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आदरणीय मित्रों ! सौभाग्य है हमारा कि आज हमें मुख्यमंत्री जी एवं हजारिका जी के कारण थोडा सा न्याय मिला वैसे अभी तक ये विडम्बना रही है कि सभी राजनैतिक दलों की एक ही विचारधारा होती है ! चुनाव आते ही लोकलुभावन लालच दो, अपने-आप को सर्वाधिक लोकप्रिय और श्रेष्ठ सिद्ध करो ! अपने-आप को जनता का लोकप्रिय और जनसेवक दिखाओ । किन्तु चुनाव होने के उपरान्त इनकी स्मरण शक्ति अचानक ही विलुप्त हो जाती है ! और जिनके पांव छूकर वे सत्ता में आये अब उनके ही पांवों को काट दो ! आज समूचे भारत में असम सरकार द्वारा हिन्दी पर होने वाले प्रहार को नष्ट करने की प्रशंसा हो रही है ! दिसपुर राजमहल में बैठे हमारे सम्राट को सामान्य जनता के कष्ट दिखने लगे हैं ।
मित्रों ! असम सरकार के मंत्री श्रीमान पियूष हजारिका जी ने सीधे-सीधे बराक उपत्यका के एकमात्र हिन्दी दैनिक समाचार पत्र अर्थात लोकतंत्र के चतुर्थ स्तम्भ पत्रकारिता पर प्रहार करते हुवे बिना किसी अपराध के-“दिलीप कुमार” को धमकी दी थी कि आप बीजेपी का विरोध करते हैं ! आपको विज्ञापन नहीं दिया जायेगा !आपके समाचार पत्र को बन्द करवा दिया जायेगा।
और इसके कुछ ही दिनों बाद हमारे एक हिन्दी पत्रकार रीतेश कुमार पर शहीद मंगल पांडे चौक पर रात में आक्रमण कर उनको गंभीर रूप से घायल कर दिया गया ? इस घटना की स्थिति भी संदेह उत्पन्न तो करती ही है।
फिर भी इस पत्र के माध्यम से मैं उनसे और आप सभी से एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ कि आप टीवी देखते हैं,अनेक सीरियल फिल्म और समाचार सुनते हैं ! समाचार पत्र भी पढते हैं ! फेसबुक यूट्यूब भी चलाते हैं ! और इन सभी में कम से कम तीस प्रतिशत विज्ञापन आते ही हैं ! मित्रों ! मंत्री जी ! हांथ जोड कर विनय पूर्वक पूछना चाहता हूँ कि-“क्या आप विज्ञापन देखते हैं”? ये तो मंत्री जी का बडप्पन है कि उन्होंने विषय की गंभीरता को समझा और उचित निर्णय लेने हेतु सद्प्रयास भी किये। निःसंदेह दिसपुर स्थानीय प्रतिनिधियों ने भ्रामक संदेश दिये थे जिसके कारण हजारिका जी को वास्तव में ग्लानि हुयी और उन्होंने तत्काल ही सही संदेश मुख्यमंत्री जी को दिया ! श्रीमान पियूष हजारिका जी मैं आपको ह्रदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ ।
मुझे आज गर्व होता है कि स्थानीय बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने -“दिलीप कुमार, हिन्दी और हिन्दीभाषी लोगों के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदला है । हमने आपका कोई अपराध भी नहीं किया था। ये वही दिलीप कुमार हैं जिनको जब चाहे तब किसी भी अविकसित संस्था को विकसित करने हेतु विगत दो दशकों तक जब चाहे जहाँ जोड दिया गया ! और उस संस्था के विकसित होते ही अत्यंत ही वाक्पटुता के साथ निकाल दिया गया और उस संस्था के सर्वोच्च पद पर किसी विशेष गरीब को