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दामछड़ा पुंजी में जमींदोज हुए कई घर
मनोज मोहन्ती, करीमगंज, 5 दिसंबर: उन लोगों ने शिव मंदिर जलाया है, अब शिव का तांडव नृत्य होगा यहां। राताबाड़ी के बिधायक विजय मालाकार का यह हुंकार दामछड़ा के जनजातिय गांव में वास्तव में प्रतिफलित होते दिखा। सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है और उसी सोमवार को प्रशासन का बुलडोजर उस गांव में चला जहां शिव मंदिर जलाया गया था। सरकारी जमीन अवैध दखल से मुक्त करने हेतु रामकृष्णनगर के सर्कल अधिकारी सतीश प्रसाद गुप्ता और राताबाड़ी के ओसी उत्तम अधिकारी की अगुवाई में चला प्रशासन का बुलडोजर। इसके लिए भारी मात्रा में पुलिस और सीआरपी बल तैनात किए गए थे। तीन जेसीबी मशीनों की मदद से सोमवार सुबह शुरू हुआ उच्छेद अभियान। जिसके चलते एक-एक कर करीब १२ अवैध मकानों को जमींदोज कर दिया गया। हालांकि उसदिन जेसीबी मशीन मन्दिर कांड के मुख्य आरोपी अनवर अली और उसके साथियों के घर तक नहीं पहुंच सका। पर अनवर ने दुर्लभछोड़ा चाय बागान की जिस जमीन पर कब्जा कर सुपारी के बगीचे लगा दिया था। प्रशासन के निर्देश पर बागान प्रबंधन ने अनवर द्वारा लगाये गये उन सैकड़ों पेड़ों को श्रमिकों के मदद से कटवा दिया। पता चला है की उस गांव में लगभग 37 परिवारों को बेदखल किया जाना लगभग तय है ।।लेकिन सोमवार को सिर्फ १२ परिवारों को ही हटाया जा सका। खबर लिखे जाने तक का निष्कासन स्थल पर प्रशासन का बुलडोजर चल रहा था। अनुमान है कि प्रशासन को बेदखली की प्रक्रिया पूरी करने के लिए अभी दो से तीन दिनों तक बुलडोजर चलाना पड़ेगा।
ज्ञात हो कि सात नवंबर को दामछड़ा पुंजी स्थित शिव-नारायण मंदिर को बदमाशों ने पेट्रोल डालकर जला दिया था। असम में मंदिर जलाने की इस पहली घटना को लेकर लोगों में गुस्सा फैल गया था। मंदिर परिसर में आदिवासी महिलाओं की चीख-पुकार सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। उस घटना को राष्ट्रीय समाचार माध्यमों पर भी प्रसारित किया गया। बदमाशों ने पुलिस प्रशासन को चुनौती देते हुए उस घटना को अंजाम दिया था। जिसके चलते राताबाड़ी पुलिस ने तेजी से जांच प्रक्रिया शुरू कर दी।करीमगंज के पुलिस अधीक्षक पार्थ प्रतिम दास ने व्यक्तिगत रूप से जांच की निगरानी की। जिसके मद्देनजर पुलिस ने मंदिर जलाने की घटना में शामिल होने के आरोप में समीर अली और अतीकुर्रहमान को गिरफ्तार कर लिया। पर मुख्य आरोपी अनवर भागने में सफल रहा। उसके ठिकाने का पता लगाने के लिए उसकी पत्नी अपतारुन नेसा को लाया गया। अपतारुन से पूछताछ के बाद पुलिस को मास्टरमाइंड अनवर के ठिकाने का पता चला। परिणामस्वरूप, 17 नवंबर को राताबाड़ी थाने की ओसी उत्तम अधिकारी के नेतृत्व में असम पुलिस की एक टीम उसे पड़ोसी राज्य त्रिपुरा के रस्याबारी इलाके में एक गुप्त ठिकाने से गिरफ्तार करने में कामयाब रही। वह वहां छिपकर बांग्लादेश भागने की योजना बना रहा था। उसकी गिरफ्तारी के अगले दिन, पुलिस उसे घटनास्थल पर ले गई और उसके द्वारा छिपाई गई एक देशी बंदूक बरामद की। उस दिन वापस लौटते समय रास्ते में अनवर भागने की कोशिश कर पुलिस की गोली से घायल हो गया।
गौरतलब है कि दामछड़ा पुंजी में सैकड़ों वर्षों से आदिवासी बर्मन लोग रहते आ रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से दूसरे समुदाय के लोगों ने कथित तौर पर उनकी जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया। आरोप है कि उन दुसरे समुदाय के लोगों ने आदिवासियों को वहां से बेदखल करने के इरादे से कई घटनाओं को अंजाम भी दिया। इसी साल जनवरी के मध्य में पंचायत सदस्य रमारानी बर्मन और उनके पति संतोष बर्मन पर अवैध कब्जाधारी सुरूज अली और उसके बेटों ने जानलेवा हमला किया था।इसके अलावा इसी साल जून में सुरुज अली के परिवार की गोलीबारी में मतैर अली नाम के एक व्यक्ति की घायल भी हुआ था। इतना ही नहीं, उन्होंने शिव और नारायण मंदिर के नाम से सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज लगभग तीस बीघा जमीन भी जब्त कर ली थी। इस से वहां रहने वाले मुल आदिवासी खतरा महसूस कर रहे थे।
परिणामस्वरूप, मंदिर को जलाने की घटना के दो दिन बाद, राताबाड़ी के विधायक विजय मालाकार कोकराझार से अपने केंद्र में लौट दामछड़ा पुंजी पहुंच कर चेतावनी देते हुए कहा, ‘उन्होंने शिव मंदिर जलाया है, अब यहां शिव का तांडव होगा। और विधायक की उस चेतावनी के मुताबिक सोमवार को जेसीबी मशीन बदमाशों के गांव में तांडव मचाया। आदिवासियों ने प्रशासन की इस कार्रवाई की सराहना करते हुए करीमगंज के जिलाध्यक्ष से निष्कासन प्रक्रिया को पूरा करने और वहां रहने वाले बर्मन समुदाय के जीवन और आजीविका को सुरक्षित करने की मांग की है।