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“कार्य पुरुषकारेण लक्ष्यं सम्पद्यते”—— आनंद शास्त्री

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सम्माननीय मित्रों ! स्मृति कहती है कि निश्चय कर लेने पर कार्य अवस्य ही पूर्ण होता है ! मैं जानता हूँ कि-“हिन्दी हिन्दू और हिन्दुस्थान” की भावना सामान्य जनमानस में जगाना और वो भी हम हिन्दुओं में ! असम में जगाना कठिन है किन्तु उस कार्य में भला क्या आनंद जो सरलता से सम्पन्न हो जाये। मै मुक्त कण्ठ से कहता हूँ कि-
“त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयं”….”शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये।”
माँ भारती के आशीष से कार्यसिद्धि निश्चित है किन्तु मार्ग दुर्गम है ! परायों से अधिक अपनों से भय लगता है,अपनों से अधिक स्वयं से भी भयभीत हूँ ! और यह भय इसलिये है क्योंकि कि- “कार्यान्तरे दीघर्सूत्रता न कर्तव्या” जब किसी कार्य को करना हो तो आलस्य का त्याग करना पडेगा ! और मुझमें आलस्य की बहुलता है। मैं वृद्ध एवं अशिक्षित हूँ ! आप सभी युवा हैं ! मैं तो आप सभी पर एक बोझ बनकर गया था ! फिर भी-” हिन्दी के विरुद्ध उठे किसी भी वृत्तासुर” के लिये जब भी वज्र की आवश्यकता होगी तब मै अपनी अस्थियों को भी समर्पित करने हेतु तत्पर रहूँगा।
मित्रों ! हम सभी के पथ -पाथेय-“दिलीप कुमार” द्वारा जिस भगीरथ कार्य अर्थात हिन्दी के हितार्थ-“राजभाषा हिन्दी संयुक्त सुरक्षा समीति” की नींव बराक उपत्यका में दशकों से सेवारत एवं उत्कृष्ट इक्कीस संगठनों के सहयोग से रखी गयी ! सिल्चर,करीमगंज एवं हाइलाकांदी में जीलाधीशों को दिये अनुरोध पत्र के कारण ! और हमारे संरक्षक माननीय श्रीमान उदय शंकर गोश्वामी जी एवं माननीय श्रीमान कौशिक राय जी ने वास्तव में जिस-“श्रीराम सेतु” का निर्माण किया ! उन्होंने शिक्षा मंत्री जी से अनुरोध किया कि संलग्न अनुरोध पत्र में जिन १३२ हिन्दी विद्यालयों की सूची दी गयी है ! जिनमें केवल तीन अभी चल रहे हैं उन तीन विद्यालयों का द्विभाषी करण न करें एवं बन्द हो चुके विद्यालयों को पुनर्जीवित करें जिसका शिक्षा मंत्री जी ने हमें —- -“आश्वासन” दिया। कौशिक राय जी की कार्य कुशलता के कारण,राजदीप राॅय(करीमगंज के हमारे युवा कार्यकर्ता) एवं दिलीप कुमार के धरातलीय ज्ञान से आपकी समीति के प्रतिनिधि मण्डल को माननीय कौशिक राय जी ने अपने व्यय से यात्रा, आवास एवं अपने हांथों से परोस कर जो भोजन कराया उससे मैं स्तब्ध हूँ ! और उनके द्वारा प्रायोजित प्राग्ज्योतिषपुर अर्थात-“असम” के शिक्षामंत्री श्रीमान डा• रनोज पेंगू जी से लगभग दो घंटे तक चली महत्वपूर्ण बैठक में हमें ऐतिहासिक आश्वासन प्राप्त हुवे।
इस परिप्रेक्ष्य में राताबाडी के विधायक माननीय श्री विजय मालाकार जी ने भी हमारी यथोचित सहायता की। शिक्षामंत्री ने प्रतिनिधि मण्डल का अत्यंत ही आत्मीयता से स्वागत करते हुवे कहा कि मुख्यमंत्री जी ने उन्हें पहले ही कहा है कि हम असम में हिन्दी के लिये क्या कर सकते है ये देखें ! वे बोले कि आपकी समीति से हम हिन्दी के लिये भविष्य में आधिकारिक रूप से असम सरकार को यथोचित धरातलीय जानकारी देते रहने का अनुरोध करते हैं।