बैठा दिया गया ! मैंने देखे हैं वे दिन जब आज जो मंत्रीमंडल दिसपुर में बैठा है उसके अधिकांशतः माननीय विधायक गण बैठते तो वहीं थे किन्तु कट्टर कांग्रेसी होने के नाम पर ! और न जाने कैसे इन राजनेताओं ने ! सभी दलों के राजनेताओं ने ऐसी कौन सी चौबीसवीं सदी की सतयुग की गंगा खोज ली है कि जिसमें डुबकी कांग्रेसी लगाते हैं किन्तु निकलने पर वे बीजेपी के हो जाते हैं! किन्तु अब ये निश्चित है कि गंगा-स्नान करने के उपरान्त उनके तन और मन से मेल हटा चुका ! और अबकी डूबकी बीजेपी के लगायेंगे किन्तु निकलने पर वे निश्चित रूप से आजीवन बीजेपी के हो जायेंगे।
मित्रों सुशाशन बाबू केवल बिहारी मुस्लिमों के कारण हमेशा मुख्यमंत्री बने रहते हैं ! ममता बनर्जी केवल बांग्ला देशी घुसपैठियों के कारण मुख्यमंत्री बनी रहती हैं ! नीतीश जी को तो जालीदार टोपी अपनी कुर्सी से अधिक प्यारी है ! हमारे एक विधायक जी हैं वे तो इन सबसे हजार हांथ आगे निकल गए ! बकरीद पर गौ माता की कुर्बानी हो रही जानकर भी वे गये वहाँ खूब सारे सरकारी पैसे दिये ! और जब स्थानीय कैवर्त लोगों ने गोकशी का विरोध किया तो पुलिस प्रशासन से उन सभी को उनके घरों में घुस-घुसकर पिटवाया ! हाँ मित्रों ! वे हमारे यशस्वी हिन्दुत्ववादी सरकार के ही विधायक हैं। और एक हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी हैं जिनपर हमें गर्व है कि आपने न कभी इफ्तिखार की दावत दी और न ही कभी तक्की पहनी ! परिणामस्वरूप आप दिन प्रतिदिन तरक्की करते ही जा रहे है।
आज समूचा ओएमसी हमास के साथ एकजुट होता दिख रहा है ! कल को कदाचित् हिन्दुस्थान में ये हवशी आतंकवादी सीमा पार से आकर हमपर हमला करेंगे ! यहाँ के सभी विशेषजाति के लोग उनके कन्धों से कन्धा मिलाकर खडे होंगे।स्थानीय बीजेपी को ये याद रखना चाहिए कि वो चाहे जितनी मस्जिदों में जकात दे दें ! उनको चाहे जितनी सुविधा दें ! किन्तु उनका वोट आइएनडीआइए को ही जायेगा ! किन्तु वे कैवर्त जो कभी बीजेपी के थे अब वे किधर जायेंगे ? उन्हें हमें मनाना होगा ! वे और हमारे जैसे लोग जिनको कार्यालय की गणेश परिक्रमा करनी नहीं आती ! हमारे लिये बराक नदी ही हमारी भारत माता है।
हजारों हजार वर्ष से बोली जा रही हिन्दी को आप असम में छे सात आठ में पुनश्च अनिवार्य विषय बना देंगे ! बना दीजिये ! मैंने तो सुना था कि दो बच्चों की माँ जब वृद्ध हो जाती है तो उसके बच्चे कहते हैं हमें ये अधिकार है कि हम दोनो तुमको रखेंगे ! आपका सत्ता का कर्तव्य बोध आज जाग चुका है ! अब आपको आपके किये वादों की याद भी आयेगी ! स्वतंत्रता के पश्चात न जाने कितने कानून बने और इतिहास के पन्नों में खो गये ! किन्तु हिन्दी ये देवताओं की नगरीय भाषा है ये न बदली न हीं बदलेगी ! मित्रों ! ये डबल इंजन की सरकार है ! गोहाटी से चलने पर बराक उपत्यका में आने हेतु डबल इंजन लगते हैं ! अब चुनाव फिर से आने जा रहा है ऐसा लगता है कि डबल इंजन की रेल बराक तक फिर से आने वाली है ! बीजेपी अब सम्हल चुकी है बराक उपत्यका की जनता पुनश्च डबल इंजन का चुनाव करने को प्रशन्न मन से तत्पर हो जायेगी।
