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जानिए भगवान राम की बहन  शांता के बारे में, कहां पर है इनका मंदिर –  डा.बी. के. मल्लिक

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दुनियाभर में सौ से ज्यादा रामायण प्रचलित हैं। उनमें वाल्मीकि रामायण, कंबन रामायण और रामचरित मानस, अद्भुत रामायण, अध्यात्म रामायण और आनंद रामायण की चर्चा ज्यादा होती है। उक्त रामायण का अध्ययन करने पर हमें रामकथा से जुड़े कई नए तथ्यों की जानकारी मिलती है।
     ऋषि वाल्मीकि की लिखी रामायण  के सभी पात्रों को ज्यादातर लोग जानते हैंI इसके बाद गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस  लिखी, जिसे घर-घर में गाया और सुना जाता हैI लगभग सभी लोग रामचरित मानस के चरित्रों के बारे में जानाते हैं ।  सभी जानते हैं कि राथा दशरथ के चार पुत्र राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न थेI लेकिन राम की एक बड़ी बहन भी थीं रामचरित मानस में उनकी बड़ी बहन का जिक्र नहीं है, लेकिन वाल्मीकी कृत रामायण में उनका जिक्र आया हैI उनका नाम शांता था और वह चारों भाइयों से बड़ी थीं ।
       शांता राजा दशरथ और कौशल्या की बेटी थीं।  उन्हें कौशल्या की बहन वर्षिणी और उनके पति अंग देश के राजा रोमपद ने गोद लिया था।  बाद में शांता का विवाह ऋषि श्रृंगी से कर दिया गया ।  दरअसल, वर्षिणी की कोई संतान नहीं थीI एक बार वर्षिणी अपने पति के साथ अपनी बहन से मिलने अयोध्या आई थीं।  वर्षिणी ने शांता को गोद लेने की इच्छा जताई ।  इस पर राजा दशरथ ने उन्हें अपनी बेटी शांता को गोद देने का वचन दे दिया । शांता बड़ी हुईं तो उन्हें वेद, कला और शिल्प का शानदार ज्ञान था ।  एक दिन राजा रोमपद शांता के साथ बातचीत कर रहे थे ।  इस प्रकार शांता अंगदेश की राजकुमारी बन जाती हैं।  एक दिन अंगराज रोमपद अपनी गोद ली पुत्री शांता से विचार विमर्श कर रहे थे तब ही उनके दर पर एक ब्राह्मण याचक अपनी याचना लेकर आया लेकिन रोमपद अपनी वार्ता में इतने व्यस्त थे कि उन्होंने ब्राह्मण की याचना सुनी ही नहीं और ब्राह्मण को बिना कुछ लिए खाली हाथ जाना पड़ा। यह बात देवताओं के राजा इंद्र को बहुत बुरी लगी और उन्होंने वरुण देवता को अंगदेश में बारिश ना करने का हुक्म दिया।  वरुण देवता ने यही किया और उस वर्ष अंगदेश में सुखा पड़ने से हाहाकार मच गया।
     इस समस्या से निजात पाने के लिये रोमपद ऋषि शृंग के पास जाते हैं  और उन से वर्षा की समस्या कहते हैं तब ऋषि श्रृंग रोमपद को यज्ञ करने को कहते हैं। ऋषि श्रृंग के कथानुसार यज्ञ किया  पुरे विधान से संपन्न होने के बाद अंग देश में वर्षा होती हैं और सूखे की समस्या खत्म होती हैं। ऋषि श्रृंग से प्रसन्न होकर अंगराज रोमपद ने अपनी पुत्री शांता का विवाह ऋषि श्रृंग से कर दिया ।
      हमारे देश में एक ऐसा भी मंदिर है जहाँ श्रीराम की बड़ी बहन शांता की पूजा की जाती है। यह मंदिर कहीं और नहीं बल्कि हिमांचल प्रदेश के मशहूर शहर कुल्लू में स्थित है। यहाँ पर यह मान्यता प्रचलित है कि इस मंदिर में जिसकी पूजा की जाती है, वह कोई और नहीं बल्कि भगवान श्रीराम की बड़ी बहन शांता हैं। यह मंदिर कुल्लू शहर से लगभग 50 किमी दूर स्थित है। इस मंदिर में शांता देवी की प्रतिमा के साथ उनके पति श्रृंग ऋषि की प्रतिमा भी विराजमान है। पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रृंग ऋषि श्रृष्यश्रृंग भिन्ड़क के पुत्र थे। यही वह ऋषि थे जिन्होंने राजा दशरथ की पुत्र कामना के लिए पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाया था। जिस जगह पर उन्होंने यज्ञ करवाया था, वह जगह अयोध्या से लगभग 39 किमी पूर्व में स्थित था। आज भी वहीँ पर श्रृष्यश्रृंग ऋषि का आश्रम है।
    शांता देवी के मंदिर की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि यहाँ भगवान श्रीराम से जुड़े हुए सभी उत्सवों को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। इस मंदिर में राम जन्मोत्सव और दशहरा बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। इस मंदिर के बारे में एक और मान्यता प्रचलित है कि जो भी भक्त सच्चे मन से देवी शांता और उनके पति की पूजा करता है, उन्हें भगवान श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर आप भी इस मंदिर के बारे में अबतक अंजान थे तो कुल्लू जाइये और माता शांता देवी के दर्शन कीजिये।
शांता के बाद राजा दशरथ की कोई संतान नहीं थी ।  वो अपने वंश के लिए बहुत चिंतित थे । तब वे ऋषि श्रृंग के पास जाते हैं और उन्हें पुत्र कामाक्षी यज्ञ करने का आग्रह करते हैं । तब अयोध्या के पूर्व दिशा में एक स्थान पर राजा दशरथ के लिए पुत्र कमिक्षी यज्ञ किया जाता  हैं । यह यज्ञ ऋषि श्रृंग के आश्रम में किया गया था | आज भी इस स्थान पर इनकी स्मृतियाँ हैं।  इस यज्ञ के बाद प्रशाद के रूप में खीर रानी कौशल्या को दी जाती हैं जिसे वे छोटी रानी कैकयी से बाँटती हैं बाद में दोनों रानी अपने हिस्से में से एक एक हिस्सा सबसे छोटी रानी सुमित्रा को देती हैं जिसके फलस्वरूप सुमित्रा को दो पुत्र लक्ष्मण एवम शत्रुघ्न होते हैं और रानी कौशल्या को दशरथ के जेष्ठ पुत्र राम की माता बनने का सौभाग्य मिलता हैं एवम रानी कैकयी को भरत की प्राप्ति होती हैं।
यह बात सत्य है कि राम चरित मानस में तुलसी दास ने भगवान राम कि बहन के बारे में नहीं लिखा गया है लेकिन बाल्मीकि रामायण सहित कई रामायण में भगवान राम कि बहन शांता और उनके पति श्रृंगी ऋषि के बारे में बहुत कुछ लिखा गया भगवान राम का मुंडन संस्कार श्रृंगी ऋषि के आश्रम में हुआ था जो अगले सप्ताह में रविवार के दिन पढ़ेंगेl
डा.बी. के मल्लिक
9810075792

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