला ने- नंदी पर कविता सुनाई। कवि शिब्बू चाहर ने पिता पर भावुक कर देने वाली रचना प्रस्तुत की। प्रशांत गुप्ता जी ने सुनाया-“काम नया गैरों से सीखो, उथल पुथल लहरों से सीखो”। सुप्रसिद्ध कवयित्री राजरानी भल्ला जी ने अपने हास्य पुट से सभी श्रोताओं को ऊर्जित कर दिया।  कार्यक्रम अध्यक्ष श्री रघुवर आनंद जी ने अपने भाव कुछ यूँ प्रकट किये-” बदलते युग भले हैं यहाँ, कहाँ पीड़ा बदलती है,  जहर पीती है हँस के पर कहाँ मीरा बदलती है”। मुख्य अतिथि शैलेंद्र शर्मा जी ने, देश की परिस्थितियों पर व्यंगात्मक पंक्तियाँ पढ़ी, ” देश हमारा नयी पद्धति पर चल रहा है और गेहूं बाहर सड़ रहा है”। ‘शब्दाक्षर’ प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार प्रतापगढिया जी ने सुनाया,  “उम्र भर जितना मैं भटका चैन पाने के लिए,  लोग उतने ही मिले ये दिल दुखाने के लिए। ” ओज कवयित्री वंदना चौधरी ने सशक्त बेटी पर अपनी पंक्तियाँ रखीं-“माँ पिता का गर्व और सम्मान हो तुम, और हर सीने में धड़कती जान हो तुम। मत करो कोई कर्म शर्मिंदगी का, सिर उठाती पगडियों का मान हो तुम” । प्रदेश साहित्य मंत्री डॉ.स्मृति कुलश्रेष्ठ ने प्रेम और श्रंगार के सुंदर मुक्तक सुनाए” दिल से तुम्हारे प्यार का साया नहीं गया, सहते रहे हैं दर्द, बताया नहीं गया”। साथ ही उन्होंने रक्षाबंधन पर एक सुंदर गीत प्रस्तुत किया ।  अंबिका मोदी जी ने चंद्रयान की सफलता और तेज़ाब कविता के माध्यम से बताया कि- स्त्री कमज़ोर नहीं है, नारी जीवन है संघर्ष उठो और भरो अपनी उड़ान, क्योंकि जिंदगी से जंग सदा जारी रहेगी। कृष्णा राजपुरोहित ने मधुर आवाज में सुंदर गीत प्रस्तुत किया- “जाऊं पिया दर पे है जिया, पकड़ न ले मोहे पैंया के निशान ” साथ ही कवयित्री स्नेहलता, उर्वी ऊदल, पंकज चतुर्वेदी आदि रचनाकारों ने अपने काव्यपाठ से कार्यक्रम को सफल बनाया। डॉ.स्मृति कुलश्रेष्ठ ने सुंदर संचालन किया। आयोजन में ‘शब्दाक्षर दिल्ली’ प्रदेश के पदाधिकारियों का सराहनीय सहयोग रहा। वन्दना चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापित कर कार्यक्रम का समापन किया।

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