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दिगंबर जैन परम्परा में जैनियों को आत्मा की विशेषताओं को याद दिलाने और जीवन में अनुसरण करने के लिए दस प्रमुख गुण अर्थात दस धर्म की बात कही गई है, दस धर्म अर्थात उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य और उत्तम ब्रम्हचर्य का पालन कर आत्मशुद्धि का मार्ग प्रशस्त किया जाता है, इस पर्व के दौरान जैन धर्म के अनुयायी अपनी शक्ति के अनुसार उपवास रख त्याग, तपस्या व साधना करते हैं, ताकि वो अपनी इंद्रियों पर काबू पा सकें और आत्मा की शुद्धि कर सकें, मंदिर में सुबह से ही लोगों का आवागमन शुरू हो जाता है, सुबह भगवान का अभिषेक और पूजा पाठ का कार्यक्रम होता है, मंदिर जी की घंटियों और मंत्र उच्चारण से सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है, संपूर्ण वातावरण आनंद मय हो जाता है, संध्या के समय प्रवचन द्वारा लोगों का ज्ञान वर्धन होता है, उसके बाद भक्त जन धूमधाम से गीत संगीत द्वारा भगवान की आरती करते हैं, हर दिन आरती के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है जिसमें सभी वर्गों के लोगों की धार्मिक चेतना का विकास होता है, लोगों का अध्यात्म की ओर मन लगता है।
अध्यक्ष राजकुमार बाकलीवाल और सचिव मनोज कुमार पाटनी एवं महिला मंडल सिलचर की अध्यक्षा श्रीमती तारा रानी सेठी व मंत्री निकिता नरपत्या के प्रयास से बहुत ही सुन्दर कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जा रही है मंदिर को भी बहुत सुंदर सजाया गया है पूरा मंदिर परिसर रंग-बिरंगी रोशनी से नहा रहा है इस रोशनी में लोग अपने अन्दर के अंधकार को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं, इस दसलक्षण पर्व में इस बार युवा निशांत बाकलीवाल जो कि नीलम-पंकज बाकलीवाल का पुत्र है, उसने दस दिन के उपवास रखें हैं, पूरा समाज उनके उपवासों की अनुमोदना करता है। सचिव मनोज पाटनी ने बताया कि फरवरी 2015 में शिलचर में दिगंबर जैन मंदिर सभी समाज बंधुओ के सहयोग से बनाया गया जिसमें सभी सुविधा है धार्मिक अनुष्ठान के लिए पर्याप्त स्थान भी है। 19 सितम्बर से 28 सितम्बर तक दिगंबर जैन समाज भक्ति रस में सरोबार है।