श्रीमान मुख्यमंत्री जी ! एक बात कहूँ ? साँप की दो जीभ होती है ! और सांप अपनी सन्तान को ही खा जाता है ! कुछेक दिव्य विभूतियों के अतिरिक्त सभी राजनैतिक दलों के नेता-“दोहरी जबान” रखते हैं ! और चुनाव के पश्चात जिनके बल पर उनकी विजय हुयी उसी अपनी ही सन्तान को सबसे पहले खाते हैं ! मैं अपने कईयों मित्रों को जानता हूँ जिनको साँप ने खा लिया ! आपसे अनुरोध है कि आप अपने ऐसे कुछेक आस्तीन के सांपों पर पैनी दृष्टि रखें । और पुनश्चः पुनश्चः हिन्दी पर हो रहे वज्रपात को कुंठित करने करने हेतु हम सभी भारतीय ह्रदय से आपको शुभकामना देते हैं-… आनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्कांक 6901375971″
और इसके कुछ ही दिनों बाद हमारे एक हिन्दी पत्रकार रीतेश कुमार पर शहीद मंगल पांडे चौक पर रात में आक्रमण कर उनको गंभीर रूप से घायल कर दिया गया ? इस घटना की स्थिति भी संदेह उत्पन्न तो करती ही है।
फिर भी इस पत्र के माध्यम से मैं उनसे और आप सभी से एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ कि आप टीवी देखते हैं,अनेक सीरियल फिल्म और समाचार सुनते हैं ! समाचार पत्र भी पढते हैं ! फेसबुक यूट्यूब भी चलाते हैं ! और इन सभी में कम से कम तीस प्रतिशत विज्ञापन आते ही हैं ! मित्रों ! मंत्री जी ! हांथ जोड कर विनय पूर्वक पूछना चाहता हूँ कि-“क्या आप विज्ञापन देखते हैं”? ये तो मंत्री जी का बडप्पन है कि उन्होंने विषय की गंभीरता को समझा और उचित निर्णय लेने हेतु सद्प्रयास भी किये। निःसंदेह दिसपुर स्थानीय प्रतिनिधियों ने भ्रामक संदेश दिये थे जिसके कारण हजारिका जी को वास्तव में ग्लानि हुयी और उन्होंने तत्काल ही सही संदेश मुख्यमंत्री जी को दिया ! श्रीमान पियूष हजारिका जी मैं आपको ह्रदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ ।
मुझे आज गर्व होता है कि स्थानीय बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने -“दिलीप कुमार, हिन्दी और हिन्दीभाषी लोगों के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदला है । हमने आपका कोई अपराध भी नहीं किया था। ये वही दिलीप कुमार हैं जिनको जब चाहे तब किसी भी अविकसित संस्था को विकसित करने हेतु विगत दो दशकों तक जब चाहे जहाँ जोड दिया गया ! और उस संस्था के विकसित होते ही अत्यंत ही वाक्पटुता के साथ निकाल दिया गया और उस संस्था के सर्वोच्च पद पर किसी विशेष गरीब को बैठा दिया गया ! मैंने देखे हैं वे दिन जब आज जो मंत्रीमंडल दिसपुर में बैठा है उसके अधिकांशतः माननीय विधायक गण बैठते तो वहीं थे किन्तु कट्टर कांग्रेसी होने के नाम पर ! और न जाने कैसे इन राजनेताओं ने ! सभी दलों के राजनेताओं ने ऐसी कौन सी चौबीसवीं सदी की सतयुग की गंगा खोज ली है कि जिसमें डुबकी कांग्रेसी लगाते हैं किन्तु निकलने पर वे बीजेपी के हो जाते हैं! किन्तु अब ये निश्चित है कि गंगा-स्नान करने के उपरान्त उनके तन और मन से मेल हटा चुका ! और अबकी डूबकी बीजेपी के लगायेंगे किन्तु निकलने पर वे निश्चित रूप से आजीवन बीजेपी के हो जायेंगे।
