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असम सरकार ने हिंदी विद्यालयों में छात्रों की घटती संख्या के कारण छठी सातवीं एवं आठवीं कक्षा को अन्य विद्यालयों की दुसरी भाषा के साथ शामिल करने तथा नये शिक्षकों की नियुक्ति पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया है जो हिंदी पढने वाले छात्रों के साथ उचित नहीं होगा। असम विश्व विद्यालय में जो हिंदी पढकर डिग्रियाँ ले रहे हैं उनकी नौकरी पर भी विचार करना होगा। जब हिंदी हमारे देश की सर्वाधिक लोकप्रिय भाषा है तो संख्या को आधार बनाकर उस पर फैसला एक साल के टाल देना चाहिए ताकि पूरे असम के हिंदी भाषी संगठन आपस में विचार विमर्श कर सकें।
हिंदी को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय सरकार राजभाषा क्रियांवयन समिति द्वारा आजादी के बाद से सचेष्ट है ऐसे में असम जैसे सात राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रांत में हिंदी यथावत रखनी चाहिए। आठों राज्यों की आपसी एवं संपर्क भाषा हिंदी ही है। पूर्वोत्तर में स्थानीय भाषाओं के अलावा कहीं भी अंग्रेजी संपर्क भाषा नहीं है सर्वाधिक हिंदी बोली जाती है।
सरकार बहुत सोच समझ कर तथा आकलनों के आधार पर कोई निर्णय लेती है लेकिन इसमें असम राष्ट्र भाषा प्रचार समिति सभी जिलों की प्रतिष्ठित प्रचार प्रसार करने वाली समितियों को अपनी बात रखने के लिए असम सरकार के मुख्यमंत्री एवं शिक्षामंत्री को एक साल तक यह निर्णय टाल देना चाहिए।
मदन सिंघल
अध्यक्ष
*साहित्य मित्र*
शिलचर असम
मो 9435073653