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विश्वविद्यालय से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी कि वह साहित्य, संगीत एवं कला में से किसी एक माध्यम को अपनाकर इसे आगे बढ़ाएं- प्रो.प्रभाशंकर शुक्ल
प्रेरणा प्रतिवेदन शिलांग, 1 मार्च: हिन्दी विभाग पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय (शिलांग), केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा एवं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया नेहू ब्रांच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी जिसका विषय “मेघालय का लोकोत्सव: साहित्य संगीत एवं कला” का शुभारंभ किया गया। सर्वप्रथम हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. हितेंद्र कुमार मिश्र ने कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथियों एवं सम्माननीय अतिथि पद्मश्री श्रीमती सिल्बी पासाह का स्वागत एवं अभिनंदन किया। हिन्दी विभाग के आचार्य प्रो. माधवेंद्र प्रसाद पांडेय ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो.प्रभाशंकर शुक्ल, मुख्य अतिथि राज्यपाल मेघालय के आयुक्त एवं सचिव डॉ.ब्रम्हदेव राम तिवारी,मानविकीय संकाय, नेहू के संकायाध्यक्ष प्रो.वानलालघक एवं सम्माननीय अतिथि पद्मश्री सिल्बी पासाह के कर-कमलों से “भाषा संवाद” नामक पुस्तक का लोकार्पण किया गया। इस पुस्तक का निर्माण हिन्दी विभाग द्वारा किया गया। इसके बाद पद्मश्री श्रीमती सिल्बी पासाह को हिंदी विभाग द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित भी किया गया।ततपश्चात पद्मश्री सिलबी पासाह ने खासी नृत्य महोत्सव का वर्णन अपने शब्दों में करते हुए कहा कि इस नृत्य में अविवाहित महिलाएँ भाग लेती हैं। कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि के रूप में आयुक्त एवं माननीय राज्यपाल मेघालय के आयुक्त एवं सचिव डॉ. ब्रम्हदेव राम तिवारी ने “एक भारत श्रेष्ठ भारत” वाक्य पर बल दिया। उनका मानना है कि यह वाक्य मेघालय की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। उनका मानना है कि कला, संस्कृति एवं साहित्य को भविष्य में आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से साहित्य, संगीत एवं कला को विस्तारित करने की चर्चा की। मानविकी विभाग के संकायाध्यक्ष प्रो. वनलालघक ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए भाषा एवं संस्कृति को आगे बढ़ाने की चर्चा की। मेघालय की लोक संस्कृति को उन्होंने उसका गौरव बताया। पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. प्रभाशंकर शुक्ल ने अध्यक्ष के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज की। साथ ही उन्होंने कहा कि भाषा अभिव्यक्ति या सम्प्रेषण का माध्यम है। उन्होंने भारत की विविधता में एकता की चर्चा की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से हमें एक-दूसरे की मातृभाषा का सम्मान करना चाहिए। इस प्रकार भारत विश्व के अग्रणी देशों में आ पाएगा। विश्वविद्यालय से जुड़े हुए प्रत्येक व्यक्ति की यह जिम्मेदारी है कि वह साहित्य, संगीत एवं कला में से किसी एक माध्यम को अपनाकर इसे आगे बढ़ाने का प्रयास करे। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में हिन्दी विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो. दिनेश कुमार चौबे ने मुख्य अतिथियों, पद्मश्री सम्मान से सम्मानित सिलबी पासाह एवं कार्यक्रम में उपस्थित सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और विभाग के सहायक आचार्य डॉ. आलोक सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया।इसके बाद खासी उत्सव सत्र के अंतर्गत खासी, साहित्य पर खासी विभाग की अध्यक्ष प्रो.स्ट्रीमलेट डख़ार ने खासी साहित्य पर अपने विचारों को साझा किया एवं खासी संगीत व कलाओं की प्रस्तुति भी हुई।वही गारो उत्सव के अंतर्गत गारो साहित्य,संगीत एवं कलाओं से लोग अवगत हुए।