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हर पल तेरा बुलाना
अपनी दरीचे पे तेरा रूक जाना याद है
तेरा तब्बासुम, चश्मे इश्क से ,
मुझे संवारना याद है।
तेरा नई नई वो गिले वो शिकायते
और मेरा रूट जाना याद है।
प्यारी सी बोली मे मुझे मानना,
तेरा वो मीठी आवाज याद है।
वल्स के खूबसूरत सहर में
ज़िक्र के फिराक से मुझे रुलाना याद है।
भरे महफिल में तुझे देखना
इशारों में गुफ्तगू करना याद है।
मिलते थे चुप चुप के जहा हम,
मुझे वह राह भी याद है।
शबे हिर्ज का पल
सराशकों से मुझे नहलाना याद है।
तेरा करीब आना ,तुझे दूर जाना ,
तुझे रुलाना याद है ।
हमको याद है तेरा इश्क ,
याद है तेरा पैकर ,
हमको अब तक आशिकी का
वह जमाना भी याद है।
याद है …………
नाम –हाजिरा बेगम चौधरी
ग्यारहवीं कला।
जवाहर नवोदय विद्यालय कछार।