सम्माननीय मित्रों ! विश्व के रंगमंच पर जब भी आर्थिक स्तर की -“स्तरीय” चर्चा होती थी तो भारत समूचे विश्व में द्वितीय स्तर की अपनी जनसंख्या होने के बाद भी-“अति निर्धन अविकसित देशों” की कतार में विश्व बैंक के समक्ष आज के पाकिस्तान की तरह भिक्षा पात्र लिये बैठा दिखता था ! किन्तु आजकी परिकल्पना ही आमूल-चूल बदल चुकी ! हमारी अर्थव्यवस्था ने मानों अंगडाई लेकर समूचे विश्व की महत्वपूर्ण आर्थिक,सामरिक और राजनैतिक दृष्टि से पहली कतार में बैठे देशों को हमारे दिशा-निर्देश की प्रतिक्षा करने को लालायित कर दिया ! आज अमेरिकी बाजार भारतीय सेंसेक्स और बैंक निफ्टी की गति को देखकर-“उठते,गिरते,हांफते,ऊर्जा
अपने हथियारों के विक्रय,विस्तार वादी प्रवृत्ति,जेहादी मानसिकता, तथाकथित कुतर्को पर आधारित कुधर्म प्रचार नीति, आर्थिक-मानसिक शोषण की प्रवृत्ति के कारण आज विश्व के विकसित देशों के प्रभावशाली होते हुवे भी उनकी नींव के खोखलेपन के कारण खाईयों पर बनी वे गगनचुम्बी अर्वाचीन युगीन आर्थिक इमारतें अब दरकने लगी हैं।
मित्रों ! प्रतिमाह लगभग 2% की दर से बढती हमारी जीडीपी आज देश की आर्थिक हिमालयीय सुदृढ़ नींव की द्योतक हैं ! मैं समझता हूँ कि जिस दिन से अवध में भगवान श्रीराम का भव्य मन्दिर बनना प्रारम्भ हुआ है उसी पल से एनएसई,बीएसई एवं एमसीएक्स रूपी भगवान शिव के तीन सांड सरपट दौड़ रहे हैं ! पिछले वर्ष में 17000 से 22750 तक की यात्रा निफ्टी ने तय कर ली ! कदाचित् समूची मानवीय नवीन युग की सभ्यता में किसी भी देश की अर्थव्यवस्था ने पांच वर्षों में भी इतनी ऊंचाईयाँ नहीं पायी होंगी ! मैं समझता हूँ कि भारतीयता के स्वर्णिम ऐतिहासिक पुरूषों में आपने महर्षि चाणक्य का नाम अवस्य ही सुना होगा ! जिन्होंने-“चाणक्य नीति” नाम से जिस राजनैतिक ग्रन्थ को लिखा ! एक अप्रचारित सच्चाई और भी जान लीजिए कि नवीन युग के प्रसिद्ध आर्थिक शोध ग्रन्थ- “कौटिल्य का अर्थशास्त्र” उनके कौटिल्य उपनाम से लिखित वह महान ग्रंथ है जिसकी नीतियों पर चलकर आज भारतीय कूटनीति ने दुनिया को अचम्भित कर दिया है ! और ये वही चाणक्य थे जिन्होंने-“वात्स्यायन ऋषि के नाम से कामशास्त्र”की भी रचना की थी जो मनुष्यों की प्राकृतिक इच्छाओं की पूर्ति हेतु आज संसार की सभी कामनाओं की पूर्ति हेतु भारतीय संस्कृति की ओर देखने को बाध्य कर रहा है।
आर्थिक शक्ति की पराजय के चिन्ह को दुनिया और शेयर बाजारों में-“भालू”के चिन्ह से जाना जाता है ! ओर ये -“रशियन भालू” आज संसार का सर-दर्द बन चुका ! अमेरिका को अपनी अर्थव्यवस्था की कंगाल होती स्थितियों को देखते हुवे वहाँ के फाॅरेक्स अर्थात एक प्रकार से रिजर्व बैंक ऑफ अमेरिका को अपनी बाॅण्ड यील्ड में बेतहाशा वृद्धि करनी पडी! एकतरफा
वृद्धि की ! केवल इसलिए की क्यों कि यूक्रेन को दी जा रही सामरिक आपूर्ति और रूस के लिये अपनायी आर्थिक प्रतिबंध नीति उसके साथ यूरोप को भी कंगाल कर रही थी ! किन्तु ये यूरोप,अमेरिका,रूस और खाडी देशों का दुर्भाग्य है कि अमेरिका को थक कर बाॅण्ड यील्ड में पुनश्च कटौती की घोषणा करनी पडी जिस पर आज समूचा विश्व स्तब्ध है।
मित्रों ! एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण विषय आपसे साझा करना चाहता हूँ ! वो दिन लद गये जब हलचल खाडी में होती थी ! दुनिया के किसी भी कोने में छोटी सी भी हलचल होती थी ! और भारतीय शेयर बाजार औंधे मुँह गिर जाते थे ! डील्स अर्थात विदेशी संस्थागत निवेशक शाॅर्ट सेलिंग कर हमें बेवकूफ बनाकर बिकवाली कर निकल जाते थे और भारतीय निवेशकों के एक दिन में लाखों करोड़ रुपये हडप लेते थे ! किन्तु आज क्या हो रहा है ? सन् 2023 में क्या हुवा ?
