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मैं, मुख्यमंत्री निवास हूं… संजीव शर्मा

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मैं, मुख्यमंत्री निवास हूं…प्रदेश के मुखिया का आधिकारिक निवास। फिलहाल मेरी पहचान भोपाल के ‘6-श्यामला हिल्स’ के तौर पर है जहां मौजूदा मुख्यमंत्री रह रहे हैं। यह बंगला शायद मेरा अब तक का सबसे आदर्श पता है। श्यामला हिल्स की ऊंची और हरियाली की चादर ओढ़े खूबसूरत पहाड़ी पर बना मेरा यह घर मुख्यमंत्री पद की आन-बान-शान के बिल्कुल अनुरूप है। मेरे सामने मौजूद बड़ा तालाब अपनी उछलकूद करती लहरों के बाद भी शांत रहकर मुझमें भी धैर्य का संचार करता है और दिन भर की राजनीतिक सरगर्मियों के बाद भी मेरे अंदर ठहराव का कारण यही है। बड़ा तालाब अपने विस्तार और प्रवाह से मेरे अंदर के बड़प्पन का स्मरण कराता रहता है। आखिर,मुख्यमंत्री की मेजबानी,उनकी चिंताओं, खुशियों, दुःख, राजनीतिक उठा पटक, साज़िश और पद के सुकून सहित इतना कुछ सहने के बाद भी बड़े तालाब सा शांत रहने के लिए बड़प्पन तो चाहिए ही।
अब एक बार फिर सभी की निगाह मुझ पर टिकी हैं…राजनीति के उद्भट खिलाड़ियों से लेकर गुणा भाग में माहिर नेताओं तक,मीडिया के सीधे तने सिद्धांत प्रिय पत्रकारों से लेकर रीढ़ विहीन कलमकार और बाइट वीर तक मेरी ओर टकटकी लगाकर देख रहे हैं। आम जनता के साथ साथ मुझे भी हर चुनाव के साथ अपने नए ‘किरायेदार’ का बेसब्री से इंतज़ार रहता है। किरायेदार इसलिए,क्योंकि मैं और मेरी पहचान तो कमोवेश अब स्थाई हो गई है लेकिन मेरा आतिथ्य स्वीकार करने वाले जरूर अस्थाई होते हैं। कोई पांच साल,कोई ढाई साल तो कोई पंद्रह महीने..और किसी की तो बस कल्पना का हिस्सा ही बन पाता हूं मैं। शिवराज जी जैसे कुछ ही भाग्यशाली हैं जिन्होंने सालों साल मुझे भोगा है,मुझे संवारा है और खुद को भी निखारा है।
ऐसा नहीं है कि मुझे अपने जन्म के साथ ही श्यामला हिल्स का यह भव्य और गरिमामय ठिकाना मिल गया था बल्कि यहां तक पहुंचने के लिए मैंने भी प्रदेश की राजनीति की तरह लंबा फासला तय किया है। अब कहा तो यह भी जा सकता है कि प्रदेश का मुखिया जहां रहेगा वह अपने आप में सबसे बड़ी पहचान है लेकिन मेरी भी तो अपनी कोई हैसियत है न… और इसलिए ठिकाना भी स्थाई होना चाहिए। जब हमारे राज्य मप्र का जन्म हुआ और प्रदेश को पंडित रविशंकर शुक्ल के रूप में पहला मुखिया मिला तो पुराने शहर का आइना बंगला मेरी पहचान बन गया जिसे आज आप स्टेट गेस्ट हाउस के तौर पर जानते हैं। पंडित शुक्ल के बाद डॉ कैलाश नाथ काटजू और भगवंत राव मंडलोई को भी मुझमें कोई खोट नज़र नहीं आया लेकिन पंडित द्वारिका प्रसाद मिश्र पता नहीं क्यों मुझसे कुछ खफा हो गए और मेरा ठिकाना बदलकर श्यामला हिल्स स्थित निशात मंज़िल हो गया । पुराना पता बदलने का दुःख तो हुआ लेकिन नया परिवेश शानदार लगा तो फिर यहीं मन लग गया। प्रकाश चंद सेठी मुझे प्रोफेसर कालोनी ले गए लेकिन मुझे इस बात की खुशी थी कि मैं श्यामला हिल्स के इर्द गिर्द ही हूं ।
फिर आए पंडित रविशंकर शुक्ल के पुत्र और उस कालखंड में प्रिंस चार्मिंग कहे जाने वाले श्यामाचरण शुक्ल। उनका दिल मेरे वर्तमान ठिकाने ‘6 श्यामला हिल्स’ पर आ गया और उनके साथ ही मेरे सजने संवरने के दिन भी शुरू हो गए। अब तक गेस्ट हाउस बनकर जमाने भर के प्रिय-अप्रिय लोगों की सेवा से मैं भी आजिज आ चुका था इसलिए श्यामा भैया की संगत में मैंने भी रुतबा हासिल करना शुरू किया। अरे, जब दुनिया भर में बड़े नेताओं के स्थाई पते हो सकते हैं तो देश के दिल मध्यप्रदेश के मुखिया का भला स्थाई पता क्यों नहीं होना चाहिए? श्यामा भैया,चाय के शौकीन थे और अपने करीबी लोगों को खुद विलायती रवायत से चाय बनाकर पिलाते थे। उनकी चाय की खुशबू से मेरा भी रोम रोम महकने लगता था। मैंने, अर्जुन सिंह का रूआब भी देखा है तो दिग्विजय सिंह की जिंदादिली भी, उमा भारती की अध्यात्मिकता से लेकर कैलाश जोशी का संतत्व,मोतीलाल वोरा की सादगी, शिवराज का संपर्क, सुंदरलाल पटवा और वीरेंद्र कुमार सखलेचा की गंभीरता भी। मैंने कमलनाथ के छोटे से दौर में खुद को बड़ा होते हुए भी देखा है। वैसे, कमलनाथ और मेरे बीच एक संबंध और भी है। वे इन दिनों जिस बंगले में रह रहे हैं वह गोविंद नारायण सिंह के दौर में कभी मुख्यमंत्री निवास रह चुका है।
अब,एक बार फिर विधानसभा चुनाव मेरे लिए भी पहेली बन गए हैं। जब एक्जिट पोल को भी अपने एक्जैक्ट होने पर शक है तो फिर मैं तो ईंट पत्थर का ढांचा बस हूं। मैं, न तो अपना नया किरायेदार तय कर सकता हूं और न ही कोई भविष्यवाणी। दशकों से मुख्यमंत्रियों का आवास होने का मतलब यह तो नहीं है न, कि मैं राजनीति की उलझी हुई गुत्थियों को सुलझा लूं । मैं,राजनीति के खेल का मूक दर्शक भर हूं जो महसूस तो सब कर लेता है पर कर कुछ भी नहीं सकता। हां,मैं बस इतना चाहता हूं कि प्रदेश का मुखिया कोई भी बने लेकिन मेरे रुतबे में कोई कमी नहीं आए बल्कि मेरी भव्यता दिन ब दिन और निखरती जाए ताकि मैं भी गर्व के साथ कह सकूं कि मैं 6 श्यामला हिल्स हूं, मप्र के मुख्यमंत्री का आधिकारिक निवास।
लेखक: संजीव शर्मा

समाचार संपादक
आकाशवाणी,भोपाल, मप्र 

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