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मंगल पाण्डे चौक पर उनकी मूर्ति ही स्थापित हो सकती है। आनंद शास्त्री

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सम्माननीय मित्रों ! हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री श्रीमान हेमन्तो बिस्वशर्मा जी के शासनकाल में न जाने क्यूँ मुझे आकण्ठ विश्वास है कि असम प्रान्त ही नहीं अपितु समूचे पूर्वोत्तर में हिन्दुओं के हितार्थ और सुरक्षा से सम्बंधित सभी क्षेत्रों में पुरजोर से धरातलीय स्तर पर प्रयास हुवे हैं ,ईमानदारी से हुवे हैं और आगे भी होते रहेंगे ! और इसी श्रृंखला में हिन्दुस्थान के ह्रदय सम्राट भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम -“अमर शहीद मंगल पाण्डे” जी को स्मृति प्रसून समर्पित करने के बहु प्रतिक्षित मंगल पाण्डे चौक पर उनकी मूर्ति की प्रतिष्ठा हेतु समूची बराक उपत्यका के नागरिक प्रतिक्षारत हैं।
मुख्यमंत्री जी ! बराक उपत्यका का इतिहास साक्षी है कि येन केन प्रकारेण कठोर परिश्रम से बीजेपी को सत्तारूढ़ करने हेतु बांग्ला भाषी समुदाय के कन्धे से कन्धा मिलाकर सभी हिन्दीभाषी चाय बागानों के लोगों ने ! गरीब से गरीब श्रमिक और धनी से धनी लोगों ने एक ही बात कही-“सबको देखा बारी बारी अबकी बीजेपी की बारी” ! और ऐसा हुवा भी ! आज परिस्थितियां कुछ ऐसी हैं कि अन्यान्य राजनैतिक दलों का अस्तित्व खतरे में आ चुका है ! किन्तु इतिहास सदैव अपने आप को दोहराता आया है ! मुख्यमंत्री जी ! आप जानते हैं ! निःसंदेह आप भलीभांति जानते हैं ! अभीतक असम के इतिहास में आप जैसा कोई मुख्यमंत्री नहीं हुआ ये भी आप जानते हैं ! और हाँ ! ये आपने अवस्य सुना होगा कि भारत के प्राचीन इतिहास में ये अंकित है कि पहले हमारे राजा-महाराजा ! वेश बदलकर गुप्त रूप से अपनी प्रजा के बीच जाते थे ! वो अपने कानों से उनकी समस्याओं को उनसे सुनते थे ! उनकी इच्छाओं को उनसे जानते थे ! अपनी आँखों से देखते थे ! और इसी कारण उनको- “चक्रवर्ती” अर्थात सुदर्शन चक्र के समान सतत् गतिशील रहने वाले सम्राट की उपाधि दी गयी थी।
मुख्यमंत्री जी ! हम बराक उपत्यका निवासी सामान्य लोगों की इच्छा होती है कि काश ! आप भी एकबार अपने उधार लिये हुवे कानों और आँखों को उपेक्षित कर ! अपनी स्वयं की आँखों से एकबार हमको देखिये तो ! हमारे चाय बागानों की दुर्दशा और उनपर हो रहे बांग्ला देशी घुसपैठियों के अतिक्रमण को देखिये तो ?
आपके आने पर जिन टूटी फूटी सडकों की लीपापोती कर सजा दिया जाता है और जाने के पन्द्रह दिनों में उखड कर वे बिखर जाती हैं उनके बनाने वाले विभागों और अपनी सत्ता के अभिमान में चूर हुवे नेताओं,नौकरशाहों से लेकर ठेकेदारों तक की मनमानी को एकबार देखिये आप। मुख्यमंत्री जी ! शहीद मंगल पाण्डे चौक पर धूल-धुसरित होता धूप में अपने रंग से बदरंग होते कईयों बार बदले गये उनके चित्र को आप देखेंगे तो आपकी ! आप जैसे हिन्दुस्थान वादी मुख्यमंत्री की आँखें भर जायेंगी। किन्तु हमारे स्थानीय प्रतिनिधि इसपर ध्यान नहीं देंगे !
उनको कदाचित् ऐसा लगता है कि मंगल पाण्डे जी की मूर्ति स्थापना से कहीं-सुभाष चन्द्र बोस” जी का कद छोटा न हो जाये ! मुझे आजतक कभी भी शिव-राम और कृष्ण में छोटे बडे होने की शंका क्यों नहीं होती ? किन्तु उनको शहीद मंगल पाण्डे जी की मूर्ति स्थापित होने से स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस जी का अस्तित्व खतरे में आता दिखता है ! क्या इतने कमजोर हैं हमारे विवेकानंद जी जैसे महामानव ? क्या समूचे भारत में हिन्दी बोलनेवाले लोगों में(केवल गांधी जी को छोड़कर ) कोई एक भी ऐसा महापुरुष नहीं हुवा जिसकी प्रतिमा बराक उपत्यका में लगायी जा सके ?