कम से कम तीन ऐसी घटनाएं थीं-“रूस यूक्रेन युद्ध,अडानी समूह पर हिंडन बर्ग और कांग्रेस का झूठा हमला तथा हमास इजरायल युद्ध !” आप ध्यान देना -“रूस यूक्रेन युद्ध से भारतीय बाजार केवल पांच सात दिन हल्के हुवे फिर लाइफ टाइम हाई पर पहुंचें ! पांच फरवरी को हींडनबर्ग की झूठी रिपोर्टें से भारतीय बाजारों को औंधे मुँह गिराने का कांग्रेस और विदेशी आर्थिक शक्तियों का षड्यंत्र था ! किन्तु आश्चर्य इस बात का है कि केवल-“अडानी”समूह के शेयरों में बिकवाली आयी किन्तु भारतीय शेयर बाजार ने और भी ऊँचे स्तर को छूवा फिर इजरायल हमास युद्ध का तो भारतीय बाजारों पर एक प्रतिशत भी असर नहीं हुआ।
मैं साक्षी हूँ कि आज भारतीय शेयर बाजार का स्माॅलकैप, मिडकैप एवं लाॅर्जकैप तीनों सूचकांक,मैटल,एनर्जी,फार्मा, फाइनेंस,एफएमसीजी,पीएसयू आदि सभी सेक्टर भारतीय इतिहास में पहली बार लाइफ टाइम हाई पर हैं और वहाँ लगातार दस सप्ताह से टिके हैं ! फील्स अर्थात स्थानीय संस्थागत निवेशकों की ऐसी स्थिति है कि डील्स परेशान है कि भारतीय बाजार गिरें तो वे खरीदें ! मित्रों ! लगभग 90% अच्छी क्वालिटी के शेयरों ने पिछले एक वर्ष में 100 से 300% तक का रिटर्न देकर भारतीय निवेशकों का जीवन स्तर बदल दिया है
जहाँ पिछले दो वर्ष पूर्व आयकर दाताओं की संख्या साठ लाख थी वो 31/12/2013 तक छे करोड़ पचास लाख हो चुकी ! अर्थात आज भारत बदल रहा है ! निःसंदेह तीन से सात वर्षों में हम एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति होंगे।
इसके मूल में कौटिल्य की अर्थव्यवस्था एवं चाणक्य की नीति है ! मैं गर्व के साथ यह कह सकता हूँ कि आज हम पुनश्च वेदों में वर्णित सांस्कृतिक विकास एवं रामराज्य की स्थापना हेतु कृतसंकल्प हो चुके हैं किन्तु यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि जिसके पाप काशी में नहीं धुले ! प्रयाग में नहीं धुले ! उसके पाप हरिद्वार में स्नान करने से कैसे धुल जायेंगे ? क्रमशः …..आनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्कांक 6901375971″
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- Admin
- January 5, 2024
- 11:27 am
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भारतीय इक्विटी और इण्डेक्स का कमाल विश्व बेहाल-(3)—आनंद शास्त्री
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