नौकरियों में 3% आरक्षण समेत फोरम की कुछ मांगें मानने के बाद बाकी मांगों पर सरकार के ढुलमुलरवैये पर असम टी एंड एक्सटी पीपुल्स फोरम और स्टूडेंट्स फोरम ने नाराजगी जताया है। आज मंच केकार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में मंच के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मी निवास कलवार ने सरकार के ढुलमुल रवैये पर अफसोस जताया और कहा कि अगर जल्द ही मांगें नहीं मानी गयीं तो संयुक्त मंच कार्यकारिणी और इकाइयों को लेकर जल्द ही बैठक कर एक बड़े आंदोलन की आगाज करेगा। कुछ मांगें मानने के लिए असम सरकार को धन्यवाद देते हुए डॉ. कलवार ने बाकी मांगें भी जल्द मानने की अपील दोहराई। उन्होंने यह भी कहा कि वह लंबित मांगों को पूरा करने की रूपरेखा तैयार करने के लिए सरकार से चर्चा करने को तैयार हैं। आंदोलन की रूपरेखा क्या होगी, इस बारे में पत्रकारों के सवाल के जवाब में डॉ. कलवार ने बिना कुछ विशेष कहे कहा कि मंच की संगठनात्मक इकाइयां और कार्यकारिणी समिति समय पर निर्णय लेगी। बकाया 18 सूत्री मांगों में _ चाय व प्राक्तन चाय समुदायों के छात्र छात्राओं की बहुत कम आय को देखते हुए उनकी शिक्षा की लागत को कवर करने के लिए छात्र छात्रवृत्ति की राशि में वृद्धि करना और इस वर्ग के सभी छात्रों के लिए बढ़ी हुई दर पर छात्रवृत्ति का प्रावधान सुनिश्चित करना, उनके लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण 3% से बड़ाकर 9% करना, नई शिक्षा नीति के अनुसार बागानक्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा पांचवीं तक हिंदी माध्यम मे शिक्षण सुनिश्चित करना, प्रत्येक चाय बागान में मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्थापित करना, मेडिकल कॉलेजों में इन वर्ग के छात्रों के लिए 10% सीटों का आरक्षण प्रदान, नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों की तैयारी के लिए पोषण , अध्ययन सामग्री, कोचिंग आदि के लिए विशेष भत्ता प्रदान, चाय व प्राक्तन चाय जाति प्रमाणपत्र की जटिलताओं को दूर करना, बागान क्षेत्रों में शराब की बिक्री और पीने पर पूर्ण रोक लगाना, बृहत्तर स्वार्थ में मेहनती इन चाय श्रमिकों का मानवीय जीवन की उत्थान और बेहतर उत्पादन के लिए सरकारी सब्सिडी के साथ चाय श्रमिकों की मजदूरी ₹ 450 तक बड़ाना और भुगतान करना, चाय बागान या पूर्व-चाय बागान भूमि को जब तब सरकारी अधिग्रहण न करना और बाहरी लोगों या किसी अन्य पक्ष को हस्तांतरित करने पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए कानून
बनाना, बीमार व कमज़ोर चाय बागानों को मजबूत करने और चाय की खेती की सीमा बढ़ाने के लिए विशेष उपाय करना, चाय व प्राक्तन चाय समुदायों के लिए भूमि और भूमि पट्टे प्रदान सुनिश्चित करना,
राजनीतिक प्रतिनिधित्व के तौर पर विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा, पंचायत संगस्थाए , सरकारी बोर्ड, कमेटी, कमिशन, आदि मे इन पिछड़े समुदायों के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व (33%) सुनिश्चित करना, प्रत्येक चाय बागान में आधुनिक स्वयंग सम्पन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना करना, इस कठोर परिश्रमी और निरीह चाय समुदाय के युगों से अतिपिछड़े स्थिति की सरबंगिन उत्थान व जातीय नागरिक स्तर तक विकास हेतु विशेष वित्तीय पैकेज बनाना और उनका उचित मूल्यांकन करना आदि सामिल है। इन सरल लेकिन देश के लिए कड़ी मेहनत करने वाले पिछड़े रहे समुदाय के बुनियादी आवश्यकता के तहत उपरोक्त मांगो की औचित्य ठहराते हुए डॉ. कलवार ने आशा व्यक्त की है कि असम की प्रगतिशील सरकार बहुत जल्द ही इस संबंध में आगे आएगी। अन्यथा यह शांतिप्रिय समुदाय को लेकर मंच बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होगा।