मित्रों ! चुनाव आ गये ! अब हमारे प्रतिनिधि चायबागानों के धूल भरे रास्तों पर धूल फांकते आयेंगे ! मन्दिर मस्जिद गांव मुहल्ले में आयेंगे ! कभी तिलक लगाकर,कभी तक्की पहनकर आयेंगे ! वहां उनको हिन्दी बोलनी भी आ जायेगी ! किन्तु भूले भटके कभी चुनाव के बाद किसी हिन्दी बहुल भाषी क्षेत्र की सभा में जायेंगे तो तुरंत कहेंगे-“आमी हिन्दी बोलते पाडी ना! आमी बांग्लाए बोलबो”! और एक हम बेवकूफ लोग हैं जिन्होंने अपने घरों में भी बांग्ला अपना ली और हिन्दी को भुला दिया।
यह हमारी अस्मिता और राष्ट्रीय संस्कृति का मुद्दा बन चुका है ! यदि शहीद मंगल पाण्डे चौक पर उनकी मूर्ति के स्थान पर अन्य किसी की मूर्ति स्थापित करने की कोशिश की जायेगी तो हमलोग शांति पूर्वक आमरण अनशन तक करने को बाध्य हो जायेंगे ! ये हमारी चेतावनी नहीं है ! अन्यथा न लें ! ये हमारे अधिकार की मांग है ! और मै जानता हूँ कि इस हेतु कुछ स्थानीय लोगों के पास सत्ता की ऐसी चाभी है जो हमपर प्रशासनिक स्तर पर कानून व्यवस्था के नामपर दमनात्मक कार्रवाई भी करेगी ! तैयार हैं हम ! यदि मंगल पांडे जी समूचे भारत के लिये अपना प्रथम बलिदान दे सकते हैं तो उनके लिये हमलोग भी आत्मोत्सर्ग कर सकते हैं।
हमारे आदर्श आदरणीय यशस्वी मुख्यमंत्री जी ! आज बहुत वर्ष हो गये-“हम चकोर तुम चन्दा” आपके दरबारियों से विनती करते-करते ! किन्तु हमारी आवाज आपतक नहीं पहुंच पाती ! वे लोग हमसे वोट लेकर आजतक हमीं को चोट देते आये हैं ! आपतो बराक के विकास के लिए तिजोरी के मुख खोल देते हैं किन्तु जिस बोरे में वे पैसे बराक आते हैं उन बोरों में रास्ते में ही छेद हो जाते हैं।
मित्रों ! कुछेक लोगों ने षडयंत्र किया कि दिलीप कुमार रूद्र महायज्ञ के पैसे खा गये ! उनकी जानकारी के लिये बता दूँ कि दिलीप कुमार कोषाध्यक्ष नहीं हैं ! रूद्र महायज्ञ कमेटी के यूनियन बैंक के खाते में मंगल पाण्डे जी की मूर्ति हेतु दिनांक ती नवम्बर तक-“12,51,760,04″₹ सुरक्षित रखे हैं ! और इनका उपयोग मूर्ति स्थापना के लिये ही होगा। कुछ लोग कहते हैं कि किसी ने मंगल पांडे मूर्ति स्थापना के लिये बीस लाख दिये हैं ! उनसे निवेदन है कि ऐसी अफवाहें न फैलायें ! देने का वादा किया था ! वैसे मेरे द्वारा सिद्धि विनायक आश्रम से जाने के बाद भी ऐसा ही कुछ लोगों ने कहा था कि मैं लाखों लाख लेकर भाग गया ! जबकि जो कुछ भी थोडा पैसा था वो ट्रस्ट के पास था ! जमीन मेमो दा की थी ! वो जमीन अथवा की बांस का बना ढांचा लेकर मैं गया था ? अथवा कोई सा भी ऐसा फर्नीचर था जिसे समीति ने मुझे दिया था ? मित्रों ! आरोप लगाना आसान है ! किन्तु दिलीप कुमार जैसे ईमानदार और समर्पित योद्धा पर आरोप लगाने के पूर्व एकबार आरोप लगाने वालों को अपने गिरहबान में झांक कर देखने की अधिक आवश्यकता हैआनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्कांक 6901375971″

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