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संसद के पुराने भवन में संसद की बैठक के आखिरी दिन सांसदों ने भारत की संसद की समृद्ध विरासत का स्मरण किया और 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया

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नई दिल्ली; 19 सितंबर, 2023: आज संसद के पुराने भवन में संसद की बैठक के आखिरी दिन, लोक सभा और राज्य सभा के सदस्य भारत की संसद की समृद्ध विरासत का स्मरण करने और 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेने के लिए संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित समारोह में शामिल हुए।
उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति, श्री जगदीप धनखड़; प्रधान मंत्री, श्री नरेंद्र मोदी; लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला, राज्य सभा में सदन के नेता, श्री पीयूष गोयल; संसदीय कार्य और कोयला एवं खान मंत्री, श्री प्रल्हाद जोशी; राज्य सभा में विपक्ष के नेता, श्री मल्लिकार्जुन खड़गे; लोक सभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता, श्री अधीर रंजन चौधरी; और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस अवसर पर विशिष्ट सभा को संबोधित किया।
इस अवसर पर लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला ने कहा कि संसद के पुराने भवन के केन्द्रीय कक्ष में आयोजित अंतिम दिन की विशेष बैठक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण अवसर है तथा भारत के संसदीय इतिहास में उल्लेखनीय मील का पत्थर है । उन्होंने यह भी कहा कि इस विशेष बैठक का आयोजन स्थल – ऐतिहासिक संसद भवन का केंद्रीय कक्ष एक पवित्र स्थल है, जो औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्ति तक भारत के विकास, हमारे संविधान के निर्माण और परिवर्तनकारी कानूनों के अधिनियमन का साक्षी रहा है। श्री बिरला ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि इस केन्द्रीय कक्ष में प्रतिष्ठित विश्व नेताओं, राष्ट्राध्यक्षों, राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और अन्य लोगों ने समय-समय पर अपनी बात रखी और हमारे लोकतंत्र में अपना विश्वास व्यक्त किया है।
संसद के नए परिसर में परिवर्तन के नए चरण की शुरुआत की आशा व्यक्त करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि यह बदलाव न केवल नई आशाओं और अपेक्षाओं, बल्कि हमारे देश की भविष्य की आकांक्षाओं का भी प्रतीक है। श्री बिरला ने स्वतंत्रता सेनानियों और हमारे संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दूरदर्शी नेताओं के योगदान को नमन करते हुए उनके प्रति सम्मान व्यक्त किया । उन्होंने उन सभी सांसदों के महत्वपूर्ण योगदान का भी उल्लेख किया, जिन्होंने आर्थिक और सामाजिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया और अपने संवैधानिक दायित्वों के माध्यम से देश की प्रगति पर सकारात्मक प्रभाव डाला ।
भारत के संसदीय इतिहास की यात्रा और उसमें संसद भवन की भूमिका को रेखांकित करते हुए श्री बिरला ने बताया कि संसद भवन कई ऐतिहासिक घटनाओं और लाखों भारतीयों की अभिव्यक्ति का साक्षी रहा है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि विश्व मंच पर भारत की लोकतांत्रिक शक्ति को दर्शाते हुए, बातचीत के माध्यम से चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान किया गया है। आज के भारत की बढ़ती अपेक्षाओं को स्वीकार करते हुए, उन्होंने साथी सांसदों को अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के साथ करने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि एक आकांक्षी भारत की अपेक्षाओं को पूरा किया जा सके। 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के विजन की बात करते हुए, उन्होंने सदस्यों से “अमृत काल” के दौरान इस लक्ष्य के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का संकल्प लेने का आग्रह किया।
श्री बिरला ने सांसदों को दुनिया के सबसे बड़े संसदीय लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का सम्यक रूप से निर्वहन के लिए प्रेरित किया। श्री बिरला ने यह विचार भी व्यक्त किया कि प्रत्येक मामले पर सावधानीपूर्वक और प्रभावी ढंग  से चर्चा और संवाद करना आवश्यक है जिससे हमारे विधानमण्डल देश की क्षमता और समृद्धि को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए सशक्त होंगे । अपने ऐतिहासिक भाषण के अंत में, अध्यक्ष महोदय ने गणेश चतुर्थी के महत्व की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए सभी से इस ऐतिहासिक स्थल से अर्जित परंपराओं, रीति-रिवाजों और ज्ञान को सहेजते हुए इस भावना को नए संसद भवन में बनाए रखने  का आग्रह किया। उन्होंने अटूट विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा लोकतंत्र विश्व का मार्गदर्शन करता रहेगा और नया भवन हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा प्रतिपादित समानता, न्याय और भाईचारे के सिद्धांतों के अनुरूप उत्पादकता और सकारात्मक परिवर्तन के केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
बाद में, श्री बिरला संविधान सदन स्थित अपने कार्यालय से संसद भवन गए और लोक सभा की कार्यवाही की अध्यक्षता की। इस अवसर पर, श्री बिरला ने कड़े संघर्ष और बलिदान से देश को आजादी दिलाने वाले राष्ट्र के संस्थापकों का स्मरण किया । श्री बिरला ने सदस्यों को अव्यवस्था की प्रवृत्ति का त्याग करने के साथ-साथ संसद की उच्चतम परंपराओं को बनाए रखने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
सदस्यों के आचरण में शालीनता और मर्यादा के महत्व पर जोर देते हुए श्री बिरला ने कहा कि सदस्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव प्रयास करने चाहिए कि वे सभी निर्णय राष्ट्र के हित में लें। उन्होंने सदस्यों से संसद के नए भवन में आचरण के उच्चतम मानक स्थापित करने का आग्रह किया। श्री बिरला ने यह आशा भी व्यक्त की कि सदन के सुचारु संचालन में उन्हें सभी सदस्यों से सहयोग मिलता रहेगा।

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