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लंकेश का समर्थन करना सबसे बडा अपराध है…

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समादरणीय मित्रों ! याज्ञवल्क्य,दधीचि,मरीचि,वशिष्ठ,अंगिरा गार्गी,कपिल,भी ब्राह्मण थे,जैसा कि कहते हैं कि-
“अखर्व सर्व मंगला कला कदम्ब मंजरी-
रसप्रवाहमाधुरीविजृम्भणामध्रुवतम् ।
स्मरान्तकंपुरान्तकंभवान्तकंमखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकंतमन्तकान्तकं भजे।।”
आज आश्विनि अथवा किन्ही भी दशहरों के इस पावन पर्व पर में अपने सभी सुधी जनों से प्रीति निवेदन करते हुवे इस मनोहारी उत्सव के संदर्भ में अपने शास्त्रोक्त मनोभाव प्रकट करना चाहता हूँ —
आज के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने दशानन का वध किया था!!
आज के दिन हमारी माँ ने महिषासुर का वध किया था!!!
आज के दिन महर्षि याज्ञवल्क्य जी ने मैत्रेयी को संन्यास की आज्ञा दी थी!!
आज के दिन भगवान विष्णु ने “हंसावतार” धारण किया था,!!
और इन चारों के चारों दृष्टान्तों की आत्मा अत्यंत ही गहन मनोभावों को व्यक्त करती है-मैं इस पर कुछ प्रकाश डालने का प्रयास करूँगा-यह रावण है कौन ? “उत्तम कुल पुलस्तय का नाती” अति उत्तम कुल में जन्म हुवा था उसका!! “कश्यप” गोत्र में उच्चकोटि के ब्राह्मण वर्ण में उसका जन्म हुवा था, वह वेद-मंत्रों का ज्ञाता था, वह उपनिषदों का ज्ञाता था, वह प्रकाण्ड विद्वान था, वह सत्यासत्य का मर्मज्ञ था।
जिस प्रकार आज हमारे राजनैतिक दलों के उच्च पदाधिकारी एवं तथाकथित बुद्धिजीवी और मानवाधिकार की बातें करने वाले लोग होते हैं बिलकुल वैसा ही था रावण। वो कहता था कि-
“जानामि धर्मम् न च मे प्रवृत्ति:, जानामिऽधर्म न च मे निवृत्ति:”
उसने अनेक श्रेष्ठ कर्म किये, वह प्रसिद्ध और समर्पित शिव-भक्त था, उसने दाक्षायणम्, रूद्र संहिता, शिव ताण्डवस्तोत्रम्, रावण संहिता, और उड्डीस तंत्र जैसे १७२ ग्रंथों की रचना की,!!
उनमें से ३७ अभी भी प्राप्य हैं। पारद-धर्म तरंगिणी नामक दुर्लभ आयुर्वेद की पुस्तक जो कि आज अपने छोटे से भाग में सिमट कर रह गयी है — रस राज तरंगिणी, यह रावण की ही कृति हैं,
मित्रों !जैसे कि हमारे राजनैतिक प्रतिनिधि विकास का ढिंढोरा पीटते हैं ! केन्द्र और राज्य से आये धन का अधिकांश भाग जमीन निगल जाती है या आकाश ये वे खुद ही नहीं जानते ! यहाँ की सडकें चन्द्रमा की तरह बन चुकीं । जैसे चन्द्रमा मास भर तक बनता-खण्डित होता रहता है वैसे ही यहाँ की सडकें पन्द्रह दिन बनती हैं और अगले पन्द्रह दिनों में टूट जाती हैं !अर्थात हमारे प्रतिनिधि भी रावण की तरह भ्रष्टाचार का मुखौटा लगाये बैठे हैं ! ये सरकारी चिकित्सालय में आते धन का सदुपयोग करते हैं ! औषधियों क्रय होती हैं ! उपकरण भी आते धूल फांकते रहते हैं और बीमारों को इनके द्वारा निर्देशित और निवेशित व्यक्तिगत नर्सिंग होम में ट्रान्सफार्मर करने का खेल खुलेआम चलता है जिससे केन्द्र सरकार की आयुष्मान योजना का पूरा धन-दोहन होता रहे ! ये आधुनिक रावण का एक और मस्तक है ! अर्थात विकास तो होता है ! दिखता भी है ! किन्तु स्थायी विकास अस्थायी विकासक्रम की भेंट चढ चुका है।
