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भारत को एकता के सूत्र में जोड़ने का कार्य करती है – हिंदी

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हिंदी विभाग, त्रिपुरा विश्वविद्यालय और केंद्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय (उच्चतर शिक्षा विभाग), नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ‘भाषा’ पत्रिका की ओर से आयोजित ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और पूर्वोत्तर की भाषाएं’ विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय साहित्यिक परिसंवाद (13-15 दिसंबर, 2023) का शुभारंभ आज दिनांक 13 दिसंबर, 2023 को त्रिपुरा विश्वविद्यालय के अकादमिक भवन -11, संगोष्ठी कक्ष -2 में हुआ। उद्घाटन सत्र में सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत प्रो. विनोद कुमार मिश्र, परिसंवाद संयोजक एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग, त्रिपुरा विश्वविद्यालय ने किया। उन्होंने इस बात का संकेत किया कि आजादी के लगभग सात दशक बाद ऐसा सुयोग हुआ है कि पूर्वोत्तर भी विकास के राजमार्ग से जुड़ पा रहा है। अब हिंदी अलगाव का नहीं बल्कि संप्रीति का कारण बन रही है। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता डॉ. जी गोपीनाथन, निवर्तमान कुलपति, महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा ने की। अपने वक्तव्य में गोपीनाथन जी ने बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा में बहुत कुछ ऐसा जिसे पुनर्संयोजित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कन्याकुमारी से लेकर त्रिपुरेश्वरी भवानी तक एकात्मता के अनेक सूत्रों का उल्लेख किया। इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. सत्यदेव पोद्दार, कुलपति, महाराजा बीर बिक्रम विश्वविद्यालय, अगरतला उपस्थित रहे। उन्होंने अपने वक्तव्य में इस बात का उल्लेख किया कि भारतवर्ष भले ही पांचवें दशक में आजाद हो गया था लेकिन उसे मानसिक गुलामी से मुक्ति नहीं मिली थी इसलिए यह जरूरी है कि हम अपनी परंपरा, सभ्यता और संस्कृति को पहचानने और आरोपित मानसिक गुलामी से आजाद हों। उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि जब ज्ञान के अन्य अनुशासनों का विकास नहीं हुआ था तब केवल कहानियाँ ही विद्यमान थीं, जिसे आज लोकसाहित्य के नाम से जाना जाता है। इस साहित्य में मौजूद इतिहास तथा अन्य ज्ञान-विज्ञान के सूत्र को तलाशने की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में त्रिपुरा विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलसचिव डॉ. दीपक शर्मा जी का सान्निध्य प्राप्त हुआ। राजनीति विज्ञान विषय को केन्द्र में रखकर उन्होंने बताया कि हमने अभी तक भारतीय मनीष का उतना लाभ नहीं लिया है जितना लेना चाहिए। हमारा ज्ञान पाश्चात्य केंद्रित (western Oriented) है इसे भारत केंद्रित बनाने की जरूरत है। केन्द्रीय हिंदी निदेशालय से यहाँ पधारीं डॉ. किरण झा ने विषय प्रवर्तन किया और निदेशालय से ही आए श्री प्रदीप ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. काली चरण झा ने किया। इस अवसर पर प्रो. दिनेश कुमार चौबे, डॉ. मनोज कुमार मौर्य, डॉ. शंकरनाथ तिवारी, डॉ. ब्रज मोहन पाण्डेय, डॉ. आलोक कुमार पाण्डेय, डॉ. पवन कुमार सिंह, डॉ. उत्पल विश्वास, डॉ. देवराज पाणिग्रही इत्यादि साहित्य सैकड़ों विद्यार्थी-शोधार्थी मौजूद रहे।

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