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एक साथ एक ही तिथि को अयोध्या में प्रभु श्री राम और दुमदुमा में उनके अन्यतम भक्त महाबली हनुमान जी के भव्य नव निर्मित मंदिर का उद्घाटन व प्राण प्रतिष्ठा का विहंगम आयोजन देख तन मन प्रफुल्लित हो उठा। २२ जनवरी २०२४ को एक तरफ अयोध्या में “रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाय” का पालन करने वाले भगवान विष्णु के सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम तो दूसरी ओर दुमदुमा के कोलियापानी स्थित उनके अन्यतम सर्वश्रेष्ठ भक्त व भगवान शिव के ग्यारहवें रुद्र अवतार महाबली हनुमान जी के नव निर्मित भव्य मंदिर व प्राण प्रतिष्ठा इतिहास के काल खण्डो में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से “आस्था एक संकल्प” नामक नव युवको की एक छोटी सी टीम ने अपने सतत् प्रयास एवं जन- जन के सहयोग से उक्त मंदिर का भव्य रुप में नव निर्माण किया है। उक्त मंदिर में सुदूर राजस्थान से लाई गई कीमती पत्थरों से निर्मित प्रथम पुज्य भगवान गणेश, मां दुर्गा, भगवान शिव लिंग व नन्दी तथा महाबली बजरंगबली की मुर्तियां स्थापित कि गयी है। हालांकि मंदिर निर्माण में समय-समय पर तरह- तरह की विघ्न बाधाएं आती रही परन्तु “आस्था एक संकल्प” के टीम ने इस दोहे के संकल्प के साथ आगे बढ़ती रही कि ” दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते” और अन्त मे सारी विघ्न बाधाएं तिनके सरीखे बिखरती चली गई और आज महाबली हनुमान जी के भव्य मंदिर हमारे सामने सजीव रुप में खड़ा है। सचमुच ” आस्था एक संकल्प” टीम साधुवाद के पात्र हैं साथ ही साथ वे महानुभाव लोग भी साधुवाद के पात्र हैं जिन्होंने दशकों वर्ष पहले छल- छल, कल- कल बहती डिब्रू नदी(दुमदुमा नदी) के तट पर इस मंदिर की स्थापना की थी। मैं भक्त परायण लोगों से आग्रह करुंगा कि जब भी दुमदुमा आने का अवसर मिले तो इस मंदिर का दर्शन जरुर करे।
पवन कुमार शर्मा ( शिक्षक)
हाईलाकान्दी (असम)
मो. नं. 9954327677
दुमदुमा का नव निर्मित हनुमान मंदिर