मित्रों ! रावण के पतन का कारण क्या है —
कुछ कारणों पर प्रकाश डालता हूँ–
शिव और राम में भेद, शिव और विष्णु में भेद,हिन्दी और स्थानीय भाषा में भेद,नगरीय और ग्रामीण छेत्र विकास में भेद, अपने उपास्य के अलावा, अपने सम्प्रदाय के अलावा, अपने गुरू के अलावा अन्य को छोटा समझना!!अन्य सम्प्रदायों से वैर रखना ही रावणत्व है।
दूसरा कारण —- रावण-रचित उड्डीस-तंत्र को आप पढो मारण, मोहन, वशीकरण आदि षट् कर्मों की व्याख्या उसमें भरी पडी है!!रावण ने अपनी विद्वता का उपयोग तंत्र साधना में किया और ताँत्रिक सिद्धियों के द्वारा उसने अनेकानेक तामसी-राजसी शक्तियों को प्राप्त कर लिया, !! ६४ योगिनियों के तामसांश को प्राप्त कर लिया,!!२७ यक्षिणियों को अपनी भार्या बना लिया था,!! ताँत्रिक चाहे जितना भी शक्तिशाली, विद्वान और वेदज्ञ-शास्त्रज्ञ हो, वह रावण बन ही जाता है ।
और रावण बनने के लिये दस मस्तक चाहियें ! चोर,डाकू, कमीशन एजेंट, हत्यारा,अन्य सम्प्रदायों और भाषाओं का विरोधी, कामपिपासु, शराबी, गौ-माँसाहारी लोगों का मित्र, देव विरोधी, महाभिमानी और ताँत्रिक — ये रावण के दस सिर हैं, रावण बनने के लिये यह दस सिर जरूरी हैं, और यह जो इसमें मुख्य मस्तक-“गधे” का है, यह है रावण के वेदज्ञ-मूर्ख होने का द्योतक!!”जो वेद-शास्त्रों को जानते हुवे भी, जो पुराणों को जानते हुवे भी उनकी निंदा करता है,जैसे-“राजनैतिक धार्मिक समाजी” जिनके मस्तक पर त्रिपुण्ड,सर पर तक्की,थाली में मांस,जेब में सरकारी धन,कुर्ते के ऊपर जनेऊ और नीचे शेरवानी ! यही रावण हैं, यही महिषासुर हैं, भैंसों के जैसी इनकी बुद्धि है।ज्ञान, वर्ण, शक्ति इत्यादि सब व्यर्थ हो जाते हैं, यदि निष्कलंक भक्ति न हो, अभी कल मुझे मेरे एक ब्राह्मण मित्र ने मैसेज भेजा -“जै लंकेश” !!
मुझे अत्यंत ही आश्चर्य हुवा कि जातिवाद के नाम पर मेरा समाज इतना भ्रम में जी रहा है कि रावण के ब्राह्मण होने पर गर्व कर रहा है ?अरे ! याज्ञवल्क्य, दधीचि, मरीचि, वशिष्ठ, अंगिरा, गार्गी, कपिल भी तो ब्राह्मण ही थे, मेरा ब्राह्मण समुदाय किसे अपना आदर्श बनाना चाहता है, यह निर्णय तो उसे करना ही होगा!! लंका लंकेश के कुकृत्यों से जली ! साथ में लंका निवासी भी जले! अर्थात लंकेश का मूक समर्थन करना सबसे बडा जन सामान्य का अपराध है। भगवती उपरोक्त दस अवगुणों का हमारे राजनैतिक क्षितिज से हरण करें ऐसी शुभकामना के साथ-“शुभ विजयादशमी”… आनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्कांक 6901375971”

गुलाब में कांटें होते हैं हम कमल में कांटें नहीं होने देंगे ?
