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कविता-गायन-नृत्य के साथ ३१ वाँ पुस्तक मेला सम्पन्न

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शिलचर, २ नवंबर: कविता-गीत-नृत्य एवं चर्चा के माध्यम से ३१ वां शिलचर पुस्तक मेला बुधवार को संपन्न हो गया। अंतिम दिन भी हर दिन की तरह काव्य पाठ, सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। इस दिन सबसे पहले परितोष पाल स्मृति मंच पर काव्य पाठ सत्र आयोजित किया गया। कवि विजय कुमार भट्टाचार्य, ललिता सरकार, मृदुला भट्टाचार्य, शुक्ला भट्टाचार्य, प्रदीप दास आदि ने कविता पाठ किया. इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम में संगीत व नृत्य की प्रस्तुति की गयी. इसमें नृत्यांजलि डांस स्कूल की छात्राओं ने लगातार तीन नृत्य प्रस्तुत किये। इसके बाद नृत्यांजलि डांस स्कूल के कलाकारों ने एकल नृत्य प्रस्तुत किया. समूह नृत्य करता है. इस अवसर पर अभिजीत दत्ता ने रवीन्द्र संगीत प्रस्तुत किया। इसके अलावा इशान तालुकदार, समर देव, संजीव दास आदि ने संगीत प्रस्तुत किया. ध्यान दें कि ३१ वां शिलचर पुस्तक मेला २० नवंबर को शुरू हुआ था। अधिकारियों के प्रयास से प्राकृतिक आपदाओं एवं मैदान की दुर्दशा पर काबू पाकर मेला निष्पक्ष एवं सुन्दर ढंग से सम्पन्न हुआ। स्टालों की संख्या कम होने के बावजूद ३१ वां मेला निर्विघ्न संपन्न हो गया। मेले के समापन समारोह में मेला समिति के अध्यक्ष हारान डे, अध्यक्ष स्वर्णाली चौधरी, संपादक विप्लव पाल चौधरी, कवि विजय कुमार भट्टाचार्य, अब्दुल हई लस्कर आदि उपस्थित थे. हर कोई मैदान की दुर्दशा का जिक्र कर रहा था. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि स्टालों की कम संख्या में भागीदारी और विभिन्न बाधाओं के बावजूद, सभी के सहयोग से स्टालों को अच्छी तरह से प्रबंधित किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में मेला व्यापक स्तर पर आयोजित किया जायेगा.
ज्ञात हो कि शिलचर नगर पालिका द्वारा प्रबंधित यह मैदान मनीषी बिपिन चंद्र पाल के नाम पर है, लेकिन नगर पालिका द्वारा यहां साल भर कूड़ा रखा जाता है। पुस्तक मेले के समापन समारोह में मेला समिति की ओर से यह आह्वान भी किया गया कि भविष्य में ऐसा न कर इस स्थान को सभा स्थल बनाया जाये.क्योंकि शिलचर शहर में और कहीं कोई सभा स्थल नहीं है. इसके अलावा नगर पालिका ने शहर के बीचोबीच बिपिन चंद्र पाल के नाम पर बने इस मैदान को बिना गंदे कूड़े से ढके सभी के उपयोग लायक बना दिया है। ताकि जरूरत पड़ने पर शहर की सभी छोटी-बड़ी संस्थाएं इस क्षेत्र में अपने आयोजन कर सकें। यह भी कहा गया कि इस संबंध में प्रशासन को आवेदन दिया जायेगा.ज्ञात हो कि यह मैदान काफी दिनों से कूड़े से भरा हुआ था, पुस्तक मेले के अवसर पर जब कई प्रयासों के बाद इस मैदान की सफाई की गयी, तो अब यह मैदान बिना कूड़ा-कचरा किये खूबसूरती से संवारा गया है. ताकि कोई भी संगठन किसी भी वक्त मैदान का इस्तेमाल बैठकों और आयोजनों के लिए कर सके, भाषण में ये बातें भी आईं.दिन के पूरे कार्यक्रम की प्रभारी मृदुला भट्टाचार्य थीं. संगीत के साथ ९ दिवसीय पुस्तक मेले का समापन हुआ.

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