चंद्र शेखर ग्वाला,३ सितंबर : लखीपुर के पूर्व विधायक और बराक चाय श्रमिक संघ के महासचिव राजदीप ग्वाला ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की मध्यस्थता के माध्यम से चाय श्रमिकों के लिए उचित मजदूरी तय करने के राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णय का स्वागत किया है। शनिवार को गुवाहाटी में आई एल ओ अधिकारियों की मौजूदगी में हुई बैठक में लिए गए फैसले का समर्थन करते हुए राजदीप ने कहा, ‘मुख्यमंत्री की इस पहल के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। यह पहल असम में अपनी तरह की पहली पहल है। यह कदम ट्रेड यूनियनों के कर्मचारियों के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण करेगा। राजद्वीप ग्वाला ने कहा, बराक घाटी के चाय बागान एवं ब्रम्हपुत्र घाटी चाय बागानों के श्रमिकों का वेतन समान होना चाहिए। इस दिन की बैठक में उन्होंने बराक घाटी के श्रमिकों की जीवन स्थितियों में सुधार के लिए कई सुझाव भी दिए। राजदीप ने अफसोस जताया कि बराक घाटी और ब्रह्मपुत्र घाटी के बीच वेतन में असमानता है। ब्रह्मपुत्र घाटी के चाय श्रमिकों को जहां २३२ रुपये मिल रहे हैं, वहीं बराक घाटी के श्रमिकों को २१०रुपये का भुगतान किया जा रहा है । दो घाटियों के बीच हमेशा २२ रुपये का अंतर रहा है। हालाँकि श्रमिकों द्वारा इस अंतर का विरोध पहले से ही किया जा रहा है। इसे लेकर कर्मचारी संघ, श्रमिक संघ की कई बैठकें भी हो चुकी हैं। हालाँकि, २०१८ के बाद से, राज्य सरकार ने वेतन में दो बार बढ़ोतरी की है। एक बार ३८रुपए और एक बार २७ रुपए, वेतन में इस बढ़ोतरी का श्रेय उन्होंने मुख्यमंत्री डाॅ. हिमंत विश्व शर्मा को दिया।
उन्होंने कहा, यह मुख्यमंत्री के कारण संभव हो पाया है। इस दिन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के साथ हुई बैठक पर टिप्पणी करते हुए राजद्वीप ग्वाला ने कहा कि प्रारंभिक चर्चा शुरू हो गई है लेकिन वेतन कितना होना चाहिए, इस पर अभी काम नहीं किया गया है। लेकिन मैं चाहता हूं कि चाय बगान श्रमिकों को एक अच्छा पारिश्रमिक चाहिए । उद्योग जगत को भी शुभकामनाएँ है, साथ ही चाय श्रमिकों के कल्याण को हमेशा ध्यान में रखा जाना चाहिए। ऐसा बराक चाय श्रमिक संगठन के महासचिव तथा असम चाय निगम के अध्यक्ष राजद्वीप ग्वाला ने कहा। नॉर्थ ईस्ट टी एसोसिएशन के सलाहकार विद्यानंद बरकाकती ने चाय श्रमिकों को आवश्यक मजदूरी का भुगतान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की राज्य सरकार की भागीदारी का स्वागत किया। उन्होंने आई एल ओ अधिकारियों की मौजूदगी में राज्य में हुई बैठक में लिए गए फैसले का स्वागत किया। हालांकि उन्होंने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए मजदूरी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ब्रह्मपुत्र घाटी में दी जा रही मजदूरी पर्याप्त है। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि भुगतान की जाने वाली मजदूरी सिर्फ नकद नहीं है। यहां कैश, काइंड, ग्रेच्युटी, बोनस सब मिलाकर देखें तो सैलरी करीब ३५१ रुपए होती है और यह काफी है। हालाँकि, असम में चाय बागान श्रमिकों को उचित मजदूरी प्रदान करने में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन को शामिल करके, बागान श्रमिकों के लिए एक वैज्ञानिक मजदूरी निर्धारित की जा सकती है। हालाँकि, बरकाकती ने जहां राज्य सरकार के इस फैसले का स्वागत किया, वहीं उन्होंने मीडिया के सामने राज्य में चाय उत्पादन में कुछ असफलताओं को भी उजागर किया। उन्होंने कहा कि चाय उत्पादन पर जलवायु का काफी असर पड़ रहा है। इसके अलावा पर्याप्त श्रमिकों की कमी के कारण भी उत्पादन प्रभावित हो रहा है। सरकार को इस बारे में भी सोचना चाहिए।