समादरणीय आत्म बंधुओं ! बराक उपत्यका के चायबागान कर्मचारियों की भाषा-“बागानी” है और बागानों में कोई भी हिन्दी भाषी नहीं है ! ऐसा अद्भुत ज्ञान देने वाले कुछेक अतिरिक्त विद्वानों को मैं प्रथम ही साष्टांग दण्डवत प्रणाम करता हूँ ! ये लोग कल ये भी कहेंगे कि चायबागान श्रमिक बांग्ला देशी घुसपैठिये हैं ! हिन्दी भाषी समुदाय-“हिन्दुस्थानी” घुसपैठिये हैं ! मित्रों ! “असम” हिन्दुस्थान में नहीं है ये मुझे अब पता चला ! वैसे भी-
“बस एक ही ऊल्लू काफी है, बर्बाद गुलिस्तां करने को।
हर डाल पे उल्लू बैठे हैं, अंजामे गुलिस्तां—क्या होगा ?”
स्वतंत्रता के प्रथम बलिदानी अमर शहीद मंगल पांडे जी की मूर्ति स्थापित करने की बराक उपत्यका के निवासियों की मांग जब से उठी है ! जब से कछार में श्रीरूद्र महायज्ञ का अतिशय सफल कार्यक्रम हुवा है ! तभी से -“हिन्दी हिन्दू और हिन्दुस्थान” पर वीभत्स प्रहार करने का षड्यंत्र कुछ सरकार में बैठे सरकार की ही लुटिया डूबोने वाले लालची लोग कर रहे हैं।सरकारों का क्या है ये कभी-“हिन्दुस्थान” को बचाने के नाम पर हमेशा रंग बदलते हुवे कभी दो गायों की जोड़ी,कभी ताजिया में चलते-“नेजे पर रखा पंजा” और कभी कमल खिलाने के नामपर हिन्दुओं के लिये कांटें बोती है ! और हमारी भी प्रतिज्ञा है कि जब तक हमारा मस्तिष्क जीवित है तबतक गुलाब में कांटें होते हैं किन्तु हम कमल में कांटें नहीं होने देंगे।
मित्रों ! ये एनआरसी की असफलता से क्रुद्ध हुवे असमिया अलगाववादी संगठनों को शान्त करने हेतु यहाँ पर पहले- “हिन्दी” की बली चढाने की सलाह कुछेक लोगों ने दी होगी क्यों कि उनकी योजना थी कि उसके कुछ दिनों बाद हिन्दी भाषी समुदाय को भी सुरक्षित नहीं छोडा जायेगा। मित्रों ! एनआरसी की मांग बिलकुल ही उचित थी ! इसके द्वारा बांग्ला भाषी किन्तु आतंकवादियों के समर्थक घुसपैठियों को चिन्हित किया जायेगा एवं उन्हें निकाला जायेगा ! ऐसी ही योजना केन्द्र सरकार एवं सर्वोच्य न्यायपालिका की भी थी ! जेहाद के नाम पर कश्मीर घाटी में हुवे कश्मीरी पंडितों के नरसंहार एवं ऐतिहासिक निष्कासन से सतर्क हमारी केन्द्रीय सरकार एवं सर्वोच्य न्यायपालिका ने एनआरसी सम्पन्न होंने के तत्काल बाद ये घोषणा कर दी कि किसी भी भाषी हिन्दू का निष्कासन असम से नहीं होने दिया जायेगा ! अर्थात नकाब के पीछे जैसे पहले बांग्ला पर प्रहार हुवा बिल्कुल वैसे ही अब हिन्दी पर प्रहार करने की योजना अलगाववादी संगठनों के घुसपैठियों की थी।
मित्रों ! असम गठन के साथ ही यहाँ की वास्तविक धरातलीय स्थिति यही है कि-“अगप,कांग्रेस,कम्यूनिस्ट अथवा कि बीजेपी सभी दलों की सरकार बनी किन्तु चायबागान कर्मचारियों और हिन्दी भाषी समुदाय की जो स्थिति अंग्रेजों के समय में थी वही अब तक है ! हमारे नेता वोट लेते ही चोट देते हैं। ये पहली बार हुआ है कि हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी,श्रीमान पियूष हजारिका जी एवं शिक्षा मंत्री जी ने हिन्दी की गंभीरता से सूध ली।
