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Toolkit Case: दिशा रवि को मिली जमानत, 1 लाख रुपये का मुचलका भरने की शर्त पर मिली बेल

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नई दिल्ली: किसान आंदोलन (Farmers Protest) से जुड़े ‘टूलकिट’ मामले (Toolkit case) में गिरफ्तार 21 साल की पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि (Disha Ravi) को कोर्ट से जमानत मिल गई है. पटियाला हाउस कोर्ट ने दिशा रवि की जमानत याचिका मंजूर की. कोर्ट ने दिशा को 1 लाख रुपये का निजी मुचलका भरने की शर्त के साथ जमानत दी है. इस दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से आगे पूछताछ के लिए दिशा की रिमांड बढ़ाने की अपील की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा (Additional Session Judge Dharmender Rana) ने कहा कि सभी तथ्यों को देखने के बाद आरोपी दिशा रवि को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है. उन्होंने रवि को एक लाख रुपये का मुचलका और इतनी ही रकम के दो जमानती जमा करने को कहा है.

इससे पहले अदालत ने दिशा को 10 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा था. बाद में दिल्ली पुलिस ने अदालत से और रिमांड की अपील की थी, जिसमें अदालत ने उनको एक दिन की रिमांड पर फिर से भेज दिया था. दिशा रवि पर आरोप है कि वह किसान आंदोलन में खालिस्तानी कनेक्शन में शामिल रही हैं. दिशा रवि को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था.
दिल्ली पुलिस ने मांगी थी 5 दिन की रिमांड

दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि की 5 दिन की पुलिस रिमांड मांगी थी. पुलिस ने कोर्ट से कहा था कि साजिश बहुत बड़ी है और सबको आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करनी है और 11 जनवरी से स्टोरी शुरू हुई. 11 जनवरी को जूम मीटिंग होती है उसमें 4 लोग होते हैं. इस मामले में शांतनु और निकिता दो सह आरोपी हैं. शांतुनु को वहां के कोर्ट ने 10 दिन का ट्रांजिट बेल दिया है.
दिशा पर हैं ये आरोप

पुलिस ने अदालत के सामने तर्क रखा था कि पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि खालिस्तान समर्थकों के साथ मिलकर टूलकिट तैयार कर रही थी. इतना ही नहीं वह भारत को बदनाम करने और किसानों के प्रदर्शन की आड़ में देश में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश का हिस्सा थी.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
कोर्ट ने कहा, ‘रिकॉर्ड में कम और अधूरे सबूतों को ध्यान में रखते हुए मुझे 22 वर्षीय लड़की, जिसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, के लिए जमानत के नियम को तोड़ने के लिए कोई भी ठोस कारण नहीं मिल रहा है.’

टूलकिट मामले में कोर्ट ने कहा कि नागरिक सरकार की अंतरात्मा जगाने वाले होते हैं. उन्हें केवल इसलिए जेल नहीं भेजा जा सकता क्योंकि वे सरकार की नीतियों से असहमत हैं. यहां तक कि हमारे पूर्वजों ने भी बोलने की आजादी और अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता को मौलिक अधिकार के रूप में मान्‍यता दी है

दिल्‍ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा, ‘दिशा रवि और प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ के बीच प्रत्यक्ष तौर पर कोई संबंध स्थापित नजर नहीं आता है. प्रत्यक्ष तौर पर ऐसा कुछ भी नजर नहीं आता जो इस बारे में संकेत दे कि दिशा रवि ने किसी अलगाववादी विचार का समर्थन किया है.’

कोर्ट ने कहा, ‘एक व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण या एक हानिरहित टूलकिट का संपादक होना कोई अपराध नहीं है.’ अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी को अनुकूल पूर्वानुमानों के आधार पर नागरिक की स्वतंत्रता को और प्रतिबंधित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
दिशा रवि को दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ की एक टीम बेंगलुरु से गिरफ्तार कर दिल्ली लाई है.अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने रवि को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानत भरने पर यह राहत दी.

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