मित्रों ! उन्होंने बताया कि सरकार को-“शिक्षा सेतु” नाम से शिक्षा विभाग के लिये बने-“वैदिकीय संगणक(ऐप)” के द्वारा ये पता चला है कि हिन्दी के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में ६४६ से काफी अधिक संख्या में रिक्त पद हैं एवं माध्यमिक,उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में बारह सौ से भी अधिक हिन्दी शिक्षकों के पद रिक्त हैं जिनकी बहुत ही जल्दी नियुक्ति की जायेगी ! अर्थात उन्होंने कहा कि आपकी सभी मांगें बिलकुल ही न्यायोचित हैं ! इस हेतु उन्होंनें स्वीकार किया कि बराक उपत्यका के आधिकारिक सूत्रों ने उनको अंधेरे में रखा ! विषयानुसार हमारे प्रतिनिधि विश्व जीत कोइरी जी ने कहा कि हिन्दी के माॅडल विद्यालयों में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति भी लम्बित है ! और शिक्षामंत्री जी ने उनकी नियुक्ति का भी-“आश्वासन” दिया।
मित्रों ! प्रतिनिधिमंडल ने ये स्पष्ट कहा कि हम-“हिन्दी भाषा” के प्रतिनिधि हैं ! नियुक्ति हिन्दी शिक्षकों की होनी चाहिए और वह शिक्षक-“असमिया,बांग्ला,हिन्दी,बोडो” अथवा किसी भी समुदाय से आता हो हमें इसपर कोई भी आपत्ति नहीं है ! राजदीप राय ने हिन्दी विद्यालयों के बन्द होने अथवा उनके बांग्ला करण होने के कारण बता कर शिक्षा मंत्री जी की दुविधा को समाप्त कर दिया।
मित्रों ! दिलीप कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार तृतीय भाषा के लिये हिन्दीको चुना जाय जिसका समर्थन करते हुवे शिक्षा मंत्री जी ने कहा कि मुख्यमंत्री जी भी यही चाहते हैं। मैं समझता हूँ कि-“समाश्वासनवागेका न दैवं परमार्थतः” इस सूत्र का अनुसरण करने का ये समय है ! आश्वासन एवं भाग्य पर विश्वास करने के साथ-साथ पुरुषार्थ की आवश्यकता कहीं अधिक है ! हमारे शिक्षा मंत्री जी धेमाजी से विधायक हैं यह वही धेमाजी क्षेत्र है जिसकी चर्चा हमने महाभारत में पढी है ! “द्रोणाचार्य जी” के वंशज हैं हमारे शिक्षा मंत्री जी ! और द्रोणाचार्य ने जो कहा वही किया ! हमें विश्वास है कि आगे भी ऐसा ही होगा ! और मैं समझता हूँ कि हमारे चाय बागानों, ग्रामीण क्षेत्र,नगरीय विद्यालयों में कहाँ कहाँ हिन्दी शिक्षकों की तत्काल आवश्यकता है ! कितनी पाठ्यपुस्तकों की आवश्यकता है ! किन किन विद्यालयों को तत्काल प्रभाव से पुनर्जीवित करना है ! हिन्दी के लिये बराक उपत्यका के तीनों ही जिलों में हिन्दी से सुशिक्षित-“स्कूल ऑफ इन्स्पेक्टर” की आवश्यकता है ! प्रशिक्षित हिन्दी शिक्षकों की आवश्यकता है ! और यह कार्य राजभाषा हिन्दी सुरक्षा समीति के साथ-साथ शिक्षा विभाग को भी करना होगा ! मित्रों ! मैं समझता हूँ कि आश्वासनों से आश्वस्त होने की अपेक्षा और अधिक तत्परता से कार्यसिद्धि हेतु प्रयास करना होगा ! यदि हम सभी कौशिक राय जी,शिक्षा मंत्री जी, दिलीप कुमार एवं हिन्दी से प्रेम करने वाले सभी लोगों के साथ घुल-मिल कर चलेंगे तो माँ भारती का ये कार्य सम्पन्न होगा ! मैं-दुर्गेश कुर्मी,रामनारायण जी,कंचन सिंह ,सुभाष चौहान, प्रदीप कुर्मी मानव सिंह मनोज शाह जी,प्रेमचन्द राय शर्मा एवं कुमारी अभिनन्दिता के द्वारा प्रतिनिधि मंडल के कार्यसिद्धि हेतु किये गये प्रयास हेतु बार बार आभार व्यक्त करता हूँ—..-“आनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्क सूत्रांक 6901375971”

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