गुवाहाटी, 20 जनवरी । केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा की उपस्थिति में “असम के ब्रेवहार्ट-लाचित बरफूकन” नामक पुस्तक का विमोचन किया। असम सरकार की एक पहल पर प्रख्यात लेखक अरूप कुमार दत्ता द्वारा अंग्रेजी में लिखी गई पुस्तक, राज्य के महान 17वीं सदी के युद्ध नायक लाचित बरफूकन के जीवन की कहानी और रक्षा करते समय उनके द्वारा किए गए बलिदान से देश को परिचित कराने का एक प्रयास है। मुगल सेना के खिलाफ उनकी मातृभूमि के लिए दिखाया गया पराक्रम समेत यह पुस्तक न केवल असम की समृद्ध और अनकही ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन करती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे लाचित बरफूकन की विरासत ने भावी पीढ़ी पर अपना प्रभाव डाला है।
पुस्तक का 23 भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। इस अनुवाद कार्य में शामिल लेखक हैं- ज्ञान प्रकाश टेकचंदानी और सुंदरदास वी गोहरानी (सिंधी), वाहेंगबाम कुमारी चानू (मणिपुरी), राजेश्वर सिंह राजू (डोगरी)। मुंजुलुरी कृष्णा कुमारी (तेलुगु), सुरेन तालुकदार (असमिया), प्रदीप कुमार (हिंदी), लालचंद सारेन (संथाली), देवायन भादुड़ी (बांग्ला), हरकमलप्रीत सिंह (पंजाबी), डॉ के शिवलिंगप्पा हदीहालु और वीरेंद्र रबीहाल (कन्नड़), बिंदुमाधव कुलकर्णी (मराठी), आरएस भास्कर (कोंकणी), कन्नयन दक्षिणमूर्ति (तमिल), विजयदेव झा और संजय झा (मैथिली), डॉ. खगेन शर्मा (नेपाली), सुभाष चंद्र सत्पथी (उड़िया), बलदेवानंद सागर (संस्कृत), स्वर्णप्रभा चेनरी और फूकन चंद्र बसुमतारी (बोड़ो), एस सलीम कुमार (मलयालम), मिर्जा एबी बेग (उर्दू), निसार आजम (कश्मीरी), विनोद पटेल (गुजराती) और दीन दयाल शर्मा (राजस्थानी)।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा ने महान जनरल की 24 नवंबर, 2022 को नई दिल्ली में 400वीं जयंती समारोह में भाग लेने के दौरान विभिन्न भारतीय भाषाओं में लाचित बरफूकन के जीवन और वीरतापूर्ण कारनामों पर एक किताब लाने के सुझाव के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया ताकि बच्चे और युवा इस बहादुर के बारे में जागरूक हों और उनसे प्रेरणा लें। मुख्यमंत्री ने लेखक अरूप कुमार दत्ता और पुस्तक के अनुवादकों के प्रति भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने समय सीमा के भीतर कार्य को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की है।
डॉ. सरमा ने कहा कि जहां भारतीय इतिहास में मुगल वंश के शासकों का महिमामंडन करने वाले विशाल अध्याय शामिल हैं, वहीं महान भारतीय नायकों और महान भारतीय राजवंशों, जिन्होंने 5 हजार साल पुरानी भारतीय सभ्यता के निर्माण में गहरा योगदान दिया, को इतिहासकारों ने नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी, दुर्गा दास राठौड़, लाचित बरफूकन आदि जैसे भारतीय नायकों को हमारी इतिहास की किताबों में अधिक महिमामंडित किया जाना चाहिए, क्योंकि वे वीरता, बलिदान और देशभक्ति के प्रतीक हैं और प्रेरणा के स्थायी स्रोत हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि लचित बरफूकन की वीरता की कहानी को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए पुस्तक की अनुवादित प्रति संबंधित राज्यों में संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में जारी की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह के अनुसार लाचित बरफूकन पर एक मेगा नाट्य प्रदर्शन पूरे देश में आयोजित किया जाएगा। यह शो लगभग 500 कलाकारों को शामिल करते हुए प्रदर्शित किया जाएगा।
कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री डॉ रनोज पेगू, असम प्रकाशन बोर्ड के उपाध्यक्ष सुमंत चालिहा, लेखक अरूप कुमार दत्ता, पुस्तक के अनुवादक और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।