मैं अपने स्थानीय राजनैतिक प्रतिनिधियों से पूछना चाहता हूँ कि हिन्दी का अपराध क्या है ? यदि हिन्दी से आपको इतनी ही घृणा है तो हिन्दू होने का ढोंग छोड़ दीजिए ! जिन राहुल गांधी और सोनिया गाँधी की हंसी उनकी टूटी फूटी हिन्दी के कारण हमारे यही नेता उडाते थे ! हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी हमेशा हिन्दी में ही प्रवचन क्यों करते हैं ? हमारे प्रधानमंत्री जी कभी भी और कहीं भी हिन्दी में ही प्रवचन क्यों करते हैं ? आज इस सार्वजनिक पत्र के माध्यम से असम शिक्षा विभाग से,शिक्षा मंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी से हम गंभीरता पूर्वक अनुरोध करते हैं कि असम में भी क्षेत्रीय धरातल की अस्मिता का ध्यान रखते हुवे बराक उपत्यका में हिन्दी भाषी बहुत क्षेत्रों में ! यहाँ यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि जिस प्रकार-सिलहटी,ढकाई,नौगांवी,पुण्ड्रा,विजेन्द्री आदि सभी एक ही बांग्ला भाषा की शाखायें हैं बिलकुल उसी प्रकार कृपया-“मगधी,राजस्थानी, भोजपुरी,अवधी,बिहारी वृज मण्डली आदि को भी हिन्दी ही स्वीकार करते हुवे चाय बागानों में, नगरीय हिन्दी भाषी बहुल क्षेत्रों में स्थित सरकारी विद्यालयों में सत्तर प्रतिशत तक हिन्दी प्राथमिक विद्यालयों को तीव्र गति से स्थापित करने के साथ-साथ हिन्दी अध्यापकों के पदों की पूर्ति एवं नूतन पदों का आवंटन सुनिश्चित किया जाय। यहाँ पर -“त्रिभाषा शिक्षा” आवश्यक है ! बिलकुल धरातलीय सत्य है ! अंग्रेजी पढना उतना ही आवश्यक है जितनी आवश्यकता गणित,विज्ञान, की आवश्यकता है ! अर्थात अंग्रेजी को भाषा नहीं अपितु एक विषय के रूप में-“ऐच्छिक” चिन्हित करना आधुनिक भारत की भविष्य की आवश्यकता है। और ऐसा बीजेपी ही कर सकती है ! ऐसी अविश्वसनीय आश्चर्यजनक योजना का कार्यान्वयन हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री श्रीमान हेमन्तो बिस्वशर्मा जी करके एक मिसाल स्थापित कर सकते हैं ! उनकी यह अभूतपूर्व योजना ऐतिहासिकता के नये आयाम गढेगी। मित्रों ! हमारे ऋषि-मुनियों ने हिन्दी में वेद,पुराण,उपनिषद, शास्त्र,महाभारत,श्रीरामचरितमानस लिख दी ! ज्योतिष,व्याकरण,विमानन विधा,चिकित्सा पद्धति,नक्षत्र विज्ञान,खगोल,ज्यामिति,वास्तुकला,वात्स्यायन,सांख्यिकी,लघु उद्योग शास्त्र,कूटनीतिक ग्रन्थ लिख दिये ! विश्व के सभी विषयों से सम्बंधित क्षेत्रों के ग्र्रन्थ लिखे और देव-नगरीय भाषा हिन्दी में लिखे ! अर्थात ऐसी आश्चर्यजनक पहल से हमारे असम और यशस्वी मुख्यमंत्री श्रीमान हेमन्तो बिस्वशर्मा जी का नाम हजारों हजार वर्ष तक अमर हो जायेगा ऐसा विश्वास उन्हें भी होगा यदि यह पत्र उनतक पहुंचता है .. आनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्कांक 6901375971″

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