मित्रों सुशाशन बाबू केवल बिहारी मुस्लिमों के कारण हमेशा मुख्यमंत्री बने रहते हैं ! ममता बनर्जी केवल बांग्ला देशी घुसपैठियों के कारण मुख्यमंत्री बनी रहती हैं ! नीतीश जी को तो जालीदार टोपी अपनी कुर्सी से अधिक प्यारी है ! हमारे एक विधायक जी हैं वे तो इन सबसे हजार हांथ आगे निकल गए ! बकरीद पर गौ माता की कुर्बानी हो रही जानकर भी वे गये वहाँ खूब सारे सरकारी पैसे दिये ! और जब स्थानीय कैवर्त लोगों ने गोकशी का विरोध किया तो पुलिस प्रशासन से उन सभी को उनके घरों में घुस-घुसकर पिटवाया ! हाँ मित्रों ! वे हमारे यशस्वी हिन्दुत्ववादी सरकार के ही विधायक हैं। और एक हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी हैं जिनपर हमें गर्व है कि आपने न कभी इफ्तिखार की दावत दी और न ही कभी तक्की पहनी ! परिणामस्वरूप आप दिन प्रतिदिन तरक्की करते ही जा रहे है।
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हजारों हजार वर्ष से बोली जा रही हिन्दी को आप असम में छे सात आठ में पुनश्च अनिवार्य विषय बना देंगे ! बना दीजिये ! मैंने तो सुना था कि दो बच्चों की माँ जब वृद्ध हो जाती है तो उसके बच्चे कहते हैं हमें ये अधिकार है कि हम दोनो तुमको रखेंगे ! आपका सत्ता का कर्तव्य बोध आज जाग चुका है ! अब आपको आपके किये वादों की याद भी आयेगी ! स्वतंत्रता के पश्चात न जाने कितने कानून बने और इतिहास के पन्नों में खो गये ! किन्तु हिन्दी ये देवताओं की नगरीय भाषा है ये न बदली न हीं बदलेगी ! मित्रों ! ये डबल इंजन की सरकार है ! गोहाटी से चलने पर बराक उपत्यका में आने हेतु डबल इंजन लगते हैं ! अब चुनाव फिर से आने जा रहा है ऐसा लगता है कि डबल इंजन की रेल बराक तक फिर से आने वाली है ! बीजेपी अब सम्हल चुकी है बराक उपत्यका की जनता पुनश्च डबल इंजन का चुनाव करने को प्रशन्न मन से तत्पर हो जायेगी।
श्रीमान मुख्यमंत्री जी ! एक बात कहूँ ? साँप की दो जीभ होती है ! और सांप अपनी सन्तान को ही खा जाता है ! कुछेक दिव्य विभूतियों के अतिरिक्त सभी राजनैतिक दलों के नेता-“दोहरी जबान” रखते हैं ! और चुनाव के पश्चात जिनके बल पर उनकी विजय हुयी उसी अपनी ही सन्तान को सबसे पहले खाते हैं ! मैं अपने कईयों मित्रों को जानता हूँ जिनको साँप ने खा लिया ! आपसे अनुरोध है कि आप अपने ऐसे कुछेक आस्तीन के सांपों पर पैनी दृष्टि रखें । और पुनश्चः पुनश्चः हिन्दी पर हो रहे वज्रपात को कुंठित करने करने हेतु हम सभी भारतीय ह्रदय से आपको शुभकामना देते हैं-… आनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्कांक 6901375971″