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वह भी क्या उम्र थी
वह भी क्या उम्र था
वह भी क्या जोश था,
भरी जवानी में हम
भरी जवानी में हम
देश के खातिर लड़ते गए
देश के खातिर काकोरी कांड तो किया
फांसी पे भी हंसते हंसते छड़ते गये।
वह भी क्या उम्र थी
वह भी क्या उम्र था
वह भी क्या जोश था,
अभी तो दिल्ली से आए थे
अभी तो दिल्ली से आए थे
लिख पड़के आए थे
ना हमें था खुद की फिकर
हम तो चाह रेहे थे आजाद हो हमारा घर ( देश )।
वह भी क्या उम्र थी
वह भी क्या उम्र था
वह भी क्या जोश था,
आजादी के लिए हम निकल पड़े
आजादी के लिए हम निकल पड़े
संग थे हमार खान – सिं – लाहिड़ी
चक्रवर्ती – गुप्ता – आदि भी हमारे संग रहें
आजाद ने भी दिया था हमारे संग।
वह भी क्या उम्र थी
वह भी क्या उम्र था
वह भी क्या जोश था,
ना हमें था प्राणों का भय
ना हमें था प्राणों का भय
हम तो थे राम प्रसाद निडर
हम काकोरी कांड करते गए
देश के खातिर प्राणों की आहुति देते गये।
प्रयास – एक पागल देश प्रेमी (राघव चंद्र नाथ)